पौराणिक कथा : क्या आप जानते हैं पौराणिक कथाओं के अनुसार गंगा नदी के उद्गम की कहानी
हमारा देश भारत न जाने कितनी विविधताओं को अपने आप में समेटे हुए है। विभिन्न संस्कृतियों का खजाना और विभिन्न कलाओं से ओत प्रोत भारत देश न सिर्फ यहां बल्कि पूरे विश्व में अपनी खूबियों के लिए जाना जाता है। भारत की खूबियों में से एक हैं इसकी नदियां। वास्तव में समय ने न जाने कितनी बार रुख बदला लेकिन नदियों की दिशा नहीं बदली। भारत की पवित्र नदियां सदियों से अपने जल से जन मानस को पवित्र करती जा रही हैं और लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति करती जा रही हैं।
भारत की ऐसी ही सबसे पवित्र नदियों में से एक है गंगा नदी। शिव की जटाओं से निकलकर हिमालय पर्वत की चोटियों तक गंगा नदी का प्रवाह कुछ अनोखी कहानी प्रस्तुत करता है। यह एक ऐसी नदी है जिसमें स्नान मात्र से लोगों का शरीर पवित्र हो जाता है। इस नदी का पवित्र जल घर के हर एक कोने को पवित्र करता है और अपनी अनोखी विशेषताओं की वजह से कभी खराब नहीं होता है। पौराणिक कथाओं में गंगा नदी के उद्गम की कई कहानियां प्रचलित हैं।
पवित्र ग्रंथों में गंगा का जिक्र
महाभारत में वर्णित कथाओं में गंगा को देवी गंगा के रूप में माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि गंगा नदी माता मैना और हिमालय की पुत्री थीं। गंगा, जाह्नवी और भागीरथी के नाम से पुकारी जाने वाली गंगा नदी भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। यह मात्र एक जल का स्रोत नहीं है, बल्कि भारतीय मान्यताओं में यह नदी पूजनीय भी है जिसे ‘गंगा मां’ अथवा ‘गंगा देवी’ के नाम से सम्मानित किया जाता है। पुराणों के अनुसार गंगा पृथ्वी पर आने से पहले सुरलोक में रहती थी। फिर गंगा नदी ने पर्वतराज हिमालय और सुमेरु पर्वत की पुत्री मैना के घर में कन्या रूप में जन्म लिया और उनका पृथ्वी पर अवतरण हुआ। रानी मैना की दो रूपवती एवं सर्वगुण सम्पन्न कन्याएं थीं, जिनमें से बड़ी पुत्री गंगा और छोटी उमा थीं। एक बार सुरलोक में रहने वाले देवताओं की दृष्टि गंगा पर पड़ी और विश्व कल्याण हेतु उसे अपने साथ स्वर्गलोक ले गए।
पुराणों के अनुसार गंगा की उत्पत्ति
हिंदू पौराणिक कथाओं में गंगा नदी का निर्माण तब हुआ जब भगवान विष्णु ने वामन के रूप में अपने अवतार में ब्रह्मांड को पार करने के लिए दो कदम उठाए। दूसरे चरण में विष्णु के बड़े पैर के अंगूठे ने गलती से ब्रह्मांड की दीवार में एक छेद बना दिया और इसके माध्यम से मंदाकिनी नदी का कुछ पानी गिरा दिया। इस बीच राजा भगीरथ यह पता लगाने के लिए चिंतित थे कि राजा सगर के 60,000 पूर्वजों को वैदिक ऋषि कपिला को भस्म कर दिया गया था। इन पूर्वजों को स्वर्ग की प्राप्ति के लिए भगीरथ ने कपिला से पूछा कि यह कैसे प्राप्त किया जा सकता है। उनकी पवित्रता अउ उध्दार का एक मात्र मार्ग गंगा का जल ही था। उस समय भगीरथ की धर्मपरायणता से प्रसन्न होकर देवता, गंगा को पृथ्वी पर उतारने के लिए सहमत हुए, जहां वह हजारों लोगों को पवित्र कर सकती थीं। इस प्रकार गंगा का पृथ्वी पर आगमन हुआ।
शिव की जटा में कैसे आईं गंगा नदी
