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एटम बम या ब्रह्मास्त्र, कृत्रिम गर्भ या अयोनिजा ? पहले से सनातनी प्राचीन महाकाव्यों में मौजूद है अविष्कारों की ये बातें

आज साइंस काफी तरक्की कर चुकी है, बहुत सारे अविष्कार हो चुके हैं और नई-नई टेक्नोलॉजी आपकी लाइफ को बेहतर बना रही है। लेकिन आज के वक्त में ऐसे बहुत सारे इनवेंशन और टेक्नोलॉजी ऐसी है जिसके बारें में वेदों में पहले से ही मौजूद है। इसके साथ ही भारत के दो सबसे बड़े महाकाव्य महाभारत और रामायण में उन चीजों का उल्लेख है जो आज के वक्त के महान अविष्कारों में गिने जाते हैं। इससे प्रतीत होता है कि जो आज की टेक्नोलॉजी और अविष्कार है वो सदियों पहले इस्तेमाल हुए थे और उन्हीं की प्रेरणा के फलस्वरूप ही आज की टेक्नोलॉजी और अविष्कार देन है।

रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन महाकाव्य आध्यात्मिक खोजकर्ताओं (ancient inventions) के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करती है। जो लोगों को बुराई पर अच्छाई की जीत के बारें में बताती है। भारतीय पौराणिक कथाओं के कई किंवदंतियां सदियों से चली आ रही हैं, या तो मौखिक है या फिर सावधानी से रखे गए दस्तावेजों के माध्यम से है। ये कहानियां, जो भारतीय पौराणिक कथाओं की नींव हैं। आइये उन अविष्कारों के बारें में जानते हैं, जिनके बारें में वेदो, प्राचीन महाकाव्यों महाभारत और रामायण में पहले से ही मौजूद है, जो आज के वक्त के टॉप इंन्वेंशन माने जाते हैं।

परमाणु बम या ब्रह्मास्त्र ?

सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान जब अमेरिका ने जापान पर हमला करके परमाणु बम गिराया था, तो इसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। सबसे शक्तिशाली हथियार, परमाणु बम आज दुनिया के कुछ ही देशों के पास है।

डॉ जूलियस रॉबर्ट ओपेनहाइमर, जिन्होंने एटम बम का आविष्कार किया था जिन्हें “परमाणु बम के जनक” के रूप में भी जाना जाता है, एक थ्योरेटिकल फिजिक्स साइंटिस्ट थे, जिनकी दर्शन में भी गहरी रुचि थी। उन्होंने भगवद गीता का के एक श्लोक को उद्धृत करते हुए कहा था कि – ” हम जानते थे कि दुनिया एक जैसी नहीं होगी। कुछ लोग हंसे। कुछ लोग रोए। ज्यादातर लोग चुप थे। मुझे हिंदू धर्मग्रंथ, भगवद-गीता की पंक्ति याद आ गई। विष्णु राजकुमार को राजी करने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें अपना कर्तव्य निभाना चाहिए, और उन्हें प्रभावित करने के लिए, अपने बहु-सशस्त्र रूप धारण कर लेते हैं और कहते हैं, ‘अब मैं मृत्यु बन गया हूं, दुनिया का नाश करने वाला।’ मुझे लगता है कि हम सभी ने किसी न किसी तरह से यही सोचा है।

” परमाणु हथियारों और हिंदू पौराणिक कथाओं (ancient inventions) के बीच बहुत गहरा संबंध है। जिसका उदाहरण ब्रह्मास्त्र है। ये सारे हथियारों में सबसे घातक माना जाने वाला अस्त्र है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ये बहुत विनाशकारी और परमाणु हथियारों जितना शक्तिशाली है। देवता जब इस हथियार को छोड़ते हैं ये सब कुछ नष्ट कर सकता है। कुछ ही लोगों को ये हथियार प्राप्त थे। केवल कुछ ही लोगों को उनका उपयोग करने की अनुमति थी। ब्रह्मास्त्र का उपयोग के लिए गुप्त मंत्र पढ़ना होता है। शायद यही वजह है कि अब सिर्फ 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं। क्या ये समानता नहीं हैं?

प्राचीन विमान या आधुनिक हवाई जहाज?

हिन्दी में एयरोप्लेन को ‘विमान’ कहते हैं। ये शब्द मूल रूप से रामायण में इस्तेमाल हुआ था। रामायण के सुंदर खंड, रामायण और पुस्तक 10, श्रीमद भगवतम के अनुसार, आधुनिक विमानों का आविष्कार हजारों साल पहले हुआ था। हिंदू मेथेलॉजिकल कथा के अनुसार, देवता, ‘कुबेर’ और ‘रावण’ भाई-भाई थे। दूसरी ओर, रावण ने कुबेर को हरा दिया और उसकी सारी संपत्ति, और ‘स्वर्ण लंका’ हड़प लिया था। रावण ने कुबेर के उड़ने वाले वाहन ‘पुष्पक विमान’ पर भी अपना अधिकार जमा लिया था। ये विमान विचार की गति से चल सकता था।

कैलिफ़ोर्निया के एक वैज्ञानिक ने रामायण का अध्ययन किया था, पुष्पक विमान डिज़ाइन के आधार पर एक 3D मॉडल बनाया था।

कृत्रिम गर्भ या अयोनिजा?

साइंस की तरक्की के साथ ही अब सभी जानते हैं कि सरोगेसी, स्पर्म डोनेशन और एग फ्रीजिंग के ऑप्शन बच्चा पैदा करने के लिए हैं। इसी तरह, एक कृत्रिम गर्भ में एक बच्चे को उसकी मां के गर्भ के बाहर विकसित करने की परमीशन देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं? महाभारत में कृतिम गर्भ का उल्लेख मिलता है। महाभारत के अनुसार, गांधारी को वरदान मिला था कि उसका पुत्र एक शक्तिशाली योद्धा होगा, लेकिन जब उसे युधिष्ठिर के जन्म के बारे में पता चला, तो वो क्रोधित होकर खुद को कुचल दिया था। जब ऋषि व्यास को इसके बारें में पता चला तब द्रव्यमान की गेंद को 100 टुकड़ों में काट दिया और प्रत्येक को मिट्टी के बर्तन में रख दिया। कौरवों का जन्म इसी तकनीक के तहत हुआ था। जो ये दर्शाता है कि ‘अयोनिजा’ या गर्भ के बिना जन्म एक संभावना है। वहीं द्रोणाचार्य का जन्म ऋषि भारद्वाज के बीज को पत्ते के प्याले में रखने के फलस्वरूप हुआ था। ये अपरंपरागत अवधारणा महाभारत में पाई जाती है।


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Author: Admin Editor MBC

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