बाबा लाट भैरव की अद्भुत कहानी, जब औरंगजेब हुआ बाबा कपाल भैरव के सामने नतमस्तक। आइए जानते हैं कहां पर स्थित है यह प्राचीन मंदिर
धर्म की नगरी काशी पूरे भारत का एक ऐसा शहर है जहां पर 52 शक्ति पीठ, 12 ज्योतिर्लिंग, अष्ट महाभैरव ,12 आदित्य यह सब विराजमान है।काशी भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय शहर है। और यहां सभी देवी देवता निवास करते हैं।
कौन है लाट भैरव.?. और कैसे पड़ा इनका नाम कपाल भैरव?
श्री लाट भैरव काशी के बड़े भैरव भी कहे जाते हैं। जिन्हें की कपाल भैरव के नाम से भी जाना जाता है। अष्ट भैरव में सबसे बड़े कपाल भैरव जी ही हैं। हजारों वर्ष पुराना कपाल भैरव का मंदिर औरंगजेब के जमाने से ही स्थित है। ऐसी मान्यता है कि जब काशी आनंदवन हुआ करता था तबसे बाबा कपाल भैरव यहां पर स्थित है। जिस स्थान पर बाबा कपाल भैरव स्थापित है वह स्थान कपाल मोचन तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध है। कपाल मोचन वही स्थान है, जहां पर काल भैरव के हाथ से ब्रह्मा के कपाल का मोचन हुआ था। अर्थात काल भैरव के हाथ से ब्रह्मदेव का जो पांचवें शीर्ष का कपाल था वह यहीं पर गिरा था। इसलिए इस स्थान का नाम कपाल मोचन पड़ा। कपाल मोचन को लाट भैरव इसलिए भी कहा जाता है कि जब काशी में रहते हुए कोई दुष्ट व्यक्ति पाप कर्म करता है। तो उसी लाख पर उसी स्थान पर बाबा काल भैरव उस व्यक्ति की आत्मा को भैरवी यातनाएं देते हैं। इसलिए इनका नाम लाट भैरव पड़ा।
जब औरंगजेब हुआ बाबा कपाल भैरव के सामने नतमस्तक….।
ऐसी मान्यता है कि जिस समय औरंगजेब ने अपने सैनिकों का दल कपाल मंदिर को ध्वस्त करने के लिए भेजा था तो उन आक्रमणकारियों ने कपाल भैरव मंदिर की सारी दीवारों को ध्वस्त कर दिया। लेकिन 10 फुट का स्तंभ जिस पर कपाल भैरव विराजमान थे उस स्तंभ पर जब भी कोई व्यक्ति प्रहार करता था तो उसे विद्युत का ऐसा झटका लगता था कि या तो वह व्यक्ति मर जाता था या वह किसी काम का ही नहीं रहता था। एक समय ऐसा भी आया कि औरंगजेब ने स्वयं ही इस मंदिर को ध्वस्त करने का फैसला लिया। और कहा जाता है उस समय सिर्फ एक हाथी ही औरंगजेब पर भारी पड़ गया था। अब वह हाथी कहां से आया इसका किसी को भी कुछ पता नहीं चला। तथा इससे भी रोमांचक कहानी यह है कि अष्ट भैरव में कपाल भैरव ही एक ऐसे देवता हैं जिनका हर वर्ष विवाहोत्सव मनाया जाता है। जिनके साथ में बाबा कपाल भैरव का विवाह उत्सव मनाया जाता है उनका नाम है देवी भैरवाभी।यह देवी भैरवी का ही एक स्वरूप मानी जाती हैं। इनका विवाहोत्सव भाद्रपद महीने में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
कहां पर स्थित है यह प्राचीन मंदिर?
वाराणसी में सारनाथ- जीटी रोड मार्ग पर कपाल मोचन तीर्थ के पास बाबा कपाल भैरव का मंदिर स्थित है। यहां पर इन्हें लाट भैरव के नाम से भी जाना जाता है। जहां पर बाबा कपाल भैरव स्थापित हैं वह स्थान कपाल मोचन तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध है।
– शालिनी त्रिपाठी।
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