Dussehra Aur vijyadashmi : जानिये दशहरा और विजयदशमी के बीच क्या है अंतर ?
पवित्र नवरात्र के नौ दिन माता के अलग अलग रूपों की पूजा जारी है। नौ दिन तक चलने वाले इस त्यौहार का दसवें दिन समापन होता है जिसे दशहरा या विजयदशमी कहते हैं। वैसे देखे तो दोनों त्योहार एक ही जैसे हैं और एक ही दिन यानी दशमी के दिन ही मनाते हैं फिर भी दशहरा और विजयदशमी में थोडा अंतर है।
महिषासुर नामक राक्षस ने जब अपना अत्याचार और प्रकोप बढ़ा दिया तो देवता गण त्राहिमाम कर उठे थे। देवताओं और धर्म की रक्षा के लिए विष्णु और शिव ने मिलकर माता दुर्गा का अवतरण कराया और बाकि के देवताओं ने शक्ति की देवी दुर्गा को अपने अपने अस्त्र शस्त्र दिए। नौ दिन तक माता दुर्गा की उस राक्षस महिषासुर से लड़ाई चली और फिर दसवें दिन माता ने महिषासुर का वध कर दिया। इसलिए दशमी को दशहरा भी कहते हैं और सत्य की असत्य पर विजय को त्यौहार के रूप में मनाते हैं। नौ दिन तक माता की प्रतिमा की पूजा अर्चना करने के पश्चात दशमी को प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है। मुख्य रूप से माता की ज्योत जलाना और पूजा पाठ के बाद इनकी प्रतिमा का विसर्जन ही दशहरा है।
इसी तिथि को यानी दशमी को भगवान् श्री राम ने रावण का वध भी किया था। रावण बहुत शक्तिशाली था और उसे वरदान प्राप्त था कि उसके प्राण उसकी नाभि में होगा और ये बात रावण और उसके भाई विभीषण के अलावा किसी को मालूम नहीं थी। तीनों लोक पर विजय प्राप्त करने वाला रावण अपने अत्याचार के कारण कुख्यात था। ऐसे में विष्णु के अवतार राम ने रावण को उसके अन्य भाइयों सहित मार डाला। धर्मी लोगों को रावण के अत्याचार से मुक्ति मिल गयी। एक सन्देश भी जनमानस को पंहुचा कि आप कितने भी शक्तिशाली हो किन्तु विजय सिर्फ सत्य और धर्म की ही होगी। इसीलिए इस दशमी के दिन को विजयदशमी के रूप में भी मनाते हैं। विजयदशमी के दिन रावण का पुतला दहन करते हैं जो असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। दशहरा में महिषासुर पर माता दुर्गा की विजय का त्योहार मनाते हैं। दशहरा और विजयदशमी के बीच एक बात कॉमन है कि राम ने भी रावण का वध करने से पहले माता दुर्गा की उपासना की थी। इसलिए दोनों ही त्योहारों में माता दुर्गा की पूजा की जाती है।
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