माता कालरात्रि के जन्मोत्सव पर करिये चतुर्भुज श्रृंगार का दर्शन, मिलता है अकाल मृत्यु भय से मुक्ति
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समुन्द्र मंथन में शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी को कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धन्वंतरी, चतुर्दशी को काली माता और अमावस्या को भगवती लक्ष्मी जी का सागर से प्रादुर्भाव हुआ था। यानि इन तिथियों को इन देवी देवताओं का जयंती होता है। काशी के कालिका गली में स्थित कालरात्रि माता के महंथ श्री नारायण तिवारी के अनुसार माता का चतुर्भुज जन्मोत्सव श्रृंगार और अनकूट आयोजित किया गया है माता का जन्मोत्सव श्रृंगार 24 अक्टूबर यानी दीपावली के दिन मंगला आरती के साथ शुरू होगा। जबकि माता रानी के दरबार का अन्नकूट आयोजन 26 अक्टूबर को किया जाएगा।
नवरात्र के सातवें दिन अकाल मृत्यु से बचने के लिए श्रद्धालुओं ने पराम्बा कालरात्रि के दरबार में हाजिरी लगाते है। काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के निकट कालिका गली में स्थित जगदम्बा के दरबार है। देवी की स्तुति-वंदना पचरा के साथ दरबार माला-फूल, धूप-बत्ती और लोहबान की गंध से महकता रहा। भोर से लेकर पूरे दिन तक दरबार में गूंजती घंटियों की आवाज और रह-रहकर जयकारा-‘‘सांचे दरबार की जय से कालिका गली गुंजायमान रहता है । विशेष अवसरों पर भोर में मंदिर के महंत की अगुवाई में माता रानी के विग्रह को पंचामृत स्नान के बाद नये वस्त्र धारण करा कर श्रृंगार किया जाता है । भोग लगाने के बाद मंगलाआरती कर मंदिर का पट आम श्रद्धालुओं केे लिए खुल जाता
ये मान्यता
उनके दर्शन-पूजन से अकाल मृत्यु नहीं होती हैं। साथ ही भक्तों की सारी कामनाएं पूरी हो जाती है। मां कालरात्रि भक्तों को सुख देने के साथ मोक्ष भी प्रदान करती हैं। मां कालरात्रि का रूप भयानक है। सिर के बाल बिखरे हैं। गले की माला बिजली की तरह चमकती है। इनके तीन नेत्र हैं। इनके श्वास से अग्नि की ज्वालाएं निकलती हैं। मां का वाहन गर्दभ है।
अति प्राचीन है यह मंदिर
मां कालरात्रि का मन्दिर इस स्थान पर सैकड़ों वर्षों से है। मंदिर के कारण ही इस क्षेत्र को कालिका गली कहा जाता है। मंदिर में मां का दिव्य रूप है। असुरों के राज रक्तबीज का वध करने के लिए मां कालरात्रि की उत्पत्ति हुई थी। मां के तीन नेत्र हैं जो ब्रह्माण्ड के समान गोल हैं। मां को नारियल बलि के रूप में चढ़ाने का विशेष महत्व है। मां को चुनरी के साथ लाल अड़हुल की माला व मिष्ठान का भोग लगाया जाता है जिससे मां अपने भक्तों को सद्बुद्धि व सुरक्षा देती है। इसलिए भयानक स्वरूप वाली माता को शुभंकरी भी कहा जाता है।
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