Holika Dahan : होलिका दहन की आग की लपटों से जानिए शुभ-अशुभ संकेत, आखिर क्या हैं ये संकेत
होलिका दहन 13 मार्च को है। होलिका जलाने में लकड़ी, गोबर, कंडे, घास, फूस का इस्तेमाल किया जाना चाहिए लेकिन कुछ जगहों पर ऐसा नहीं किया जाता जो सर्वदा अनुचित हैं। होलिका दहन फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को करते हैं। होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानते हैं। शास्त्रों की बात करें तो होलिका दहन भद्रा रहित मुहूर्त में प्रदोष काल में करते हैं, लेकिन भद्रा हो तो उसके समापन के बाद होलिका दहन का विधान बताया गया है। होलिका दहन के बाद होलिका से निकलने वाली आग की लपटें शुभ और अशुभ संकेत को भी देती हैं।
होलिका दहन वाले दिन शुभ मुहूर्त में विधि विधान से होलिका की पूजा करते हैं, उसके बाद होलिका दहन। दहन के वक़्त आग की लपटें तेज और ऊंची होती हैं तो वे किस दिशा में जा रही हैं, उससे कई मायने हैं। तो आइये पहले जानते हैं कौन थी होलिका..
कौन थी होलिका
होलिका हिरण्याक्ष एवं हिरण्यकसिपु नामक दैत्यों की बहन और कश्यप ऋषि और दिति की कन्या थी। जिसका जन्म जनपद- नगलाडांङा कासगंज के सोरों शूकरक्षेत्र नामक स्थान पर हुआ था।होलिका राक्षसी भक्त प्रहलाद की बुआ थी। जब हिरण्यकश्यपु कई तरीको से भक्त प्रहलाद को न मार पाया तब जा के अपने भाई असुर हिरण्यकश्यपु के आदेश पर प्रहलाद को मारने के लिए आग में प्रहलाद बच्चे को लेकर बैठ गयी थी। होलिका राक्षसी को ब्रह्मदेव से वरदान प्राप्त था की अग्नि उसका कुछ नहीं बिगाड़ पायेगी अर्थात अग्नि में जलेगी नहीं।
अब आइये जानते हैं होलिका की लपटों के दिशा की…
पूर्व दिशा में
होलिका दहन के समय होलिका की आग की लपटें यदि पूर्व दिशा की ओर जा रही हैं तो इसे शुभ संकेत कहा जाता है। इसका मतलब है कि इस होलिका दहन से राजा और प्रजा को सुख प्राप्त होने वाला है। यह लोगों के लिए कल्याणकारी है और देश के नेतृत्वकर्ता के लिए शुभ फलदायी है।
पश्चिम दिशा में
यदि होलिका दहन के दौरान आग की लपटें पश्चिम दिशा में जाती हैं तो इसे शुभ संकेत माना जाता है। उत्तर दिशा में आग की लपटों के जाने का मतलब है कि इस बार आम लोगों के सुख और समृद्धि में बढ़ोत्तरी होगी। होलिका दहन उनके लिए कल्याणकारी होगी।
उत्तर दिशा में
होलिका दहन के वक्त आग की लपटें उत्तर दिशा में जाती हैं तो भी इसे अशुभ संकेत माना जाता है। आग की लपटों का उत्तर दिशा में जाने का मतलब है कि तेज हवाएं चल सकती हैं, तूफान आ सकता है और तेज बारिश हो सकती है। भारी बारिश के कारण लोगों को परेशानी हो सकती है।
दक्षिण दिशा में
होलिका दहन की आग की लपटें दक्षिण दिशा में जाती हैं तो यह अशुभ संकेत देती हैं। इसका अर्थ यह है कि उस क्षेत्र में आग की घटनाएं बढ़ सकती हैं। अकाल सी स्थिति बन सकती है. लोगों को भोजन और अन्न के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
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विश्वनाथ मंदिर 1.5 km, कालभैरव 2 km, संकटमोचन .75km, अस्सी घाट .50 km
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