Home 2024 Chaitra maas : हिन्दू कैलेंडर के प्रथम माह चैत्र, जानिए इस मास का महत्व और व्रत-त्योहार

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Chaitra maas : हिन्दू कैलेंडर के प्रथम माह चैत्र, जानिए इस मास का महत्व और व्रत-त्योहार

फाल्गुन महीना हिंदू कैलेंडर का आखिरी माह होता है, इसके बाद चैत्र महीना शुरू होता है, जो हिंदी पंचांग का पहला माह माना गया है। चैत्र महीने से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है, वहीं धार्मिक मान्यता अनुसार ब्रह्मा जी ने चैत्र महीने से ही सृष्टि की रचना की थी इसलिए इसका सबसे ज्यादा महत्व है।

चैत्र महीना 2024 कब से शुरू

चैत्र महीना 26 मार्च 2024 से शुरू होगा। इसका समापन 23 अप्रैल 2024 को होगा। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष शुरू होता है। इसी दिन से मां दुर्गा का सबसे बड़ा पर्व चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है।

ईरान में इस तिथि को ‘नौरोज’ यानी ‘नया वर्ष’ मनाया जाता है। आंध्र में यह पर्व ‘उगादिनाम’ से मनाया जाता है। उगादिका अर्थ होता है युग का प्रारंभ, अथवा ब्रह्मा की सृष्टि रचना का पहला दिन।

इस प्रतिपदा तिथि को ही जम्मू-कश्मीर में ‘नवरेह’, पंजाब में वैशाखी, महाराष्ट्र में ‘गुडीपड़वा’, सिंध में चेतीचंड, केरल में ‘विशु’, असम में ‘रोंगली बिहू’ आदि के रूप में मनाया जाता है।

विक्रम संवत की चैत्र शुक्ल की पहली तिथि से न केवल नवरात्रि में दुर्गा व्रत-पूजन का आरंभ होता है, बल्कि राजा रामचंद्र का राज्याभिषेक, युधिष्ठिर का राज्याभिषेक, सिख परंपरा के द्वितीय गुरु अंगददेव का जन्म हुआ था।

प्राचीन काल में दुनिया भर में मार्च को ही वर्ष का पहला महिना माना जाता था। आज भी बहीखाते का नवीनीकरण और मंगल कार्य की शुरुआत मार्च में ही होती है। ज्योतिष विद्या में ग्रह, ऋतु, मास, तिथि एवं पक्ष आदि की गणना भी चैत्र प्रतिपदा से ही की जाती है। मार्च से ही सूर्य मास अनुसार मेष राशि की शुरुआत भी मानी गई है।

चैत्र माह नामकरण

अमावस्या के पश्चात चन्द्रमा जब मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में प्रकट होकर प्रतिदिन एक-एक कला बढ़ता हुआ 15वें दिन चित्रा नक्षत्र में पूर्णता को प्राप्त करता है, तब वह मास ‘चित्रा’ नक्षत्र के कारण ‘चैत्र’ कहलाता है। इसे संवत्सर कहते हैं जिसका अर्थ है ऐसा विशेषकर जिसमें बारह माह होते हैं।

इस दिन का महत्व

पौराणिक मान्यता अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी। इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में अथाह जलराशि में से मनु की नौका का सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था। प्रलयकाल समाप्त होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई। चैत्र माह में सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, इसके बाद सौर कैलेंडर की शुरुआत होती है।

पूजा-पाठ

हिन्दू धर्म के प्रत्येक माह के दो हिस्से होते हैं पहला शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण पक्ष। चैत्र माह की शुरुआत शुक्ल प्रतिपदा तिथि से होती है। शुक्ल अर्थात जब चंद्र की कलाएं बढ़ती है और फिर अंत में पूर्णिमा आती है। इस माह की प्रत्येक तिथि को किसी न किसी देवता के पूजन का विधान है।

चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहते हैं। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं। शीत ऋतु की शुरुआत आश्विन मास से होती है, सो आश्विन मास की दशमी को ‘हरेला’ मनाया जाता है। ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत चैत्र मास से होती है, सो चैत्र मास की नवमी को हरेला मनाया जाता है। इसी प्रकार से वर्षा ऋतु की शुरुआत श्रावण माह से होती है, इसलिये श्रावण में हरेला मनाया जाता है।

