सूर्य ग्रहण के दौरान पूजा की मनाही और मंदिर के कपाट रखते हैं बंद, जानें इसका कारण
इस साल यानी 2023 में पहला सूर्य ग्रहण गुरुवार 20 अप्रैल को लगने वाला है। इस वर्ष का दूसरा ग्रहण 14 अक्टूबर, शनिवार को लगेगा। आमतौर पर ग्रहण के दौरान पूजा पाठ मंत्रोचारण करने से लाभ होता है किन्तु सूर्य ग्रहण के दौरान इसका ठीक उल्टा होता है। सूर्य ग्रहण के दौरान पूजा पाठ करने की मनाही होती है।
कैसे होता है सूर्य ग्रहण
जब चन्द्रमा जो पृथ्वी का उपग्रह है, घूमते घूमते पृथ्वी और सूर्य के बीच से होकर गुजरता है और पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा आच्छादित होता है तो इसको सूर्य ग्रहण कहते हैं। ऐसे में जब हम सूर्य को देखते हैं तो चन्द्रमा की वजह से या तो सूर्य थोड़ा सा दिखता है या बिलकुल नजर नहीं आता है। जब सूर्य थोड़ा सा दिखाई दे तो इसे आंशिक ग्रहण और बिलकुल ना दिखे तो उसे पूर्ण ग्रहण कहते हैं।
ग्रहण के दौरान पूजा की क्यों है मनाही?
ज्योतिष के हिसाब से सभी ग्रह ऊर्जा छोड़ते हैं। सूर्य भी ऊर्जा छोड़ता है। सूर्य तो सभी जीवन का स्रोत भी है। बिना सूर्य जीवन की कामना नहीं की जा सकती है। ऐसे में हर एक जीव सूर्य की ऊर्जा पर निर्भर रहता है। किन्तु जब ग्रहण होता है तो इसकी वजह से यही ग्रह नकारात्मक ऊर्जा छोड़ने लगता है।
सकारात्मक ऊर्जा स्रोत के ऊपर ग्रहण होने की वजह से नकारात्मक ऊर्जा की शक्ति बढ़ जाती है। ग्रहण के दौरान नकारात्मक विकिरण का फैलाव होता है और दिव्य ऊर्जा का प्रवाह बंद हो जाता है। ऐसे में अगर हम पूजा पाठ करें तो देवी-देवताओं के ऊपर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। सकारात्मक ऊर्जा की जगह आप नकारात्मक ऊर्जा का शोषण कर लेते हैं। इसलिए ग्रहण के दौरान पूजा पाठ करना वर्जित है।
ग्रहण के दौरान मंदिर के कपाट क्यों रखे जाते हैं बंद?
ग्रह पिंडों द्वारा उत्सर्जित नकारात्मक ऊर्जा से मंदिर की मूर्तियों को नुकसान पहुंच सकता है। इस नुकसान से बचने के लिए सूर्य की किरणों को मंदिर के अन्दर पहुंचने से रोक दिया जाता है। यही वजह है कि सूर्य ग्रहण के दौरान मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं।
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