शिव की नगरी में शक्ति की आराधना, जानिए चैत्र नवरात्र में किन किन नौ गौरी का होता है दर्शन पूजन
देवी उपासना के पर्व नवरात्रि की शुरुआत आज से हो गयी। शिव की नगरी काशी में शक्ति उपासना के पर्व पर देवी मंदिरो में भक्तों का रेला दिखा। शहर के तमाम देवी मंदिरो में भक्तो की भीड़ सुबह सवेरे से ही लगी है। वासंतिक नवरात्र में माँ के गौरी स्वरूप के पूजन का विधान है। प्रथम दिन मुख निर्मालिका गौरी के दर्शन-पूजन की मान्यता है। इनका मंदिर वाराणसी के गायघाट स्थित हनुमान मंदिर के समीप है। देवी के स्वरूप में शांति और उत्साह देने वाली तथा भय का नाश करने वाली देवी यश, कीर्ति, धन और विद्या देनेवाली हैं। यह देवी मोक्ष देने वाली भी हैं। मंदिरो में दर्शन के साथ ही घरो में आज कलश स्थापना भी किया जाता है।
नौ गौरी को समर्पित चैत्रीय नवरात्र :
वर्ष में पड़ने वाले चार नवरात्रों में से दो शारदीय नवरात्र नौ दुर्गा व वासंतिक नौ गौरी को समर्पित है। दोनों में ही व्रत, पूजन व दर्शन का विधान है। वासंतिक नवरात्र का प्रारंभ हिन्दू नववर्ष के प्रथम दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। देवी के विभिन्न स्वरूपों का अलग अलग स्थानों पर दर्शन पूजन का विधान है नवरात्र के पहले दिन मुख निर्मालिका गौरी के दर्शन-पूजन का विधान है इस देवी के दर्शन से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते है।
वासन्तिक नवरात्र में नौ गौरी के दर्शन-पूजन के क्रम में
प्रथम-मुख निर्मालिका गौरी, द्वितीय-ज्येष्ठा गौरी, तृतीय-सौभाग्य गौरी, चतुर्थ-शृंगार गौरी, पंचम-विशालाक्षी गौरी, षष्ठ-ललिता गौरी, सप्तम-भवानी गौरी, अष्टम्-मंगला गौरी और नवम्-सिद्ध महालक्ष्मी गौरी। नवरात्र में जगत् जननी माँ दुर्गा के नौ-स्वरूपों की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्त्व है।
शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ स्वरूप
प्रथम-शैलपुत्री, द्वितीय-ब्रह्मचारिणी, तृतीय-चन्द्रघण्टा, चतुर्थ-कुष्माण्डा देवी, पंचम-स्कन्दमाता, षष्ठ-कात्यायनी, सप्तम-कालरात्रि, अष्टम-महागौरी एवं नवम्-सिद्धिदात्री। काशी में नौ दुर्गा एवं नौ गौरी के मन्दिर प्रतिष्ठित हैं। जहाँ भक्तगण अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए नवरात्र में विशेष दर्शन-पूजन करके लाभान्वित होते हैं।
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