आखिर क्यों भंडारे में नहीं करना चाहिए भोजन, जानें असल कारण
धर्म में किसी भी शुभ कार्य या पूजा-पाठ के बाद भंडारे का आयोजन किया जाता है। सिर्फ हिन्दू धर्म ही नहीं बल्कि सिख धर्म में लंगर के रूप में भंडारा रखा जाता है लेकिन मान्यता है कि भंडारे या लंगर में खाना नहीं खाना चाहिए।
घर में जब भी कोई शुभ काम होता है तो लोग अक्सर उस शुभ काम के बाद भंडारा आयोजित करते हैं। ठीक ऐसे ही मंदिर या गुरुद्वारे में भी भंडारे का आयोजन किया जाता है।
धर्म-शास्त्रों में भंडारा करना इसलिए जरूरी माना गया है क्योंकि इससे उन लोगों को भोजन मिलता है जो प्रतिदिन अन्न की व्यवस्था नहीं कर पाते हैं या जिनके पास अन्न नहीं होता है।
ऐसे लोगों को भंडारे के माध्यम से भोजन कराने से पुण्य मिलता है और घर में सकारात्मकता का वास स्थापित है। घर में सुख-समृद्धि आती है और संपन्नता हमेशा बनी रहती है।
वहीं, अगर कोई सक्षम व्यक्ति भंडारे में भोजन करता है तो इसे अनुचित बताया गया है क्योंकि भंडारा उन लोगों के पेट भरने के लिए होता है जो निर्धन हैं और अन्न प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
ऐसे में किसी सक्षम व्यक्ति का भंडारे में जाकर भोजन करना किसी गरीब या जरूरतमंद के हिस्से को हड़पने के समान माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, ऐसा करना उस व्यक्ति के लिए अशुभ साबित हो सकता है।
अगर कोई सक्षम व्यक्ति भंडारे में जाकर भोजन करता है तो उसे पाप लगता है। उसके जीवन में असफलता का समय शुरू हो जाता है। उस व्यक्ति के घर में अन्न-धन की कमी आने लगती है।
मान्यता यह भी है कि किसी सक्षम व्यक्ति के भंडारे में भोजन करने से मां लक्ष्मी उससे रूठ जाती हैं। व्यक्ति को उसके कार्य स्थल फिर चाहे वो नौकरी हो या व्यापार अनेकों दिक्कतें आने लगती हैं।
शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि भंडारे में भोजन करने वाले सक्षम व्यक्ति पर भगवान विष्णु की कृपा नहीं बरसती और भगवान विष्णु का साथ ऐसे व्यक्ति को नहीं मिलता है।
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