एक शहर ऐसा जहां दर्शन देते हैं एक साथ अष्ट भैरव … ये है अष्ट भैरव के 8 रूप.
भैरव यानी भय का हरण करके जगत का भरण करने वाले.. वाराणसी एक ऐसा शहर है जहां बाबा भैरव के 8 स्वरूपों का दर्शन किया जा सकता है। यहां भैरव जी के आठ अलग-अलग स्वरूप अलग-अलग मंदिरों में विराजमान है। काशी में बाबा भैरवनाथ एक नहीं, दो नहीं बल्कि अपने 8 रूपों में काशी वासियों की रक्षा करते हैं।
आइए जानते हैं बाबा भैरव के अष्ट अलग-अलग रूपों को…।
प्रथम स्वरूप
बाबा काल भैरव-. सर्वप्रथम भैरव बाबा का पहला स्वरूप काल भैरव है। शिव की नगरी काशी के रक्षक बाबा काल भैरव है। बाबा काल भैरव काशी के भैरवपूरा इलाके में विराजते हैं। बाबा काल भैरव जिन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि काशी पर आने वाली हर मुसीबत को पहले बाबा काल भैरव का सामना करना पड़ता है। ऐसा भी कहा जाता है कि यदि बाबा के मंदिर में 41 दिन लगातार सरसों के तेल का दिया जलाया जाए तो भक्तों के जीवन में खुशियां भर जाती हैं। तथा मन्नते भी पूरी होती हैं। और साढ़ेसाती, ढैया के कष्टों का भी निवारण होता है। हर मुश्किल हर बाधा दूर होती है बाबा काल भैरव के दर्शन मात्र से।
द्वितीय स्वरूप
बाबा लाट. भैरव-काशी में दूसरे रूप में विराजते हैं बाबा लाट भैरव जोकि अलईपूर इलाके में स्थित हैं। जिन्हें भक्त कपाल भैरव के नाम से भी जानते हैं।ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में ना सिर्फ बाबा सबकी मुरादें पूरी करते हैं बल्कि काशी में वास करने वाले हर व्यक्ति का लेखा-जोखा भी रखते हैं। मान्यता है कि मंदिर में मौजूद 8 चौकियों पर पूर्णमासी की आधी रात के बाद आठों भैरो की चौपाल लगती है ।जहां बैठकर बाबा काशी की व्यवस्था को चलाने से लेकर यहां की हर व्यवस्थाओं पर विचार विमर्श करते हैं। ऐसी मान्यता है कि बाबा के दर्शन मात्र से निराश भक्तों के मन में खुशियां आ जाती हैं। तथा उन्हें हर तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
तृतीय रूप
भूत भैरव- काशी में तीसरे रूप में बाबा भूत भैरव जी विराजते हैं। इनका मंदिर काशी के काशीपुरा क्षेत्र में है। अष्ट भैरव में तीसरा स्थान रखने वाले बाबा भूत भैरव वाराणसी के काशीपुरा क्षेत्र में बड़े ही भव्य रूप में दर्शन देते हैं। और बुरी नजर से भक्तों की रक्षा भी करते हैं। इस मंदिर में दिन में तीन बार आरती होती है। और भक्तों की भूत बाधा संबंधी सभी दोषों का निवारण होता है। जादू टोने का दुष्प्रभाव भी इनके दर्शन मात्र से दूर हो जाता है।
चतुर्थ रूप
आस भैरव- काशी में चौथे रूप में बाबा आज भैरव का दर्शन होता है। यहां बाबा अपने नाम के अनुरूप भक्तों की हर आस पूरी करते हैं। लेकिन इसके लिए भक्तों को मंगलवार को विशेष पूजा करनी होती है। वाराणसी के चौक इलाके की नीची बाग क्षेत्र में बाबा आस भैरव का दिव्य मंदिर स्थित है। हर तरफ से निराश मन को बाबा आस भैरव के मंदिर में आशा की किरण दिखाई देती है।
पांचवा रूप
आनंद भैरव- काशी में बाबा पांचवे रूप में आनंद भैरव के नाम से विराजमान है। काशी के मीर घाट इलाके में बाबा के पांचवें स्वरूप में आनंद भैरव का दर्शन होता है। यहां बाबा की मूरत इनके नाम के बिल्कुल विपरीत है। नाम तो आनंद है लेकिन यहां इनकी मूर्ति रौद्र रूप में है। इस विशालकाय प्रतिमा के सामने जो भक्त बिना डरे अपना सर झुकाता है उसके जीवन में आनंद ही आनंद होता है। माथे पर मुकुट तथा हाथ में दंड लिए यहां यह बाबा आनंद भैरव के रूप में विराजमान है। ऐसी मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से भक्त सांसारिक मोहमाया से मुक्त हो जाता है। और परम आनंद की प्राप्ति होती है। बाबा के दरबार में शुक्रवार की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। तथा ये ही एक ऐसा मंदिर है जहां दिन में सिर्फ एक बार ही आरती होती है।
