Home 2023 जानिए क्यों हैं ख़ास कुशा, ग्रहण में कुशा घास का इस्तेमाल क्यों किया जाता है

" मोक्ष भूमि " आपका अभिनंदन करता हैं। धार्मिक जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहिये।   निवेदन : " मोक्षभूमि " डेस्क को 9889940000 पर व्हाट्सअप कर निशुल्क ज्योतिष,वास्तु, तीज - त्यौहार और व्रत या अन्य समस्या का समाधान पूछ सकते हैं।

जानिए क्यों हैं ख़ास कुशा, ग्रहण में कुशा घास का इस्तेमाल क्यों किया जाता है

सूर्य या चंद्र ग्रहण एक बड़ी खगोलीय घटना होती है जिसका ज्योतिष में भी बहुत महत्व होता है। इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल, 2023, बृहस्पतिवार के दिन पड़ेगा। ज्योतिष में सूर्य ग्रहण को लेकर कई मान्यताएं हैं जैसे इस दौरान पूजा -पाठ की मनाही होती है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिए क्योंकि इसकी किरणों से भोजन विषाक्त हो सकता है। इस दौरान घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।

इन्हीं मान्यताओं से जुड़ी एक और बात है इस दौरान कुशा या दरभा घास का इस्तेमाल करना। दरभा या कुशा घास एक विशेष प्रकार की घास है जिसका उपयोग हिंदू अनुष्ठानों में शुद्धिकरण प्रक्रिया के लिए किया जाता है।

इस घास को कोई भी यज्ञ या अनुष्ठान करने वाले व्यक्ति की अनामिका अंगुली में अंगूठी के रूप में पहना जाता है। लेकिन इस घास का इस्तेमाल ग्रहण के दौरान करना उपयोगी क्यों है और इसका महत्व क्या है।

ग्रहण के दौरान कुशा घास का इस्तेमाल क्यों किया जाता है

ग्रहण के दौरान असामान्य परिणाम के नकारात्मक विकिरण फैलते हैं। इसलिए खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर न निकलने की सलाह दी जाती है। इस दौरान मंदिर भी किसी दुष्प्रभाव को रोकने के लिए बंद कर दिए जाते हैं।

ऐसा माना जाता है कि इस दौरान मंदिर के कपाट बंद करने से ग्रह पिंडों द्वारा जारी नकारात्मकता के किसी भी बुरे प्रभाव को रोका जा सकता है। ग्रहण की अवधि में एक विशेष कारण से कुशा घास का इस्तेमाल किया जाता है।

कुशा घास को एक्स-रे विकिरण और ग्रहण के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है, इसलिए इसे ग्रहण विकिरण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए घर में विभिन्न स्थानों पर रखा जाता है। यही नहीं मंदिर में भी मूर्तियों को सुरक्षित रखने के लिए इस घास को रखा जाता है।

सूर्य ग्रहण के दौरान वातावरण में हानिकारक विकिरणों को दूर रखने के लिए रसोई में भी हर खाद्य पदार्थ पर कुशा घास रखी जाती है। ग्रहण के बाद कुशा घास के बिना कोई भी भोजन दूषित माना जाता है और सेहत को ठीक रखने के लिए इस भोजन का इस्तेमाल न करने की सलाह दी जाती है।

कुशा घास का महत्व

दरभा या कुशा घास हिंदू रीति-रिवाजों की पूजन सामग्रियों में से एक विशेष है। पुराणों और उपनिषदों में वर्णित है कि समुद्र मंथन, ब्रह्मांडीय महासागर के मंथन के बाद यह घास अस्तित्व में आई।

जब देवता और दानव दूध सागर का मंथन करने के लिए तैयार हुए, तो मंदार पर्वत के आधार को सहारा देने वाला कोई नहीं था। उस समय भगवान विष्णु ने कच्छप का रूप धारण किया। मंथन के दौरान कछुए के शरीर से बाल बाहर निकले और किनारे पर बह गए। ये बाल कुशा घास में बदल गए। उसी समय से कुशा घास का महत्व बढ़ गया। समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत प्राप्त हुआ, तो अमृत के अनुचित संचालन के कारण, अमृत की कुछ बूंदें इस घास पर गिर गईं। इसकी वजह से यह घास अधिक पवित्र मानी जाने लगी।

