Ashadha Amavasya : आषाढ़ अमावस्या पर इन सरल उपायों से पितरों को करें खुश, उनकी कृपा से होगा उद्धार
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को आषाढ़ अमावस्या कहते हैं। अमावस्या के दिन दान और स्नान एवं पितरों के दान का बहुत महत्व होता है। इस दिन ना केवल पितृ दोष से मुक्त होते हैं, बल्कि पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। पितरों के आशीर्वाद से समाज में मान सम्मान बढ़ता है। इस वर्ष आषाढ़ अमावस्या 18 जून को होगी। आषाढ़ अमावस्या के दिन कुछ ख़ास उपाय कर शुभ परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।
नदी में करें स्नान और तर्पण
आषाढ़ अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नदी में स्नान करने जाएं। जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष है उनके लिए यह स्नान महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि नदी में स्नान संभव ना हो, तो घर पर अपने स्नान के जल में गंगाजल डाल दें। नदी में स्नान के वक्त पितरों के लिए तर्पण करें। पितरों को तिलांजलि देते समय दक्षिण की ओर ही मुख रखें।
पीपल के वृक्ष से जुड़ा ख़ास उपाय
इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करें। पीपल के पेड़ का सम्बन्ध भगवान् कृष्ण के साथ साथ पितरों से भी होता है। आषाढ़ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की जड़ों में दूध और मिश्री घुले जल को डालें। इस उपाय से पितरों की कृपा मिलती है। इसके साथ ही पीपल के पेड़ पर कलावा बांधे। पेड़ पर कलावा बाँधने के पश्चात 108 बार पेड़ की परिक्रमा करें।
इन जीवों की करें खास सेवा
इस दिन शक्कर के साथ आटे को मिलाएं। फिर इस आटे को काली चीटियों को खिलाने के लिए डालें। इस उपाय से पूर्व में जाने अनजाने में किये पापों से मुक्ति मिलती है। आषाढ़ अमावस्या के दिन नदी की मछलियों को खाना खिलाने से भी शुभ फल प्राप्त होते हैं। मान्यता अनुसार जीवों के माध्यम से ही कहीं ना कहीं हमारे पितृ-पूर्वज खाना खाते हैं। मछलियों को आटे की गोलियां डालने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और आने वाली समस्याओं से रक्षा होती है।
ये वृक्ष लगाए देगा शुभ परिणाम
इस दिन कुछ खास पेड़ पौधे लगाना शुभ माना जाता है। इस दिन पीपल, नीम, बड़ और आंवले के पौधे लगाने चाहिए। इससे पितृदोष शांत होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है।
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