षष्ठम रूप
बटुक भैरव-. काशी में षष्ठम रूप में यह मंदिर बाबा बटुक भैरव जी का कमक्षा पर स्थित है।ऐसी मान्यता है कि बाबा बटुक महादेव जी के ही बालस्वरूप है। और इस बात की पुष्टि बाबा के इस मनमोहक रूप को देखते ही हो जाती है। जैसा बाबा का रूप है वैसा ही बाबा का चढ़ावा भी है। यहां बाबा को बच्चों की प्रिय वस्तुओं का भोग लगाया जाता है। जैसे बिस्किट, टॉफी इत्यादि। बाबा बटुक भैरव को नवग्रह का राजा भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां 5 शनिवार विधि विधान से पूजा की जाए तो शनि, राहु, केतु की दशा शांत हो जाती है। यहां सूर्य उगते ही बाबा बाल स्वरूप में दर्शन देते हैं। और शाम होते ही उनका स्वरूप तामसिक रूप में बदल जाता है।तांत्रिक और साधकों की उपासना का केंद्र बन जाता है। यह रूप शक्ति और भक्ति का असीम केंद्र होता है।
सप्तम रूप
क्रोधन भैरव- अष्ट भैरव में सातवें स्थान पर आते हैं बाबा क्रोध भैरव। जो कि वाराणसी के कमक्षा इलाके के पास ही स्थित हैं। यहां बाबा अपने भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं ।अपने नाम के अनुरूप यहां बाबा भक्तों के क्रोध का का नाश तो करते ही हैं। साथ ही रोग व्याधि से भी मुक्ति दिलाते हैं। ऐसी मान्यता है कि क्रोध मंदिर में आराधना करने वाले भक्तों को साक्षात शिव की पूजा जैसा सुख मिलता है।
अष्टम रूप
बाबा दंडपाणी-. बाबा दंडपाणी काशी के अष्ट भैरव के क्रम में आठवां और अंतिम रूप में भैरवनाथ क्षेत्र में विराजते हैं। बाबा के दरबार में तीन बार होने वाली आरती को देखने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। खास बात यह है कि इन के दरबार में शनिवार के दिन की पूजा का विशेष महत्व होता है। बाबा दंडपाणी अपने भक्तों के कर्मों का पूरा लेखा-जोखा रखते हैं। इनकी पूजा पाठ से मनुष्य के सभी कष्टों का निवारण होता है।
अतः अष्ट भैरव बाबा के इन दुर्लभ रूपों की पूजा से जीवन के समस्त कष्टों का अंत हो जाता है। और मनुष्य की हर मनोकामना पूरी होती है ।तथा आठ बार अष्ट भैरव दर्शन यात्रा करने से भक्त सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
– शालिनी त्रिपाठी
नवीनतम
आज है जानिये काल भैरव जयंती, पूजा का मुहूर्त और क्या है महत्व
भैरव अष्टमी : ये है भगवान भैरव के मुख्य 8 रूप, ऐसा है इनका स्वरूप
प्राचीन मंदिर : अपने माँ के पापों के प्रायश्चित के लिए गरुण ने स्थापित किया था गरुड़ेश्वर महादेव को
विश्व इतिहास में पहली बार काशी में भैरव दीपावली कल, दिव्य मंत्र शक्तिपात आज
काशी का अदभुत लोटा भंटा मेला : जहाँ श्रद्धांलु भगवान शिव को चखाते है बाटी चोखा का स्वाद
काशी दर्शन : अकाल मृत्यु को टालने के लिए स्वयं धरती का सीना फाड़ कर निकले शिवशंभु
काशी की पहचान, संगीत, साहित्य, बनारसी पान संग मस्ती
विश्व का एक मात्र मंदिर, जहां कोई प्रतिमा नहीं बल्कि है अखंड राष्ट्र का नक्शा
पापों का हरण करती गंगा से भी प्राचीन नदी “वरुणा”
जानिए कैसे बनी काशी संगीत की नगरी ?
