Home 2022 जाने दिवाली के दिन क्यों बनती है सूरन की सब्जी और क्या है इसके चमत्कारिक उपाय……।

" मोक्ष भूमि " आपका अभिनंदन करता हैं। धार्मिक जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहिये।   निवेदन : " मोक्षभूमि " डेस्क को 9889940000 पर व्हाट्सअप कर निशुल्क ज्योतिष,वास्तु, तीज - त्यौहार और व्रत या अन्य समस्या का समाधान पूछ सकते हैं।

जाने दिवाली के दिन क्यों बनती है सूरन की सब्जी और क्या है इसके चमत्कारिक उपाय……।

जाने दिवाली के दिन क्यों बनती है सूरन की सब्जी और क्या है इसके चमत्कारिक उपाय……

दीपावली के अवसर पर यूपी तथा आसपास के तमाम क्षेत्रों में सूरन की सब्जी बनाने की परंपरा है । सूरन को कुछ लोग जिमीकंद के नाम से भी जानते हैं ।

आइए जानते हैं सूरन की सब्जी का दीपावली से क्या संबंध है। हिंदू धर्म में दीपावली पर सूरन की सब्जी बनाने की काशी यानी बनारस से ही यह परंपरा आई है यह सब्जी एक गोलाकार ऐसी सब्जी है जो आलू की तरह मिट्टी के नीचे उगाई जाती है ।और जड़ खोद कर इसे निकाला जाता है ।कहते हैं इसे निकालने के बाद भी इसकी जड़ें मिट्टी में ही रह जाती हैं और अगली दिवाली तक उसी जड़ से ही दोबारा सूरन तैयार हो जाता है ।इसकी यही विशेषता दिवाली पर्व की उन्नति एवं खुशहाली से इसे जोड़ती है ।

जिसके चलते इसे दिवाली के दिन घर में बनाना और खाना शुभ माना जाता है।

सेहत संवारती है सूरन…… सूरन की पैदावार दिवाली के आसपास ही होती है इसमें बहुत अच्छे एंटीऑक्सीडेंट्स ,बीटा ,कैरोटीन ,होता है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है ।इसके अलावा इसमें कई विटामिन तथा खनिज भी हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है इसमें कैलोरी, फैट ,फाइबर, प्रोटीन पोटेशियम ,घुलनशील फाइबर प्रचुर मात्रा में है सूरन कैंसर के इलाज में भी बेहद कारगर है सूरन के फायदे बहुत हैं इसलिए भी इसे त्योहार से जोड़ दिया गया है ।

परंपरा बना देने से सभी लोग इसका सेवन करते हैं ऐसी भी मान्यता है कि सूरत में लक्ष्मी जी का वास माना गया है इसलिए भी इसे दिवाली के दिन खाना महत्वपूर्ण हो जाता है। सूरन की सब्जी खाने से गले में खुजली होती है और हाथों में भी खुजली होती है इसलिए महिलाएं इसे काटने से पहले हाथों में सरसों का तेल लगा लेती हैं और इसे बनाने से पहले इमली के पानी के साथ इसे उबाल लेती हैं जिससे कि इसके अंदर खुजली करने वाले जो तत्व हैं वह नष्ट हो जाए।

परिवार के सभी सदस्य इस सब्जी को खाएं इस बात का भी ध्यान रखते हुए बड़े बुजुर्गों ने इसे परंपरा से जोड़ दिया है जिसे सब इसे खाएं और सभी स्वस्थ रहें। शालिनी त्रिपाठी

Author: adminMBC

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!