विश्व इतिहास में पहली बार काशी में भैरव दीपावली कल, दिव्य मंत्र शक्तिपात आज
– सौ फीट के जागृत अवस्था में सहस्रगुणा आशीर्वाद देने वाली दर्शनीय भैरवदेव की मूर्ति हुई स्थापित, काशी कोतवाल भैरव उत्सव में राजशाही भंडारा जारी
– अष्ट दिवसीय आयोजन की पूर्णाहुति कल, होंगे जीवन को प्रकाशमय बनाने वाले एक लाख दीप रोशन
वाराणसी। विश्व इतिहास में पहली बार भैरव अष्टमी के पर्व पर बुधवार, 16 नवंबर को ब्रह्मांड में प्रदीप्त प्रकाशित ज्योतिर्मय काशी नगरी में भैरव दीपावली मनाई जाएगी। यहां नरिया सुंदरपुर स्थित रामनाथ चौधरी शोध संस्थान में वसंतविजय जी की पावन निश्रा में काशी कोतवाल भैरव उत्सव के अष्ट दिवसीय आयोजन की पूर्णाहुति पर यह अद्वितीय आयोजन होगा, जिसके तहत मां गंगा की पावन मिट्टी से निर्मित एक लाख भैरव देव की मूर्तियों के समक्ष गाय के शुद्ध देशी घी के एक लाख दीप रोशन होंगे। साथ ही एक लाख ही इमरती नेवैध्य का भोग का अर्पण भी होगा। इससे पूर्व मंगलवार, 15 नवंबर को दोपहर में साधना के शिखर पुरुष, वचन सिद्ध संत के मुखारविंद से पवित्र दिव्य शक्तिपात होगा। दोपहर 2 बजे से श्रीभैरव महापुराण के वाचन में लोककल्याणार्थ जन–जन के लिए मंगलकारी आरोग्य एवं दुख, बीमारी, उधारी को मिटाने वाले इस दिव्य शक्तिपात में अतिदिव्य शक्तियों का अनुभव विश्व भर में थॉट योगा पर लाइव देखने वाले श्रद्धालुओं को भी निश्चित रूप से होगा। सोमवार को प्रातः के सत्र में यहां पूजा, जप, साधना, आराधना तथा शाम को हवन यज्ञ में आहूतियों का क्रम जारी रहा। काशी में पंचकोशीय ज्योतिर्मय क्षेत्र में आयोजित हो रहे कार्यक्रम स्थल पर सान्निध्य में विराट सौ फीट के जागृत अवस्था में भैरव देव की दर्शनीय मूर्ति भी स्थापित की गई है। पूज्यश्री ने बताया कि शास्त्रों में उल्लेख है कि संयम अवस्था से उठकर जागृत अवस्था में भैरव देव को समस्त देवी–देवताओं की शक्तियां प्राप्त हैं, ऐसे जागृत अवस्था के विराट भैरवदेव के दर्शन मात्र से ही सहस्त्रगुणा आशीर्वाद प्राप्त होता है।
श्रीभैरव महाकथा में अपने अमृतमयी प्रवचन में वसंतविजयजी महाराज ने कहा कि भैरवदेव की श्रद्धामय भक्ति में संस्कार एवं विनय व्यक्ति के हर प्रकार के दुख तो मिटाता ही है, सुख प्रदायक समृद्धि में वृद्धि भी करता है। उन्होंने काशी नगरी की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि यहां अनजान व्यक्ति भी झोली भर कर ले जाता है। साथ ही बाबा विश्वनाथ एवं भगवती अन्नपूर्णा की कृपा से इस काशी में कोई भी व्यक्ति रात्रि में भूखा नहीं सोता है। शीघ्र प्रसन्न होकर दुख, भय मिटाने व शत्रुओं का दमन करने में सहायक भैरवदेव की भक्ति से मनुष्य जीवन को सार्थक करने की प्रेरणादायी सीख देते हुए विद्यासागर संतश्रीजी ने कहा कि भक्ति के साथ-साथ अतृप्त रहते हुए ईमानदारी से परिश्रम करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। रात्रि में भक्ति संध्या में मशहूर भजन गायिका मैथिली ठाकुर ने अपनी एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी।
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