वैशाख मास का कब से हो रहा प्रारम्भ ? जानें महत्व, पूजा विधि, मंत्र, कथा और नियम
हिन्दू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के बाद वैशाख महीने की शुरुआत हो जाती है। वैशाख माह को ब्रह्मा और भगवान विष्णु का महीना माना जाता है। हिन्दू पंचाग के अनुसार, हिन्दू वर्ष का दूसरा महीना वैशाख का होता है। इस साल वैशाख माह की शुरुआत 21 अप्रैल, दिन शुक्रवार से होगी। वहीं, इस महीने का समापन 21 मई, दिन रविवार को होगा। हिन्दू धर्म में वैशाख के महीने को अत्यंत पावन माना जाता है।
वैशाख माह का महत्व
– शास्त्रों और धर्म-ग्रंथों के अनुसार, वैशाख के महीने में पाप कर्मों से मुक्ति पाने के लिए स्नान-दान को पुण्यकारी माना जाता है। धर्म-कर्म के लिहाज से भी यह माह बहुत ही श्रेष्ठ और उत्तम माना गया है।
– ऐसी मान्यता है कि वैशाख के महीने में भगवान विष्णु के साथ ही भगवान शिव और ब्रह्मा जी यानी त्रिदेव की पूजा हर कार्य में तीन गुना अधिक शुभ फल प्राप्त होता है।
– त्रिदेवों की कृपा से जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है और व्यक्ति को मनचाहे फल की प्राप्ति होती है।
वैशाख माह की पूजा
प्रातः उठकर स्नान कर लें। संभव हो तो नदी में स्नान करें। स्नान के बाद अपने इष्ट देव का ध्यान करें। अपने इष्ट को स्नान कराएं और उनका श्रृंगार करें।अपने इष्ट को नए वस्त्र पहनाएं। अपने इष्ट देव के मंत्रों का जाप करें। अपने इष्ट देव को भोग लगाएं। अपने इष्ट देव की आरती गाएं। अंत में भोग को प्रसाद के रूप में वितरित करें।
वैशाख माह के मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः। इस मंत्र के जाप से आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
ॐ क्लीं कृष्णाय नमः। इस मंत्र के जाप से संतान प्राप्ति के योग बनेंगे।
ॐ नमो नारायणाय इस मंत्र के जाप से हर मनोकामना पूरी होगी।
वैशाख मास की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, वैशाख के महीने में भगवान विष्णु की आज्ञा से जनकल्याण हेतु पृथ्वी पर मौजूद समस्त जल में देवी-देवता निवास करते हैं। इसके अलावा, एक कथा यह भी है कि एक बार राजा अंबरीश दीर्घकाल तक तप के बाद गंगा तीर्थ की ओर जा रहे थे। मार्ग में उन्हें देवर्षि नारद जी के दर्शन हुए। राजा ने देवर्षि नारद से भगवान के प्रिय और श्रेष्ठ माह के बारे में पूछा तो नारद मुनि ने बताया कि ब्रह्मा जी ने वैशाख मास को अत्यंत पवित्र सिद्ध किया है। यही कारण है कि वैशाख के महीने को सब प्राणियों की मनोकामना को सिद्ध करने वाला माना गया है। धर्म, यज्ञ, क्रिया और व्यवस्था का सार वैशाख मास में सर्वाधिक फल देता है।
वैशाख माह के नियम
इस माह में अधिक से अधिक धार्मिक कार्य करने चाहिए।
इस माह में भूल से भी किसी के साथ कुछ अनुचित करने का नहीं सोचना चाहिए।
इस माह में नदी में स्नान अवश्य करना चाहिए।
इस माह में किसी भी प्राणी को आहत करने से बचना चाहिए।
इस माह में व्यक्ति को ध्यान लगाना चाहिए।
इस माह में व्यक्ति को अपने अवगुणों को दूर करने का सबसे ज्यादा प्रयास करना चाहिए।
इस माह में दान अवश्य करना चाहिए।
इस माह में जल, मटका, छाता, पंखा, चप्पल आदि का दान करना अक्षय पुण्य की प्राप्ति प्रदान कराता है।
वैशाख माह के उपाय
वैशाख माह में पीपल के पेड़ की पूजा कर उसकी परिक्रमा लगाएं।
इस माह में भगवान विष्णु को पीले वस्त्र अर्पित करे।
इस माह में घर में आने वाली किसी भी नई वस्तु पर हल्दी का स्वास्तिक अवश्य बनाएं।
इस माह में किसी भी काम की शुरुआत से पहले भगवान विष्णु या श्री कृष्ण को गुलाब का फूल अवश्य अर्पित करें।
इस माह में जमीन से जुड़ी किसी भी डील से पहले घर के मंदिर में मोरपंख अवश्य लाकर रखें।
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