वह बूढ़ा…
पड़ोसी अन्नू के आग्रह और जिद पर अमित उसके साथ शादी अटेंड करने को तैयार हो गया था। मिर्जापुर के चुनार में अन्नू की रिश्तेदारी में शादी थी। मगर हां ना के चक्कर में शाम के सात बज चुके थें। ठंड का सीजन था सूरज भी बादलों की गोद में अब छुप गया था।
अमित ने अपनी पुरानी मारुती जेन में चाभी घुमाई तो एक दो बार के बाद गाड़ी खड़खड़ाहट के साथ स्टार्ट हो गयी। ड्राइविंग सीट सम्भालते हुए अमित ने अन्नू से बैठने का इशारा किया तो अन्नू और उसकी पत्नी पिछली सीट पर बैठ गयीं।
मारुती जेन राजघाट पुल होते हुए टेंगरा मोड़ क्रास की तो ठंड ने अपना रूप दिखाना चालू किया। दिसम्बर का महीना होने के कारण मौसम बेहद सर्द हो गया था। रोड पर कोहरा बढ़ने लगा था।
नरायनपुर के आगे बढ़ते ही रोड पर गाड़ियों का आवागमन भी कम हो गया था। इक्का दुक्का ट्रक ही अब रोड पर दिखाई दे रही थी। सड़क सुनसान ऊपर से घनी काली रात माहौल को डरावना बना रही थी।
अमित धीमी रफ्तार से गाड़ी चलाते हुए आगे बढ़ रहा था। इसका कारण यह था कि एक तो रोड पर कोहरा दूसरे सड़क किनारे गहरी खाई थोड़ी सी रफ्तार जान लेवा हो सकती थी।
रात 9 बजे के लगभग कार जमुई से पहले एक पुल के पास पहुँची ही थी तब से अचानक से एक बूढ़ा व्यक्ति झटके से सड़क पार करने की कोशिश करता है। अमित के ब्रेक मारते मारते मारुती जेन के बोनट बम्पर और सड़क के मध्य गैप में घुस जाता है।
वीराने में हुई इस दुर्घटना से अमित औऱ अन्नू के होश फाख्ता हो जाते हैं। काँपते हाथों से गाड़ी की चाभी कटकर दोनों उतरते हैं। तो देखते हैं कि अजीब से शक्ल का वह बूढ़ा मर चुका है।
मगर आश्चर्य की बात यह थी कि इस ठंड में भी उसके शरीर पर कपड़े के नाम पर कुछ नहीं था। उसके शरीर पर थोड़ा खरोंच का निशान था जिससे खून की बजाय पानी जैसा कोई पदार्थ निकल रहा था। दो ही मिनट में उसका शरीर एकदम से अकड़ गया था।
उसे मरा देख अमित अन्नू के चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगीं थीं। इस ठंड में भी अमित के माथे पर पसीने की बूंदे चुचुहा गयीं।
अब अमित अन्नू जल्द से जल्द उस बूढ़े की लाश को बम्पर के नीचे से खींचकर किनारे करना चाहते थें ताकि किसी के आने से पहले वह वहां से दूर निकल जाएं।
दोनों ने कांपते हाथों से बूढ़े की लाश को कार के नीचे से खींचकर किनारे करते हुए। जल्द से कार में आकर बैठ गयें।
अमित कार स्टार्ट करने के लिए चाभी लगाने की कोशिश करता है। मगर हाथ लगातार कांपने की वजह से चाभी दो बार गिर गयी। तीसरी बार में गाड़ी स्टार्ट हुई तो फिर अन्नू के रिश्तेदार के यहाँ ही जाकर रुकी।
अब जाकर अमित के जान में जान आई थी। मगर दुर्घटना में बूढ़े के मर जाने का अपराधबोध के कारण वह पूरी रात करवटें बदलता रहता है।
सुबह होते ही अमित कार स्टार्ट करता है और पहुँच जाता है दुर्घटना स्थल। मगर न तो वहां कोई लाश थी न ही दुर्घटना होने की कौतूहल।अमित आश्चर्यचकित था। मन में तमाम प्रकार के सवालात लिए वह बगल की एक चाय की दुकान पर पहुँचता है।
चाय की चुस्कियों के साथ अमित दुकानदार पूछता है कि भईया यहां कल रात को कोई दुर्घटना हुई थी क्या..?
दुकानदार गर्दन हिलाते हुए इंकार कर जाता है। अमित खुद को शो न करते हुए फिर से कहता है कि भईया मेरे परिचित बता रहे थें की कल यहीं पर दुर्घटना हुई थी कोई मर गया था।
दुकानदार बताता है कि अगर कोई दुर्घटना हुई होती तो मैं यही बगल में ही रहता हूँ मुझे पता हो जाता है।
अगर कोई मरता तो पुलिस जरूर पूछताछ करने मेरे दुकान पर आती है। वैसे भी मैं भोर में आ जाता हूँ। ऐसा कुछ हुआ रहता तो मैं आपको बता देता।
तब अमित ने हिम्मत बांधकर दुकानदार को रात की पूरी घटना बताई।
दुकानदार हँसते हुए, अरे आप भाग्यशाली थें जो बच गयें। उस बूढ़े आदमी को मरे हुए दस साल हो गयें हैं। मगर रात होते ही वह अचानक से किसी गाड़ी के सामने दौड़ के आ जाता है। बहुत से लोग उसको बचाने के चक्कर में गाड़ी सहित उस खाईं में गिरकर जान गवां चुके हैं।
यह घटना सत्य औऱ वर्ष 2006 की है। अमित उस घटना के बाद कई बार चुनार गया मगर उस रोड से नहीं।
विनय मौर्या।।
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