Home 2023 पौराणिक कथा : श्री राम जी ने बाली को छुपकर क्यों मारा ?

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पौराणिक कथा : श्री राम जी ने बाली को छुपकर क्यों मारा ?

वानर राज बालि किष्किंधा का राजा और सुग्रीव का बड़ा भाई था। बालि का विवाह वानर वैद्यराज सुषेण की पुत्री तारा के साथ संपन्न हुआ था। तारा एक अप्सरा थी। बालि को तारा किस्मत से ही मिली थी। बालि के आगे रावण की एक नहीं चली थी

बालि के पिता का नाम वानरश्रेष्ठ ‘ऋक्ष’ था। बालि के धर्मपिता देवराज इन्द्र थे। बालि का एक पु‍त्र था जिसका नाम अंगद था। बालि गदा और मल्ल युद्ध में पारंगत था। उसमें उड़ने की शक्ति भी थी। धरती पर उसे सबसे शक्तिशाली माना जाता था, लेकिन उसमें साम्राज्य विस्तार की भावना नहीं थी। वह भगवान सूर्य का उपासक और धर्मपरायण था। हालांकि उसमें दूसरे कई दुर्गुण थे जिसके चलते उसको दुख झेलना पड़ा।

रामायण के अनुसार बालि को उसके धर्मपिता इन्द्र से एक स्वर्ण हार प्राप्त हुआ था। इस हार की शक्ति अजीब थी। इस हार को ब्रह्मा ने मंत्रयुक्त करके यह वरदान दिया था कि इसको पहनकर बालि जब भी रणभूमि में अपने दुश्मन का सामना करेगा तो उसके दुश्मन की आधी शक्ति क्षीण हो जाएगी और यह आधी शक्ति बालि को प्राप्त हो जाएगी। इस कारण से बालि लगभग अजेय था।

कहा जाता है कि माया नामक असुर स्त्री के दो पुत्र थे- मायावी तथा दुंदुभि। दुंदुभि महिषरूपी असुर था। दुंदुभि को अपनी शक्ति पर दंभ हो गया था। वह पहाड़ के समान दिखाई देता था। उसने सबसे पहले सागर राज को युद्ध के लिए ललकारा, लेकिन सागर राज ने कहा कि ऐसे वीर से वह युद्ध करने में असमर्थ है। आपको तो गिरियों के राजा हिमवान को ललकारना चाहिए। हालांकि सागर राजा दुंदुभि के दंभ को तोड़ सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। सागर राज की तरह ही हिमवान ने कहा कि तुम्हारे जैसे वीर को इंद्र के पुत्र बालि से युद्ध करना चाहिए, तब दुंदुभि ने किष्किंधा के द्वार पर जाकर बालि को ललकारा।

बालि ने पहले तो दंभी दुंदुभि को समझाने की कोशिश की, परंतु जब वह नहीं माना तो बालि ने दुंदुभि को बड़ी सरलता से हराकर उसका वध कर दिया। इसके पश्चात बालि ने दुंदुभि के निर्जीव शरीर को उछालकर एक ही झटके में एक योजन दूर फेंक दिया। शरीर से टपकती रक्त की बूंदें महर्षि मतंग के आश्रम में गिरीं, जो कि ऋष्यमूक पर्वत में स्थित था। क्रोधित मतंग ने बालि को शाप दे डाला कि यदि बालि कभी भी उनके आश्रम के एक योजन के दायरे में आया तो वह मृत्यु को प्राप्त होगा। इसी कारण बालि कभी भी ऋष्यमूक पर्वत पर कभी भी नहीं जाता था और सुग्रीव ने बालि से बचने के लिए यहीं पर शरण ली थी।

स्त्री के कारण ही बालि का दुंदुभि के भाई मायावी से बैर हो गया। एक बार अर्धरात्रि में किष्किंधा के द्वार पर आकर दुंदुभि के भाई मायावी ने बालि को युद्ध के लिए ललकारा। बालि तथा सुग्रीव उससे लड़ने के लिए गए। दोनों को आता देखकर मायावी वन की ओर भागा तथा एक गुफा में छिप गया। बालि सुग्रीव को गुफा के पास खड़ा करके स्वयं गुफा में घुस गया।

सुग्रीव ने 1 वर्ष तक बालि के बाहर आने की प्रतीक्षा की। 1 वर्ष बाद गुफा से रक्त की धारा बहती देखकर सुग्रीव ने यह समझा कि बालि मारा गया। तब उसने गुफा को एक पर्वत के शिखर से ढंका और चला गया। बाद में सुग्रीव ने मंत्रियों के आग्रह पर राज्य को संभाल लिया।

उधर बालि ने गुफा के अंदर मायावी को 1 वर्ष में ढूंढ निकाला। उसने मायावी का वध किया और जब वह बाहर लौटकर आया तो गुफा पर रखे पर्वत शिखर को देखकर उसने सुग्रीव को आवाज दी, किंतु उसे कोई उत्तर नहीं मिला। बालि जैसे-तैसे शिखर को हटाकर अपनी नगरी में पहुंचा। जब वहां उसने अपने भाई सुग्रीव को राज्य करते देखा, तब उसे शंका हुई कि सुग्रीव ने राज्य के लोभ के कारण ही यह सब प्रपंच रचा होगा।

उसने सुग्रीव पर प्राणघातक प्रहार किया। प्राणरक्षा के लिए सुग्रीव ऋष्यमूक पर्वत पर जाकर छिप गया। बालि ने सुग्रीव का धन-स्त्री आदि सब कुछ छीन लिया। धन-स्त्री का हरण होने पर सुग्रीव दु:खी होकर अपने हनुमान आदि 4 मंत्रियों के साथ ऋष्यमूक पर्वत पर रहने लगा।

भगवान श्रीराम ने भी इसी कारण से बाली को छुपकर मारा था क्योंकि अगर वो उनके सामने जाते तो बाली उनकी आधी शक्ति छीन लेता और भगवान उस समय मनुष्य योनि में थे वो चाहते तो बाली को पल भर में समाप्त कर सकते थे लेकिन ब्रह्माजी के वरदान का मान उन्हें रखना था और वो मर्यादा पुरुषोत्तम थे और उन्हें बाली को समाप्त भी करना था लेकिन सिर्फ उतनी शक्ति के साथ जितनी शक्ति मनुष्य योनि में एक मनुष्य के पास होती है और इसी कारण से उन्होंने बाली को छुपकर मारा अन्यथा भगवान राम के पास 12 कला थी जो काफी थी बाली को मारने के लिए लेकिन उन्होंने इनका प्रयोग नही किया सिर्फ बाण शक्ति से बाली को मारा अन्यथा भगवान 64 कलाओं से पूर्ण होते है जो परब्रह्म भगवान विष्णु जी है वो 64 कलाओं से युक्त है जो पलभर में बाली को भस्म कर सकते थे ।

तो यही कारण है जो श्रीराम ने बाली को छुपकर मारा ।

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Author: Admin Editor MBC

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