भागीरथ एक प्रतापी राजा थे। उन्होंने अपने पूर्वजों को जीवन-मरण के दोष से मुक्त करने के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाने की ठानी। जिसके लिए उन्होंने कठोर तपस्या शुरू की। गंगा उनकी तपस्या से प्रसन्न हुईं लेकिन उन्होंने कहा कि यदि वो स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरेंगीं तो पृथ्वी उनका वेग सहन नहीं कर पाएगी और संपूर्ण पृथ्वी पाताल में चली जाएगी। यह सुनकर भागीरथ सोच में पड़ गए। उस समय गंगा को यह अभिमान था कि कोई उसका वेग सहन नहीं कर सकता। इसलिए भागीरथ ने भगवान शिव की उपासना शुरू कर दी। उनकी प्रार्थना से शिव जी प्रसन्न हुए और भागीरथ से वर मांगने को कहा। भागीरथ ने अपनी इच्छा शिव जी के समक्ष रखी और जैसे ही गंगा स्वर्ग से उतरीं शिव जी ने उनका घमंड तोड़ने के लिए उन्हें अपनी जटाओं में कैद कर लिया। उसके बाद अत्यंत आग्रह के बाद शिव जी ने गंगा को एक पोखर में छोड़ दिया जहां से वो सात धाराओं में बंट गईं। तभी से गंगा का एक हिस्सा शिव की जटाओं से निकलता है।
गंगा नदी का इतिहास
यदि पुराणों की बात न करें तब गंगा नदी का उद्गम स्थान उत्तराखंड है। गंगा नदी उत्तराखंड स्थित उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री से निकलकर बंगाल की खाड़ी में जा गिरती है। जहां यह मुख्य रूप से भारत में बहती हुई नेपाल और बांग्लादेश की सीमाओं के भीतर भी होती है। वहीं भारत के राज्यों में गंगा नदी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल के राज्यों से होकर बहती है। सभी नदियों में गंगा नदी सबसे पवित्र मानी जाती है क्योंकि इसका पानी कभी खराब नहीं होता है साथ ही, अन्य सभी नदियों की तुलना में गंगा में ऑक्सीजन का स्तर 25 फीसदी ज्यादा होता है। प्रसिद्ध कुंभ का मेला भी 12 वर्षों से गंगा के किनारे लगता है।
इस प्रकार पवित्र गंगा नदी का पौराणिक महत्व बहुत अधिक है और इसकी कहानी भी बहुत अनोखी है जो इसे सबसे ज्यादा पवित्र नदियों की श्रेणी में सबसे ऊपर रखती है।
– ” मोक्षभूमि ” डेस्क को फोन कर आप निशुल्क ज्योतिष,वास्तु और तीज – त्यौहार और व्रत या अन्य समस्या का समाधान पूछ सकते हैं।
नवीनतम जानकारी
Naked Bath: कभी भी न करें बिना कपड़े के स्नान, क्योंकि इनकी नाराजगी कर सकता है आपका नुकसान
Planet : आपकी परेशानियों के पीछे शनि और राहु की युति तो नहीं
Guru-Pushya Yog Today : गुरु-पुष्य के साथ वृद्धि योग आज, धन लाभ देने वाला अचूक दिन
घर में गंगाजल रखना है शुभ फिर क्यों गंगा मूर्ति रखने की है मनाही
जानिए जब आपके घर में दिखें ये संकेत तो आपके घर हो सकता है पितृ दोष
दैनिक पंचांग / राशिफल और जन्मदिन फल
Aaj Ka Panchang: आज का पंचांग, 30 मई 2023, मंगलवार
Aaj Ka Rashifal 30 मई : तुला वालों का बढ़ेगा प्रभाव , जानिए बाकी राशियों का हाल
Aaj Ka Panchang: आज का पंचांग, 29 मई 2023, सोमवार
Aaj Ka Rashifal 29th May: इन राशियों के जीवन में आएगी आज खुशियों की बहार
Aaj Ka Panchang&upay : जानिए आज के दिन का उपाय और पंचांग, 28 मई 2023, रविवार
Aaj Ka Rashifal 28th May: तुला राशि वालों को मिलेगा आज भाग्य का साथ, बाकी भी जानें अपने दिन का हाल
Aaj Ka Panchang: आज का पंचांग, 27 मई 2023, शनिवार
Aaj Ka Rashifal 27th May: इन राशियों पर रहेगी आज शनिदेव की टेढ़ी नज़र
ग्रह चाल और आप
ज्येष्ठ माह : इस मास के महत्व के साथ जानिए व्रत और त्योहारों की सूची
k1चांडाल योग : 6 अनहोनी का जन्म देगा मेष में सूर्य, गुरु और राहु की युति, जानिए इसका आप पर प्रभाव
वास्तु शास्त्र ..
