Home 2022 काशी की पहचान, संगीत, साहित्य, बनारसी पान संग मस्ती

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काशी की पहचान, संगीत, साहित्य, बनारसी पान संग मस्ती

काशी की पहचान, संगीत, साहित्य, बनारसी पान

वरूणा और असि से मिल कर बना शहर बनारस। गंगा,बानगंगा के साथ वरुणा और असि यहां की दो प्रमुख नदिया है। विश्व का सबसे प्राचीन शहर हैं। पर्यटकों के लिए यह पंसदीदा जगहों में से एक इसको मंदिरों का शहर भी कहा जाता है यहाँ पर प्राचीन विश्वनाथ मंदिर के साथ – साथ और भी ऐसी प्राचीन मंदिर स्थित है जिसका अपना एक इतिहास रहा है। बनारस मंदिरों के साथ – साथ कुंड और तालाबों के लिए भी जाना जाता है । वाराणसी की कला और संस्कृति अद्वितीय है। यहाँ पर घाटों पर हुई चित्रकारी आपने आप में बनारस का वर्णन करते नजर आती है। बनारस शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना वर्चस्व बनाये हुऐ है यहाँ पर तीन विश्व विद्यालय स्थित हैं। यह वाराणसी की  समृद्ध संस्कृतिक परंपरा है जिसकी वजह से यह भारत की संस्कृतिक राजधानी कही जाती है। हालांकि वाराणसी मुख्य रूप से हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म के साथ जुड़ा हुआ है, लेकिन वाराणसी में पूजा और धार्मिक संस्थाओं के कई धार्मिक विश्वासों की झलक पा सकते हैं। वाराणसी, भारतीय कला और संस्कृति का पूरा एक संग्रहालय प्रस्तुत करता है। वाराणसी में इतिहास के पाठ्यक्रम में बदलते पैटर्न और आंदोलनों को महसूस कर सकते हैं। सदियों से वाराणसी ने मास्टर कारीगरों का उत्पादन किया है और अपनी सुंदर साड़ी, हस्तशिल्प, वस्त्र, खिलौने, गहने, धातु का काम, मिट्टी और लकड़ी और अन्य शिल्प के लिए नाम और प्रसिद्धि अर्जित की है।वाराणसी ने कई प्रसिद्ध विद्वानों और बुद्धिजीवियों को जन्म दिया है । जैसे – भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, उस्ताद बिस्मिल्ला खां, पंडित रविशंकर जैसे और भी ना जाने कितने महान लोगों ने यहां जन्म लिया और अपनी प्रतिभा से देश और दुनिया में अपनी एक अलग जगह बनाई। संगीत, नाटक, और मनोरंजन वाराणसी के साथ पर्याय रहे है और अपने खुद के नृत्य परंपराओं, वाराणसी लोक संगीत और नाटक, मेलों और त्योहारों, अखाड़े, खेल आदि का एक बहुत ही पुराना केन्द्र रहा है।

संगीत

तबला वादकों में कंठे महाराज, अनोखे लाल, गुदई महाराज, कृष्णा महाराज देश- विदेश में अपना नाम कर चुके हैं। शहनाई वादन एवं नृत्य में भी काशी में नंद लाल, उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ तथा सितारा देवी जैसी प्रतिभाएँ पैदा हुई हैं।

फ़िल्में और गाने

बनारस – ए मिस्टिक लव स्टोरी बनारस शहर में बनी एक हिन्दी फ़िल्म है। इस फ़िल्म में बनारस की गलियों, घाटों और मंदिरों को एक प्रेम कहानी में पिरोया गया है। 1978 की सुपरहिट हिन्दी फ़िल्म डॉन का गाना खई के पान बनारस वाला अमिताभ बच्चन के साथ बनारसी पान की प्रशंसा में गाया गया था और बहुत लोकप्रिय हुआ था।

खानपान

गोदौलिया चौक पर बहुत स्‍वादिष्‍ट भोजन मिलता है। यहाँ पर ख़ास थाली मिलती है। इस भोजनालय की ख़ास बात है कि यहाँ भोजन लकड़ी के आग पर बनाया जाता है। इस भोजन को बनाने में प्‍याज और लहसुन का भी उपयोग नहीं होता है।
कचौड़ी-सब्‍जी सुबह के नाश्ते के लिए मशहूर है।
यहां कचौड़ी-सब्‍जी प्रसिद्ध है।

बनारसी पान

बनारसी पान दुनिया भर में मशहूर है। बनारसी पान चबाना नहीं पड़ता। यह मुँह में जाकर धीरे-धीरे घुलता है

बनारसी साड़ी

बनारसी साड़ियों की कारीगरी सदियों पुरानी है।उत्तर भारत में अधिकांश औरते साड़ी ही पहनना पसंद करती हैं। यही यहां की संस्कृति है ।

– जया पाण्डेय



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Author: Admin Editor MBC

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