काशी में एक देवी जिसका दर्शन लाभ मिलता वर्ष में सिर्फ चार दिन, जानिए क्या है परम्परा ओर कथा, क्यों लगती है दो किलोमीटर की लाइन
– स्वर्णमयी अन्नपूर्णा की अबकी पांच दिन होंगे दर्शन, दिन के एक बजे आम भक्तो के लिए खुलेगा पट
– अबकी धनतेरस पर एक बार फिर बटेगा मां अन्नपूर्णा के दरबार में भक्तों में खजाना
– 10 नवंबर से 14 नवंबर होगा दर्शन लाभ
धन-धान्य की देवी माता अन्न्पूर्णा के दरवार में भक्तो को प्रति वर्ष कार्तिक मास के तेरस को खजाना का विशेष प्रसाद दिया जाता है , मान्यता के अनुसार भक्तो के पेट को भरने के लिए भगवान शिव ने माता से भिक्षा का वरदान मानगा था तभी से ये परम्परा का शुरुआत हुआ, …. वर्ष में सिर्फ चार दिन धनतेरस से अन्नकूट तक ही माँ अन्नपूर्णा के सुवर्ण(सोने) की मूर्ति का दर्शन होता है। कहते तो यह भी है कि दरवार से मिले सिक्का-लावा (खजाना) को घर के तिजोरी या संदूक में रखने से कभी पैसे और अन्न की कमी नहीं होती।
क्या कहा महंत शंकर पुरी ने
अन्नपूर्णा मठ मंदिर के महंत शंकर पुरी ने बताया कि बाबा विश्वनाथ को अन्न-धन की भिक्षा देने वाली मां अन्नपूर्णा अपने भक्तों पर अबकी पांच दिन कृपा बरसाएंगी। 10 नवंबर धनतेरस से पांच दिनों तक श्रद्धालु स्वर्णमयी अन्नपूर्णा, भूमि देवी, लक्ष्मी और रजत महादेव के दर्शन का अवसर मिलेगा ।
जहां एक ओर धनतेरस के शुभ योग से देश में समृद्धि रहेगी और कोष भरा रहेगा। वहीं अभिजीत मुहूर्त में अपराह्न काल में माता का पूजन व आरती के बाद खजाने की पूजा के उपरांत आम भक्तो के लिए एक बजे दर्शन सुलभ होगा। पहली बार इस साल पांच दिन स्वर्णमयी माता के दर्शन क्रम जारी रहेगा। 14 नवंबर को अन्नकूट महोत्सव के दिन लड्डूओ की झांकी दर्शन के बाद रात्रि 11.30 बजे महा आरती के पश्चात एक वर्ष के लिए स्वर्णमयी अन्नपूर्णा का कपाट बंद कर दिया जाएगा।
50 किलो के स्वर्ण अन्नपूर्णा,भूमि,लक्ष्मी माता संग रजत महादेव के दर्शन
बाबा विश्वनाथ से जाने जाना वाला शहर बनारस में भगवान शिव के बगल में माँ अन्नपूर्णा का मंदिर स्थित है पुरे साल में अन्नकूट से 4 दिनों के लिए मंदिर परिसर के ऊपरी हिस्से में लगभग पचास किलो की सोने की मूर्ति का दर्शन के लिए भक्त लम्बी लाइन में अपने बारी का इन्तजार करते है मान्यता के अनुसार सम्पूर्ण जगत की क्षुधा (भूख) मिटाने वाली धन-धान्य की देवी के दरस-परस से वर्ष पर्यन्त धन और धान्य (खाना) की कमी नहीं होता इस मौके पर दर्शनार्थियो को खजाना का प्रसाद दिया जाता है। खजाना प्रसाद जिसमे सिक्का-लावा होता है … इस खजाने के लिए लाखो भक्त माँ के दरवार में देखे जाते है।
नित्य आनंद, अन्न, ऐश्वर्य, वरदान और आश्रित को अभय दान देने वाली काशीपुराधीश्वरी माता रानी का धनतेरस क़ो प्रात: काल षोडशोपचार पूजन एवं महाआरती के बाद दर्शन-पूजन एवं खजाना प्रसाद का वितरण होता है , जो कि रात 11 बजे तक जारी रहता है ।इस मौके पर मंदिर का विशेष श्रृंगार के साथ ही पूजन अर्चन भी सम्पन होता है।
ऐसे जाये दर्शन क़ो भक्त
मंदिर प्रबंधन द्वारा सुगम दर्शन के मद्देनजर भक्तों को गौदोलिया/ बांसफाटक से कोतवालपूरा होते गेट नंबर एक ढुंढिराज से प्रवेश करा कर मुख्य द्वार अन्नपूर्णा मंदिर में प्रवेश दिया जायेगा । जहां से भक्त मंदिर प्रांगण ने प्रवेश करते ही बाएं हाथ की तरफ बनी अस्थायी सीढियों से प्रथम तल स्थित स्वर्णमयी माता का दर्शन करा के श्रद्धालु क़ो कालिका गली से निकला जायेगा ।
यह है मान्यता –
.बाबा भोले की नगरी के रूप में विख्यात काशी दुनिया का सबसे पुराना एक मात्र ऐसा शहर है, जिसका हजारों वर्ष पुराना लिखित इतिहास मौजूद है। यहां गंगा के पश्चिमी घाट पर भगवान शिव के बारह ज्योर्तिलिंग में से एक विश्वेश्वर लिंग पर काशी विश्वनाथ जी का मंदिर है। इसी मंदिर के निकट दक्षिण पश्चिम दिशा में माँ अन्नपुर्णा देवी का मंदिर है जो भक्तों को अन्न धन प्रदान करने वाली माँ अन्नपूर्णा का दिव्य धाम है ! दीपावली के पहले पड़ने वाले धनतेरस के दिन माँ का अनमोल खजाना खोला जाता है और श्रधालुयों में इसकों साल में केवल एक दिन धनतेरस के दिन बाटा जाता है जिसके पीछे की मान्यता है की इस खजाने के पैसे को अगर अपने घर में रखा जाये तो कभी धन,सुख ,और समृद्धि में कमी नहीं होती ।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान् शिव ज़ब काशी आये तो लोगों का पेट भरने के लिए उन्होंने माँ अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी ! माँ ने भिक्षा के साथ साथ भगवान् शिव को यह वचन भी दिया की काशी में कभी भी कोई भूखा नही सोयेगा !काशी में आने वाले हर किसी को अन्न माँ के ही आशीर्वाद से प्राप्त होता है …भगवान शंकर खुद माँ के दरबार में कतार बद्ध होकर आते है !माता अन्नपुर्णा के मंदिर में स्वर्ण प्रतिमा का दर्शन धनतेरस के दिन से चार दिनों के लिये होता है …. लेकिन इस वर्ष 5 दिनों तक। माता का खजाना श्रधालुयों में इसी दिन बाटा जाता है मान्यताये है की माँ के खजाने से प्राप्त धन ,पुष्प को अपने घर के पूजा घर या अपने खजाने में रखा जाये तो उसमे परिवार में धन धान और यश की वृद्धि होती है !
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