काशी में एक स्थान ऐसा भी जहां स्वयं भगवान शिव के मंत्रोच्चार से होती है मोक्ष की प्राप्ति
भैरव विशेष (भैरव अष्टमी 16 नवंबर )
16 नवंबर काल भैरव अष्टमी, काल भैरव की उपासना का महत्व तथा स्वरूप करें यह अचूक उपाय होगा महा लाभ….
साप्ताहिक राशिफल : ये है इस सप्ताह 14 से 20 नवम्बर का ग्रह चक्र, जानिये…
जानिए कहां स्थित है काशी में अष्ट भैरव के पवित्र मंदिर
भय निवारण भैरव का सौम्य स्वरूप कमच्छा के बटुक भैरव
आज का राशिफल
राशिफल 16 नवंबर 22 : आज ग्रहओं के चाल से कुछ यूँ रहेगा आपका दिन
दैनिक राशिफल 15 नवंबर 22 – कुछ यूँ रहेगा आज का आज का दिन
दैनिक पंचांग
पंचांग 16 नवंबर 22: ये है आज का शुभ समय और व्रत त्यौहार
पंचांग 15 नवंबर 22 – शुभ घड़ी संग नक्षत और मुहूर्त की बातें
जन्मदिन राशिफल
जिनका आज जन्मदिन है : ऐसा होता है स्वभाव, कुछ यूँ होता है इनमें ख़ास बातें
आज जिनका जन्मदिन है – 15 नवंबर 22 को जन्मे जातको का होगा ऐसा अगला साल
जिनका आज जन्मदिन है : आप करें शुभ रंग, दिन और महीना में नया काम मिलेगा….
साप्ताहिक राशिफल
साप्ताहिक राशिफल : ये है इस सप्ताह 14 से 20 नवम्बर का ग्रह चक्र, जानिये…
साप्ताहिक राशि फल 07 से 13 नबंवर तक : जानिए वो बातें जिससेl आपको मिलेगा नयी राह
व्रत – त्यौहार
मार्गशीर्ष मास : हिंदी के नौवा महीने के व्रत और त्यौहार का यह हैं डिटेल
मार्गशीर्ष मास : हिंदी के इस आठवें महीने के व्रत और त्यौहार का यह हैं डिटेल
प्रदोष व्रत : करिये दु:ख-दारिद्र्य का नाश, पाइये जीवन में सुख-समृद्धि खुशहाली अपार
बैकुंठ चतुर्थी : सिर्फ आज चढ़ता हैं महादेव को तुलसी और हरि को बेलपत्र, करें ये उपाय धन में होगी बरसात
वैकुंठ चतुर्दशी : 14000 पाप कर्मों का दोष को दूर करे इन तीन कथाओं को पढ़ कर
काशी में जब राक्षसी बन जाती है एक दिन की देवी , प्रसाद में चढ़ता है बैगन और मूली
– वास्तु – टोटका p
वास्तु : घोड़ा के नाल से न सिर्फ सुख-समृद्धि आती है बल्कि बचाती है बुरी नजर से भी
यदि आपके दाम्पत्य जीवन में है कुछ खटास तो करें ये उपाय, होगा सुखी वैवाहिक जीवन
परेशानियों से छुटकारा का उपाय है पवित्र पीपल पेड़, जानिए क्या है उपाय
– इन्हें भी जानिए
जानिए पूजा का सही समय …आखिर दोपहर के समय पूजा क्यों नहीं करनी चाहिए?
जानिये नवंबर माह 2022 के तीज-त्यौहार और उसके मुहूर्त
गोपाष्टमी : कब शुरू हुआ गौ पूजन, जानिए गाय के शरीर में है किन किन देवता का हैं निवास
जिन्हें ज्यादा पढ़ा गया
जानिए छठ पूजा पर सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है?
जानिये कौन हैं छठ व्रत में पूजित छठी मैया
मानो न मानो
आखिर जेठ के तपती दुपहरियां में बगीचे में वो कौन थी….
उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। अन्य लेख पढ़ने के लिए साथ ही अपनी पसंद – नापसंद जरूर बताएं। और जुड़ें रहें हमारी वेबसाइट ” मोक्ष भूमि – काशी ” के साथ। हमारी टीम को आपके प्रतिक्रिया का इन्तजार है।9889881111
खबरों के लिए क्लिक करें – https://innovest.co.in
यदि आप सनातनी है तो काशी की नष्ट हो रही ऊर्जा को बचाने के लिए अभियान में आप के साथ की जरूरत है। कृपया सम्पर्क करें… 9889881111, 8765000123
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। जानकारी पूरी सावधानी से दी जाती हैं फिर भी आप पुरोहित से स्पस्ट कर लें।
Leave a Reply