जानिए गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और पक्षी को खिलाने और पानी पिलाने से क्या है किस्मत का कनेक्शन
घर में सुख-शांति के लिए आजमाए वास्तु के ये कारगर उपाय
Vastu Tips: वास्तु पुरुष के मुख से निकलता रहता है तथास्तु, घर में कभी न बोलें बुरे वचन
पवित्र देव स्थान
देव स्थान : बिना भगवान रथ पर बनें इस मंदिर के 56 स्तंभों से निकलता है संगीत..
एक मंदिर जहां नरसिंह देवता के पतले हो रहे हाथ, आखिर क्या है रहस्य, जानिए
जानिए आखिर कहां कहां है माता सीता का मंदिर, क्यों है ख़ास
धार्मिक मान्यतायें
Svapn vichar : सपने में खुद को आम खाते हुए देखने का क्या है मतलब? आम के सपने भी होते हैं ख़ास
Death in Dream: मौत के सपने आना और उसके प्रतीकात्मक अर्थ के गहरे रहस्यों के बारे में जानें
Mangal Gochar : मंगल के राशि परिवर्तन से इन जातकों का हो सकता है अमंगल, बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय
पूजा-पाठ के दौरान पत्नी को पति के किस तरफ बैठना चाहिए, आखिर क्या है वजह
जानिए आखिर प्रसाद लेने के बाद सिर पर हाथ क्यों घुमाते हैं ?
पौराणिक कथाएं
कुत्ता और मूषक को देवी-देवताओं ने अपनी सवारी चुना, मगर क्यों बिल्ली को किया नजरअंदाज
क्या आप जानते हैं शंख से शिवजी ने किया था विषपान! आज भी है मंदार पर्वत पर मौजूद
Shani dev : आखिर क्यों शनि की सवारी है कौआ, क्या है इसका धार्मिक महत्व ?
Narad Jayanti: पढ़िए नारद मुनि के पत्रकार बनने की पौराणिक कथा, नारद मुनी थे पूर्व जन्म में….
Shri Ram Brother In Law: पौराणिक कथा में जानें कौन थे श्री राम के जीजा जी
” कर्पूर गौरम करुणावतारम ” मंत्र से मिलते हैं अनगिनत फायदे, जानें इसका मतलब और महत्व
क्या चीर हरण के समय द्रौपदी रजस्वला थी ? जानिये ‘बोल्ड’ द्रौपदी से जुडी पूरी बातें
जानिये किसका अवतार थीं लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला
जब कर्ण ने श्री कृष्ण से पूछा मेरा दोष क्या था.? पढ़िए श्री कृष्ण का जवाब…
कौन हैं सुदर्शन चक्र ? जानें कैसे बने श्री कृष्ण का अस्त्र
महाभारत काल के वो पांच गांव, जिसकी वजह बना महाभारत युद्ध
राक्षसी होलिका, कैसे बनी एक पूजनीय देवी, जानें रोचक पौराणिक कथा
Mahabharat katha : आखिर क्यों गंगा ने मार दिया था अपने 7 बेटों को
पौराणिक कथा में पढ़िए कौन है खाटू श्याम जी, क्या है उनकी कहानी और 11 अनजाने रहस्य
कौन थीं शबरी ? जानिए इनके माता पिता और गुरु को
महाभारत का युद्ध : आखिर 18 नंबर से क्या था कनेक्शन, क्यों चला था 18 दिन युद्ध ?