कुशा घास में होते हैं शुद्धिकरण गुण

ज्योतिष में ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथनके दौरान अस्तित्व में आने की वजह से कुशा घास में भगवान विष्णु की शक्ति होती है। इस घास में अपार शुद्धिकरण के गुण होते हैं। कुशा घास को शुद्ध करने वाली वस्तु के रूप में जाना जाता है इसलिए ही पूजा में घास का उपयोग पवित्र जल छिड़क कर पूजा की विभिन्न वस्तुओं को शुद्ध करने के लिए किया जाता है।

किसी भी शुद्धिकरण अनुष्ठान के लिए इसका उपयोग किया जाता है। यही नहीं यज्ञ आदि में भी पूजन करने वाला व्यक्ति इस घास की धारण करना है, जिससे पूजा का पूर्ण फल मिल सके। यदि इस घास से बना आसन पूजन में इस्तेमाल होता है तो इस घास की वजह से पवित्रता बढ़ जाती है।



नवीनतम जानकारी

सुबह उठते ही बचे इन चीजों को देखने से, क्योंकि ये होता है बहुत अशुभ

कही आपके घर मे लगे पेड़ पौधे ही तो आपके सफलता के बाधक नहीं…?

आखिर क्यों आता है मंदिर दर्शन का सपना? जानें क्या देता है संकेत

क्या लक्ष्मण जी ने किया था तीन शादियां, जानें उर्मिला, बनमाला और जितपद्मा का पूरा विवरण

आखिर दक्षिण दिशा को क्यों नकारात्मक और अशुभ माना गया है।

नवरात्रि के दौरान क्यों रखा जाता है व्रत? जानें क्या है इसका महत्व और नियम

कपूर के उपाय : धन लाभ के लिए चैत्र पूर्णिमा के दिन आजमाएं

कपूर के उपाय : धन लाभ के लिए चैत्र पूर्णिमा के दिन आजमाएं

गणगौर तीज : जानिए माता पार्वती के किस 10 स्वरूप को पूजा जाता है इस व्रत में

घर की सुख समृद्धि और धन-धान्य के लिए भूलकर भी घर के मंदिर में न रखें भगवान की ऐसी मूर्तियां

जानिये अंतरिक्ष मे हिन्दू नव वर्ष के कौन होंगे राजा और कौन होगा मंत्री, आखिर कैसा होगा ये साल

कैसा होगा बुधवार से शुरू हो रहे नव संवत्सर में आपका राशि का फल

आखिर आपको तुलसी का पौधा क्या दे रहा है संदेश, संदेश कहीं परेशानियों से तो फिर जुड़ा नहीं

तिथि विशेष : जीवन को बनाना निष्कंटक तो जानिए आज अमावस्या पर क्या करें क्या न करें

शास्त्रों के अनुसार अन्नप्राशन संस्कार से पहले छोटे बच्चों को अनाज क्यों नहीं खिलाना चाहिए

जब कर्ण ने श्री कृष्ण से पूछा मेरा दोष क्या था.? पढ़िए श्री कृष्ण का जवाब…

रामनवमी विशेष

आखिर कौन सा 16 गुण और 12 कलाएं थे प्रभू श्रीराम के पास, जानिए इसका रहस्य

पौराणिक कथा : श्री राम जी ने बाली को छुपकर क्यों मारा ?

दुबई में राम मंदिर : रामनवमी पर दर्शन करिये श्री राम दरबार का जानिए क्यों हैं ख़ास

प्रेरक कथा : जब भक्त का पहना माला पहने भगवान फिर क्या हुआ …

भगवान श्री राम के जन्मोत्सव से जुड़ी दिलचस्प बातें जानें, क्या है लौकी कनेक्शन


दैनिक पंचांग / राशिफल और जन्मदिन फल

आज पंचांग, चैत्र शुक्ल पक्ष एकादशी, 2080 (1 अप्रैल 2023)

राशिफल 1 अप्रैल, जानें कैसा रहेगा आज का दिन

पंचांग : चैत्र शुक्ल दशमी शुक्रवार, 2080 ( 31 मार्च 2023 )

31 मार्च, आज का राशि फल


अपने मूलांक से जानिए, कौन-कौन से रोग का हो सकता है आपसे कनेक्शन

आखिर क्यों लिया जायेगा बाबा विश्वनाथ के स्पर्श दर्शन का शुल्क….? जानिए मंदिर के न्यासियों और विद्वानों की राय

चैत्र मास का हुआ आरम्भ , जानिए इस मास के प्रमुख व्रत और त्योहार

जानिए, चैत्र मास की पूरी बातें साथ ही इस मास का महत्व, नियम और उपाय


पौराणिक कथाएं

कौन हैं सुदर्शन चक्र ? जानें कैसे बने श्री कृष्ण का अस्त्र

महाभारत काल के वो पांच गांव, जिसकी वजह बना महाभारत युद्ध

जानिए पांडवो के स्वर्ग जाने की कथा, किन वजहों से पांचो पांडव बारी बारी नीचे गिरकर मृत्यु को प्राप्त हुए

