Paush Purnima : आज है पौष पूर्णिमा, क्या है मुहूर्त और महत्व ?
साल की पहली पूर्णिमा यानी की पौष पूर्णिमा का इंतजार बड़ी शिद्दत से होता है, वैसे तो हर मास की पूर्णिमा खास होती है लेकिन पौष पूर्णिमा का काफी महत्व है।
कहते हैं कि इस दिन पूजा और दान-पुण्य करने से इंसान के हर दुख का अंत होता है और उसे सुख-वैभव की प्राप्ति होती है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान-पुण्य किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से इंसान के सारे पापों का अंत हो जाता है।
इस दिन मां लक्ष्मी और चंद्रमा की भी पूजा की जाती है। ऐसा करने से इंसान के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है और इंसान को हर तरह का सुख मिलता है। इस बार ये पावन दिन ल 25 जनवरी दिन गुरुवार को है।
पौष पूर्णिमा 2024 का शुभ मुहूर्त
पौष पूर्णिमा का प्रारंभ- 24 जनवरी को रात 9 बजकर 49 मिनट से
पौष पूर्णिमा का अंत- 25 जनवरी को रात 11 बजकर 23 मिनट पर
अभिजीत मुहूर्त- 25 जनवरी को 12:12 PM बजे से 12:55 PM
सूर्योदय – 25 जनवरी को 07:13 AM
चंद्रोदय – 25 जनवरी को 05:29 PM
पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
उपवास का संकल्प लें।
सूर्य देव को अर्घ्य दें।
मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करें।
त्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करें।
आरती करें, प्रसाद बांटे और फिर व्रत खोलें।
मां लक्ष्मी के मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
धनाय नमो नम:
ॐ लक्ष्मी नम:
ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:
लक्ष्मी नारायण नम:
चंद्रमा की आरती
ॐ जय सोम देवा,
स्वामी जय सोम देवा।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी।
रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी।
दीन दयाल दयानिधि, भव बंधन हारी।
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।
सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि।
योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, संत करें सेवा।
वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी।
प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी।
शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी।
धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे।
विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी।
सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें।
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा।
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