पौराणिक कथा : जानिए आखिर कैसे हुई थी श्री राधा रानी की मृत्यु ?
आखिर क्यों अपने ही बेटे के हाथों मारे गए थे अर्जुन
पत्थर रूप में ही क्यों शिंगणापुर में प्रकट हुए शनि पढ़िए पुरी कहानी
अवश्य पढ़िए..
Wearing Tree Roots: ग्रहओं को शांत ही नहीं बीमारियों से मुक्त करते है इन पेड़ों की जड़
आखिर क्यों भंडारे में नहीं करना चाहिए भोजन, जानें असल कारण
अनोखा भंडारा : रात के अंधियारे में जलती चिताओं के बीच लोग ग्रहण करते हैं भंडारा, जानिए परंपरा
भंडारा : जानें कैसे हुई शुरुआत भंडारे की, क्या है इसे जुड़ी कथा
क्यों बद्रीनाथ में नहीं बजाया जाता शंख, जानें इसके पीछे का बड़ा रहस्य
क्या होता है पंचक, पंचक क्यों नहीं करते हैं ये पांच कार्य
जानिए हर दिन कौन कौन से पड़ते हैं काल, क्या हैं उनके नाम
शनिवार को शनि की साढ़ेसाती और ढैया के करिये ये उपाय
क्या आप भी किसी की हथेली पर बिना सोचे समझे रखते हैं कुछ भी सामान.. हो सकता हैं नुकसान
इन पांच लोगों से डरते हैं शनि देव, जानें कौन हैं ये
नई दुल्हन को काले कपड़े पहनने की क्यों होती है मनाही, जानें सही वजह
परेशानियों से बचने के लिए 5 वस्तुएं को सदा रखे तुलसी से दूर
ज्योतिष के अनुसार माथे पर चंदन का तिलक लगाने के फायदे
किनको और क्यों रखना चाहिए शिखा या चोटी, मिलता हैं ये लाभ…
भगवान विष्णु, राम और कृष्ण की तरह क्यों नहीं लगता महादेव के आगे ‘श्री’
शनि देव को शांत करने के पाँच प्रयोग, पढ़िए ब्रह्म पुराण’ में क्या कहते है शनिदेव
प्रयोग / उपाय / टोटका ..
उपाय : खुशहाली के लिए महिलाएं सिंदूर से करें ये अचूक उपाय
यदि हैं आज कोर्ट कचहरी के चक्कर से परेशान, राहत के लिए आजमाये ये उपाय
छिड़कें दो चुटकी नमक, मिलेगा जोरदार तरक्की आपको अपने करियर में
Hari Elaichi Ke Upay: नाकामयाबी को दूर कर सकते हैं हरी इलायची के ये उपाय
उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। अन्य लेख पढ़ने के लिए साथ ही अपनी सुझाव संग पसंद – नापसंद जरूर बताएं। साथ ही जुड़ें रहें हमारी वेबसाइट ” मोक्ष भूमि – काशी “ के साथ। हमारी टीम को आपके प्रतिक्रिया का इन्तजार है। 9889881111
डिसक्लेमर
इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता को जाँच लें । सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/ प्रवचनों /धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। जानकारी पूरी सावधानी से दी जाती हैं फिर भी आप पुरोहित से स्पस्ट कर लें।
Leave a Reply