Mahabharat Katha: किस श्राप के कारण अर्जुन बन गए थे किन्नर?
महाभारत काल में एक समय ऐसा भी आया था जब अर्जुन को किन्नर का रूप धर कौरवों से छुपना पड़ा था। महाभारत के अनुसार, ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं हुआ था क्योंकि पांडव कौरवों से जुए में हार गए थे और उन्हें 13 वर्ष के अज्ञातवास के लिए छुपना था। बल्कि एक कारण वो श्राप भी था जो अर्जुन को एक अप्सरा से मिला था। उसी भयंकर श्राप के कारन अर्जुन ने किन्नर वाला जीवन 1 वर्ष के लिए जिया था।माता कुंती ने पति पांडू संग इंद्र देव के मंत्रों का जाप कर अर्जुन को पुत्र रूप में प्राप्त किया था। अर्जुन इंद्रदेव के देव पुत्र माने जाते हैं। एक बार अर्जुन पिता इंद्रदेव से मिलने देव सभा पहुंचे। उस समय उर्वशी नाम की अप्सरा देवों की सभा में अपनी कला का प्रदर्शन कर रहीं थीं।उर्वशी स्वर्गलोक की सबसे सुंदर अप्सरा मानी जाती हैं और उनका पद सबसे ऊंचा है। उर्वशी ने जब अर्जुन को देखा तो उन्हें देख वह मोहित हो गईं और उन्हें रिझाने लगीं। उर्वशी ने अर्जुन को विवाह का प्रस्ताव रखा और अर्जुन को मनाने की कई कोशिशें की। हालांकि अर्जुन को उर्वशी में कोई रुचि नहीं थी। वह उर्वशी को माता मानते थे। अर्जुन ने उर्वशी की इच्छा नकार दी और उर्वशी ने क्रोध में आकर अर्जुन को श्राप दे दिया। उर्वशी ने अर्जुन को किन्नर रूप में धरती पर रहने और नपुंसक होने का श्राप दिया था। अर्जुन ने यह बात इंद्रदेव को बताई तब इंद्रदेव ने उर्वशी को शांत किया।
तब उर्वशी ने अर्जुन को वरदान देते हुए श्राप के नियमों में बदलाव किया।उर्वशी ने कहा कि अर्जुन अपनी जरूरत के हिसाब से इस श्राप का प्रयोग कर सकेंगे। साथ ही, उर्वशी ने यह भी कहा कि इस श्राप की अवधि मात्र एक साल होगी। इसके बाद अर्जुन ने इस श्राप का प्रयोग अज्ञातवास के दौरान किया था।
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