Mauni amavasya : मौनी अमावस्या के दिन जरूर करें मौन स्नान, मोक्ष की हो सकती है प्राप्ति
पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। इससे व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति हो सकती है।
हिंदू धर्म में सभी तिथि को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता हैष। वहीं माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को माघी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने की मान्यता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन मौन रहकर स्नान और दान करता है। उसकी सभी मनोकामना पूरी हो सकती है और ग्रह दोषों से भी छुटकारा मिल सकता है।
इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद सूर्योदय के बाद सूर्यदेव को दूध और तिल से अर्घ्य देना भी लाभकारी माना जाता है। अब ऐसे में इस दिन मौन रहकर स्नान करने का क्या महत्व है।
जानें कब है मौनी अमावस्या?
माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत दिनांक 09 फरवरी को सुबह 08 बजकर 02 मिनट से लेकर इसका समापन दिनांक 10 फरवरी को सुबह 04 बजकर 28 मिनट पर होगा। अब ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से इस साल दिनांक 09 फरवरी को मौनी अमावस्या मनाई जाएगी।
मौन स्नान का क्या है महत्व ?
सभी अमावस्या तिथि में मौनी अमावस्या तिथि को उत्तम माना गया है। इस दिन मौन रहना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति हर काम को मौन रहकर करता है। उसके सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्ति होती है और शुभ परिणाम भी मिलते हैं। इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान जरूर करें और अगर आप नदी में स्नान करने में असमर्थ हैं, तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। इससे आपको लाभ हो सकता है।
वहीं सूर्योदय होने के बाद तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, वस्त्र और आंवला का दान अवश्य करें और इस बात का ध्यान रखें कि मौन रहकर ही दान करें। इस दिन पितरों को अर्घ्य देना और तर्पण करना भी बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए अमावस्या तिथि के दिन इन चीजों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
स्नान करने के दौरान मंत्र का जाप
मौनी अमावस्या के दिन स्नान करने के दौरान इन मंत्रों का मन में ही जाप करें।
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।
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