अन्नकुट :जानिए क्यों श्री कृष्ण के सम्मान में सबसे पहले 56 प्रकार परोसा गया था भोग
दीपावली के दूसरे दिन अन्नकूट मनाया जाता है। अन्नकूट का अर्थ है, अन्न का ढेर। आज ही के दिन योगेश्वर भगवान कृष्ण ने इंद्र का मान-मर्दन करते हुए अपने वाम हस्त की कनिष्ठा अंगुली के नख पर गोव-र्धन पर्वत उठा कर इंद्र के कोप से ब्रजवासियों की रक्षा की थी।
श्रीकृष्ण निरंतर 56 दिन तक पर्वत थामे खड़े रहे, इसलिए जब उन्होंने पर्वत को वापिस रखा तो समस्त ब्रजवासियों ने विविध प्रकार के छप्पन पकवान बनाकर खिलाए। इसलिए प्रतिवर्ष अन्नकूट उस सदियों पुराने दिवस की स्मृति में मनाया जाता है।
गोवर्धन पर्वत मथुरा से लगभग 22 किमी दूर स्थित है। गिरिराज गोवर्धन को भगवान श्री कृष्ण का साक्षात स्वरूप माना जाता है। इनकी परिक्रमा की जाती है जो अनंत पुण्य फ़लदायी होती है और मनुष्य की समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करती है।
गोवर्धन परिक्रमा 21 किमी की होती है। मार्ग में कई सिद्ध – स्थल जैसे राधा-कुण्ड, गौड़ीय मठ, मानसी-गंगा, दान-घाटी, पूंछरी का लौठा आदि मिलते हैं। जिनके दर्शन मात्र से श्रद्धालु धन्य हो जाते हैं।
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