इकलौता मंदिर जहां विराजते हैं अपने बहन संग दंड के देवता यमराज
देश के तमाम देवी-देवताओं के मंदिर में से कई मंदिर ऐसे भी है जो अपने इतिहास और पौराणिक मान्यताओं के प्रसिद्ध है। ऐसे मंदिर में एक मंदिर हैं जहां यम देव पूजने के लिए भाई दूज के दिन मंदिर में भाई-बहन की जोड़ी आते है।
यह मंदिर प्राचीन यमुना धर्मराज का मंदिर है, जो मथुरा के प्रसिद्ध विश्राम घाट पर स्थित है। भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध करने के बाद इसी स्थल पर बैठकर विश्राम किया था। तभी से इस स्थान का नाम विश्राम घाट पड़ गया। कार्तिक शुक्लपक्ष के दूसरे दिन भैया दूज के दिन लाखों की संख्या में भक्त यमुना जी में स्नान कर पूजन करते हैं।
चार भुजा धारी प्रतिमा
मंदिर में भाई यमराज और बहन यमुना की चार भुजा धारी प्रतिमा है। यमुना जी एक हाथ में भोजन की थाली, दूसरे हाथ में कमल का पुष्प लिए तीसरे हाथ से भाई को टीका कर रही हैं और चौथे हाथ से भाई से वरदान ले रही हैं। मथुरा का यह मंदिर बहुत ही खास माना जाता है, क्योंकि यह दुनिया का एकलौता ऐसा मंदिर है, जहां पर भाई-बहन की जोड़ी को पूजा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि जो भी भाई-बहन इस मंदिर में भैया दूज यानी यम द्वितीया के दिन एकसाथ स्नान करते हैं उन्हें मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
ये हैं पौराणिक कथा
भगवान सूर्य की पत्नि संज्ञा के पुत्र यमराज और पुत्री यमुना थी। लेकिन सूर्य के ताप को सहन नहीं करने की वजह से उन्होंने छाया को अपनी जगह छोडकर चली गई। छाया से ताप्ती और शनि पैदा हुए। छाया का यमुना और यम से अच्छा व्यवहार नहीं होने पर यम ने एक नई नगरी का निर्माण किया। जो श्रीकृष्ण के अवतार के समय गो लोक चली आई। भाई से स्नेह के कारण कई बार यमराज से अपने यहां आने की प्रार्थना की। आखिर में एक दिन यमराज अपनी बहन से मिलने के लिए आए। लेकिन वह उनको गो लोक में मिली। जहां बहन ने भाई का आदर सत्कार किया। जिससे प्रसन्न होकर भाई यमराज ने यमुना से एक वरदान मांगने को कहा। यमुना ने यमराज से कहा कि उनके पास तो सब कुछ है। वह कृष्ण की पटरानी हैं, उनके स्वामी संसार को सब कुछ देने वाले हैं. कोई भला मुझे क्या कुछ दे सकता है? फिर भी भाई यमराज ने अपनी बहन से कुछ भी मांगने के लिए कहा। तब बहन यमुना ने भाई से पूछा कि आप के प्रकोप से लोगों को मुक्ति कैसे मिलेगी? इस पर यमराज ने कहा कि शुक्ल पक्ष की दूज के दिन जो भी भाई-बहन यहाँ आकर स्नान करेंगे उन्हें मेरे प्रकोप से मुक्ति मिलेगी। वह मृत्यु के बाद सीधा बैकुंठ में वास करेंगे। इसके बाद यमराज और यमुना जी ने विश्राम घाट पर एक साथ स्नान किया।
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