क्या आप जानते हैं ॐ शब्द और उत्पत्ति का रहस्य .. जप विधि और इसका महत्व
धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से ॐ का बड़ा ही महत्व है।
ॐ को हमारे हिंदू धर्म में महामंत्र माना गया है । ॐ शब्द शांति का भी प्रतीक माना जाता है ।ओम तीन अक्षरों से मिलकर बना है अ,उ और म। वैसे तो ॐ की उत्पत्ति का कहीं वर्णन नहीं है परंतु कुछ मान्यताओं के अनुसार ॐ की उत्पत्ति शिव के मुख से हुई है ।
ओम की कोई सीमा नहीं है सभी यंत्र ,तंत्र ,मंत्र में ओम का प्रयोग किया जाता है ।
हाल ही में यूरोपियन स्पेस एजेंसी और नासा की संयुक्त प्रयोगशाला सोहो ने संयुक्त रूप से सूर्य की किरणों से निकलने वाली ध्वनि का अध्ययन किया और पाया कि सूर्य से निकलने वाली ध्वनि हिंदू धर्म की ओम के समान ही है। हम सभी जानते हैं कि हम जब भी कभी किसी मंत्र का उच्चारण करते हैं तो उसमें सबसे पहले ओम जरूर बोलते हैं ।
ओम के बहुत सारे लाभ भी हमें मिलते हैं। पूरी सृष्टि के देवी देवता इसी ओम में विराजमान है ।यदि आपको सभी देवी देवता को खुश करना है और अपनी जिंदगी में खुशियां लानी है तो आप ओम का उच्चारण कर सकते हैं ।जब सृष्टि का सृजन हो रहा था तब सबसे पहले मुख से निकलने वाला शब्द ओम ही था संपूर्ण सृष्टि इसी ओम में समाहित है।
ओम मंत्र के जाप की विधि
ओम का उच्चारण करने के लिए सीधे पोजीशन में बैठ सकते हैं ।अपनी आंखों को बंद करके गहरी सांस लें फिर ओम का उच्चारण करें ।ओम का जाप तब तक जारी रखें जब तक कि आपकी सांस न चलने लगे। सांस चलने लगे तो धीरे-धीरे सांस छोड़ें ,और सामान्य स्थिति में आ जाए यह प्रक्रिया बार-बार दोहराए कोशिश करें कि इस दौरान पूरे शरीर में वाइब्रेशन महसूस हो अगर ओम का उच्चारण करते समय कान बंद कर ले तो और भी ज्यादा फायदा होगा।
ॐ के जाप का महत्व और लाभ
ओम के उच्चारण से गले में वाइब्रेशन होता है ।जिससे थायराइड से बचाव होता है ओम के उच्चारण से तनाव और घबराहट जैसी समस्याओं से भी हमें छुटकारा मिलता है। ओम के जाप से मानसिक शांति मिलती है ।तथा हार्ड भी हेल्दी रहता है तो जान लें कि भगवान का नाम लेने से केवल आपके कर्म ही नहीं सुधारते बल्कि आपका स्वास्थ्य भी बेहतर होता है ।भागवत गीता में तो यह भी लिखा है कि जो व्यक्ति ओम का उच्चारण करते हुए अपने शरीर का त्याग करता है वह परम गति को प्राप्त होता है ।
– शालिनी त्रिपाठी
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