कब हैं शनि प्रदोष व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
प्रदोष व्रत का संबंध भोलेनाथ से माना जाता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र अनुसार हर महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव की उपासना और रुद्राभिषेक करने का विधान है। वहीं इस महीने का प्रदोष व्रत शनिवार, 5 नवंबर को पड़ रहा है। इसलिए इसे शनि प्रदोषव्रत कहते हैं। शनि प्रदोष व्रत वाले दिन शनि देव की पूजा भी विशेष फलदायी मानी जाता है। मतलब इस दिन शनि देव की पूजा करने से शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।
जानिए तिथि और शुभ मुहूर्त
कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी तिथि शुरू – 05 नवंबर शाम 5 बजकर 05 मिनट से
कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी तिथि अंत- 06 नवंबर शाम 4 बजकर 27 मिनट पर
प्रदोष व्रत के दिन भोलेनात की पूजा- अर्चना का समय 05 नवंबर की शाम को 06 बजकर 04 मिनट से शुरू होकर रात 08 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इस समय भोलेनाथ की पूजा और रुद्राभिषेक किया जा सकता है। प्रदोष व्रत में शाम को भगवान शिव की पूजा करने का विधान है।
जानिए पूजा- विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर साफ- सुथरे वस्त्र पहल लें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद शाम के समय घर या शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव की पूजा- अर्चना करें। सबसे पहले भगवान शिव को सफेद चंदन, अक्षत, फूल, माला, बेलपत्र, धतूरा, शमी पत्र आदि अर्पित करें। फिर शहद, दूध, दही और गंगाजल से उनका अभिषेक करें। साथ ही 108 बार भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप करें। इसके बाद उनको सफेद मिठाई का भोग लगाएं। अंत में शिव चालीसा का पाठ और आरती करें।
जानिए महत्व
शिव पुराण के अनुसार जो लोग प्रदोष व्रत रखते हैं उनको आरोग्य के साथ धन की प्राप्ति होती है। साथ ही प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग संतानहीन हैं, उनको खासतौर से शनि प्रदोष व्रत करना चाहिए। साथ ही जिन लोगों की शादी का योग नहीं बन रहा हो वो लोग भी शनि प्रदोष रख सकते हैं। इससे विवाह के योग जल्दी बनने की मान्यता है। शनि प्रदोष व्रत पर शनि देव की पूजा करना भी विशेष लाभकारी रहता है।
आने को हैं
भीष्म पंचक 2022 : 4 नवंबर से शुरुआत हो रही हैं इस व्रत की जानिए पूरी जानकारी
व्रत – त्यौहार
देवउठनी एकादशी 4 नवंबर – इसलिए होता है ये ख़ास दिन , जानिये मुहूर्त और महत्त्व
चन्द्रग्रहण : आपके राशि पर क्या पड़ेगा ग्रहण का प्रभाव
जन्मदिन फल और पंचांग
जिनका आज जन्मदिन है : आप प्रवृत्ति शाही, किसी का शासन पसंद नहीं और साहसी और जिज्ञासु हैं।
आज का पंचांग : जानिए आज के ग्रह स्थिति को, किस दिशा में जाने की है मनाही
– वास्तु – टोटका
यदि आपके दाम्पत्य जीवन में है कुछ खटास तो करें ये उपाय, होगा सुखी वैवाहिक जीवन
परेशानियों से छुटकारा का उपाय है पवित्र पीपल पेड़, जानिए क्या है उपाय
– इन्हें भी जानिए
जानिये नवंबर माह 2022 के तीज-त्यौहार और उसके मुहूर्त
गोपाष्टमी : कब शुरू हुआ गौ पूजन, जानिए गाय के शरीर में है किन किन देवता का हैं निवास
मानो न मानो
आखिर जेठ के तपती दुपहरियां में बगीचे में वो कौन थी….
जिन्हें ज्यादा पढ़ा गया
डाला छठ : आखिर क्यों नहीं पहनते सिलाई किए हुए कपड़े
जानिए छठ पूजा पर सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है?
डाला छठ : इसलिए लगाया जाता है नाक से सिंदूर
छठ पूजा – क्या है “कोसी भराई”, क्या महत्त्व और विधि है “कोसी सेवना” का
छठ महापर्व : ठेकुआ के साथ और क्या चढ़ता है प्रसाद
जानिये कौन हैं छठ व्रत में पूजित छठी मैया
उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा।
अन्य लेख पढ़ने के लिए साथ ही अपनी पसंद – नापसंद जरूर बताएं।
. और जुड़ें रहें हमारी वेबसाइट ” मोक्ष भूमि – काशी ” के साथ।
. हमारी टीम को आपके प्रतिक्रिया का इन्तजार है।9889881111
खबरों के लिए क्लिक करें – https://innovest.co.in
यदि आप सनातनी है तो काशी की नष्ट हो रही ऊर्जा को बचाने के लिए अभियान में आप के साथ की जरूरत है। कृपया सम्पर्क करें… 9889881111, 8765000123
Leave a Reply