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Shardiya Navratri 2023 : जानिए घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, महत्व और आरती

15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो रहे हैं। आदिशक्ति मां इस बार हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। विद्धानों के मुताबिक इस बार की नवरात्रि हर राशि के लिए काफी शुभ है क्योंकि इस नवरात्रि पर तीन संयोग बुधादित्य योग, शश योग, और भद्रयोग बन रहे हैं और ऐसा पूरे 26 सालों बाद हो रहा है।

इस नवरात्रि से पहले साल 2023 का दूसरा सूर्य ग्रहण लगने वाला है इसलिए लोगों के मन में थोड़ा नवरात्रि की पूजा को लेकर संशय हो गया था लेकिन ये ग्रहण भारत में प्रभावी नहीं है, इस कारण नवरात्रि की पूजा पर इसका कोई असर नहीं होगा।

15 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक रहेगी नवरात्रि

नवरात्र पूरे नौ दिन का है यानी कि ये 15 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 23 अक्टूबर तक रहेगा। विजयदशमी 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। आपको बता दें कि नवरात्रि में भक्तगण नौ दिन का उपवास रखते हैं और घरों में घटस्थापना करते हैं। माना जाता है कि घट स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए तभी शुभ फल की प्राप्ति होती है।

ये है घटस्थापना का महूर्त

आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा की तिथि 14 अक्टूबर को रात 11: 24 PM पर शुरू हो रही है जो कि 16 अक्टूबर को 12:32 AM पर खत्म होगी इसलिए शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से मान्य है। नवरात्रि का प्रथम दिन प्रतिपदा कहलाता है। कलश स्थापना इसी दिन की जाती है। घट स्थापना का मुहूर्त 15 अक्टूबर से 11: 44 AM से 12: 30 AM तक है।

नौ दिन होती है मां दुर्गा के इन रूपों की पूजा

शारदीय नवरात्रि प्रारंभ, शैलपुत्री पूजन ( प्रथम दिन)
द्वितीया, ब्रह्मचारिणी पूजन
तृतीया, चंद्रघंटा
चतुर्थी, कूष्मांडा
पंचमी, स्कंदमाता
षष्ठी, कात्यायनी
सप्तमी, कालरात्रि
महाअष्टमी, महागौरी
महानवमी, सिद्धिदात्री पूजन, हवन-पूजन, नवरात्रि उत्थापन

मां दुर्गा की आरती

अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
भीर पडी है भारी माँ ।
दानव दल पर टूट पडो,
माँ करके सिंह सवारी ।
सौ-सौ सिंहो से बलशाली,
अष्ट भुजाओ वाली,
दुष्टो को पलमे संहारती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
माँ बेटे का है इस जग मे,
बडा ही निर्मल नाता ।
पूत – कपूत सुने है पर न,
माता सुनी कुमाता ॥
सब पे करूणा दरसाने वाली,
अमृत बरसाने वाली,
दुखियो के दुखडे निवारती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
नही मांगते धन और दौलत,
न चांदी न सोना माँ ।
हम तो मांगे माँ तेरे मन मे,
इक छोटा सा कोना ॥
सबकी बिगडी बनाने वाली,
लाज बचाने वाली,
सतियो के सत को सवांरती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
चरण शरण मे खडे तुम्हारी,
ले पूजा की थाली ।
वरद हस्त सर पर रख दो,
मॉ सकंट हरने वाली ।
मॉ भर दो भक्ति रस प्याली,
अष्ट भुजाओ वाली,
भक्तो के कारज तू ही सारती ।
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥
अम्बे तू है जगदम्बे काली,
जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती,
ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥




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Author: Admin Editor MBC

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