राक्षसी होलिका, कैसे बनी एक पूजनीय देवी, जानें रोचक पौराणिक कथा

Mahabharat katha : आखिर क्यों गंगा ने मार दिया था अपने 7 बेटों को

पौराणिक कथा में पढ़िए कौन है खाटू श्याम जी, क्या है उनकी कहानी और 11 अनजाने रहस्य

कौन थीं शबरी ? जानिए इनके माता पिता और गुरु को

क्या आप जानते हैं सारे ज्योतिर्लिंग जमीन तल से नीचे क्यों स्थित हैं, कितने प्रकार के होते हैं शिव लिंग

महाभारत का युद्ध : आखिर 18 नंबर से क्या था कनेक्शन, क्यों चला था 18 दिन युद्ध ?

पौराणिक कथा : जानिए आखिर कैसे हुई थी श्री राधा रानी की मृत्यु ?

आखिर क्यों अपने ही बेटे के हाथों मारे गए थे अर्जुन

पत्थर रूप में ही क्यों शिंगणापुर में प्रकट हुए शनि पढ़िए पुरी कहानी


धार्मिक हलचल

चक्रपुष्करिणी तीर्थ : उत्तराभिमुख गोमुख का रंगभरी एकादशी पर होंगे दर्शन

ग्रह चाल और आप

चांडाल योग : 6 अनहोनी का जन्म देगा मेष में सूर्य, गुरु और राहु की युति, जानिए इसका आप पर प्रभाव

हिन्दू नव वर्ष की शुरुआत पर इन चार राशियों का चमक उठेगा भाग्य

जानिए, मार्च मास में कैसा होगा आपका का राशिफल

शुक्रवार आज गुरु कर रहे हैं गोचर, पढ़िए क्या होगा असर आप के राशि पऱ ?




अवश्य पढ़िए..

सूर्योदय से पहले उठना क्यों है जरूरी, जानें क्या कहता है शास्त्र

अंधविश्वास : जानिए, महिलाओं के साथ होते अंधविश्वास की 5 खौफनाक कहानियां

नववर्ष का प्रारंभ 22 मार्च से, जानिए उस दिन के वो 3 संयोग जो है अत्यंत शुभकारी

जानिए क्या हैं राम गीता, कृष्ण से नहीं राम से जुड़ी हैं चार गीता

यदि आप रुद्राक्ष धारण करने वाले, भूलकर इन 6 जगहों पऱ न जाय

घर के मुख्य द्वार पर गणेश जी की फोटो लगाने से पहले जान लें ये नियम

आपके हाथ रेखाएं बताती हैं आपके के शरीर का रोग

इन पांच लोगों से डरते हैं शनि देव, जानें कौन हैं ये

नई दुल्हन को काले कपड़े पहनने की क्यों होती है मनाही, जानें सही वजह

परेशानियों से बचने के लिए 5 वस्तुएं को सदा रखे तुलसी से दूर

साल का पहला सूर्य ग्रहण, राशियों पर क्या होगा प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार माथे पर चंदन का तिलक लगाने के फायदे

किनको और क्यों रखना चाहिए शिखा या चोटी, मिलता हैं ये लाभ…

भगवान विष्णु, राम और कृष्ण की तरह क्यों नहीं लगता महादेव के आगे ‘श्री’

यदि हैं आज कोर्ट कचहरी के चक्कर से परेशान, राहत के लिए आजमाये ये उपाय

छिड़कें दो चुटकी नमक, मिलेगा जोरदार तरक्की आपको अपने करियर में

शनि देव को शांत करने के पाँच प्रयोग, पढ़िए ब्रह्म पुराण’ में क्या कहते है शनिदेव


उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। अन्य लेख पढ़ने के लिए साथ ही अपनी सुझाव संग पसंद – नापसंद जरूर बताएं। साथ ही जुड़ें रहें हमारी वेबसाइट ” मोक्ष भूमि – काशी “ के साथ। हमारी टीम को आपके प्रतिक्रिया का इन्तजार है। 9889881111


डिसक्लेमर

इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता को जाँच लें । सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/ प्रवचनों /धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। जानकारी पूरी सावधानी से दी जाती हैं फिर भी आप पुरोहित से स्पस्ट कर लें।


Author: Admin Editor MBC

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!