शुक्ल तृतीयों को उमा, शिव तथा अग्नि का पूजन करना चाहिए। शुक्ल तृतीया को दिन मत्स्यजयन्ती मनानी चाहिए, क्योंकि यह मन्वादि तिथि है। चतुर्थी को गणेशजी का पूजन करना चाहिए। पंचमी को लक्ष्मी पूजन तथा नागों का पूजन। षष्ठी के लिए स्वामी कार्तिकेय की पूजा। सप्तमी को सूर्यपूजन।

अष्टमी को मां दुर्गा का पूजन और इस दिन का ब्रह्मपुत्र नदी में स्नान करने का महत्त्व भी है। नवमी को भद्रकाली की पूजा करना चाहिए। दशमी को धर्मराज की पूजा। शुक्ल एकादशी को कृष्ण भगवान का दोलोत्सव अर्थात कृष्णपत्नी रुक्मिणी का पूजन। द्वादशी को दमनकोत्सव मनाया जाता है।

त्रयोदशी को कामदेव की पूजा। चतुर्दशी को नृसिंहदोलोत्सव, एकवीर, भैरव तथा शिव की पूजा। अंत में पूर्णिमा को मन्वादि, हनुमान जयंती तथा वैशाख स्नानारम्भ किया जाता है। वैसे वायु पुराणादि के अनुसार कार्तिक की चौदस के दिन हनुमान जयन्ती अधिक प्रचलित है। चैत्र मास की पूर्णिमा को ‘चैते पूनम’ भी कहा जाता है।

चैत्र माह में क्या करें

चैत्र माह में सूर्योदय से पहले उठकर ध्यान और योग करें। इससे आप तनाव मुक्त और स्वस्थ्य रहते हैं।
सूर्य और मां दुर्गा, राम जी की उपासना करना चाहिए। इससे हर संकट दूर होता है।
चैत्र महीने के दौरान नियम से पेड़-पौधों को जल से सींचें. इससे कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है।

चैत्र माह में क्या न करें

ये महीना भक्ति और संयम का माना जाता है। इस महीने से ही वसंत ऋतु विदा और ग्रीष्म ऋतु आरंभ होती है। गर्मी बढ़ने लगती है, प्रकृति के बदलाव के वातावरण में बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में कुछ स्वास्थ के प्रति विशेष सावधानियां रखें। इस महीने से बासी भोजन न खाएं।
चैत्र महीने में भोजन में अनाज का उपयोग कम से कम और फलों का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए।
किसी को तन-मन से चोट न पहुंचाएं।

चैत्र माह 2024 व्रत-त्योहार

26 मार्च 2024 (मंगलवार) – चैत्र माह शुरू

27 मार्च 2024 (बुधवार) – होली भाई दूज

28 मार्च 2024 (गुरुवार)- भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी, छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती

30 मार्च 2024 (शनिवार) – रंग पंचमी

1 अप्रैल 2024 (सोमवार) – शीतला सप्तमी

2 अप्रैल 2024 (मंगलवार) – शीतला अष्टमी

5 अप्रैल 2024 (शुक्रवार) – पापमोचनी एकादशी, पंचक शुरू

6 अप्रैल 2024 (शनिवार) – शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण)

7 अप्रैल 2024 (रविवार) – मासिक शिवरात्रि

8 अप्रैल 2024 (सोमवार) – चैत्र अमावस्या, सोमवती अमावस्या, सूर्य ग्रहण

9 अप्रैल 2024 (मंगलवार) – चैत्र नवरात्रि, उगाडी, घटस्थापना, गुड़ी पड़वा, झूलेलाल जयंती

10 अप्रैल 2024 (बुधवार) – चेटी चंड

11 अप्रैल 2024 (गुरुवार) – गणगौर, मत्स्य जयंती

12 अप्रैल 2024 (शुक्रवार) – विनायक चतुर्थी

13 अप्रैल 2024 (शनिवार) – मेष संक्रांति, सोलर नववर्ष शुरू

14 अप्रैल 2024 (रविवार) – यमुना छठ

16 अप्रैल 2024 (मंगलवार) – महातारा जयंती

17 अप्रैल 2024 (बुधवार) – चैत्र नवरात्रि पारणा, रामनवमी, स्वामी नारायण जयंती

19 अप्रैल 2024 (शुक्रवार) – कामदा एकादशी

21 अप्रैल 2024 (रविवार) – प्रदोष व्रत (शुक्ल), महावीर स्वामी जयंती


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Author: Admin Editor MBC

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