Shardiya Navratri : जानिए कलश स्थापना का मुहूर्त, क्यों चित्रा-वैधृति योग समाप्ति के बाद ही होगा पूजन, कलश स्थापना का सही विधि और उनके सामग्रियां
मां दुर्गा की आराधना का नौ दिनी पर्व शारदीय नवरात्र 15 अक्टूबर 2023 रविवार से प्रारंभ हो रहा है। चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में नवरात्र का प्रारंभ हो रहा है। चित्रा-वैधृति संयोग में घट स्थापना नहीं की जाती है इसलिए इस बार घट स्थापना वैधृति योग की समाप्ति के बाद अर्थात् प्रात: 10 बजकर 24 मिनट के बाद की जा सकेगी। इस बार तिथियों की घट-बढ़ नहीं होने के कारण नवरात्रि पूरे नौ दिन रहेगी।
घट स्थापना के मुहूर्त
लाभ : प्रात: 10:24 से 10:45
अमृत : प्रात: 10:45 से दोप 12:12
अभिजित : प्रात: 11:49 से दोप 12:36
शुभ : दोप 1:39 से 3:06
शुभ : सायं 6:01 से 7:34
स्थिर लग्न कुंभ : दोप 3:10 से सायं 4:25
किस दिन क्या
15 अक्टूबर रविवार- घट स्थापना, प्रतिपदा, मां शैलपुत्री पूजन
16 अक्टूबर सोमवार- द्वितीया, मां ब्रह्मचारिणी पूजन
17 अक्टूबर मंगलवार- तृतीया, मां चंद्रघंटा पूजन
18 अक्टूबर बुधवार- चतुर्थी, मां कुष्मांडा पूजन
19 अक्टूबर गुरुवार- पंचमी, मां स्कंदमाता पूजन
20 अक्टूबर शुक्रवार- षष्ठी, मां कात्यायनी पूजन
21 अक्टूबर, शनिवार- सप्तमी, मां कालरात्रि पूजन
22 अक्टूबर, रविवार- अष्टमी, मां महागौरी पूजन
23 अक्टूबर, सोमवार- नवमी, मां सिद्धिदात्री पूजन
कैसे करें घट स्थापना
घर में घट स्थापना वैसे तो किसी विद्वान आचार्य-पुरोहित से विधि विधान से करवाई जानी चाहिए। किंतु यदि आप स्वयं करना चाहें तो यहां संक्षिप्त विधि दी जा रही है। घट स्थापना के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घट स्थापना के लिए सर्वप्रथम उस स्थान को साफ-स्वच्छ करके पवित्र कर लेना चाहिए जहां स्थापना करना हो। दो लकड़ी की चौकी रखें। एक पर पूरा लाल कपड़ा बिछाएं और दूसरी चौकी पर आधा-आधा लाल और सफेद कपड़ा बिछाएं।
सफेद कपड़े पर चावल की नौ ढेरी बनाएं ये नवग्रह हैं। लाल कपड़े पर गेहूं से 16 ढेरी बनाएं ये षोडश मातृका हैं। दूसरी चौकी पर कलश स्थापित करें, मां दुर्गा की मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें। एक मिट्टी के सकोरे में काली मिट्टी भरें। अब गणेशजी का ध्यान प्रारंभ करते हुए कलश पूजन और फिर नवग्रह षोडश मातृका पूजन करें। फिर देवी दुर्गा का पूजन करें। सकोरे में गेहूं डालकर जवारे बोएं। संपूर्ण सामग्रियों से माता का पूजन करें। नैवेद्य लगाएं, आरती करें और नौ दिनों तक अखंड जलने वाला दीपक लगाएं।
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