Home 2022 देव स्थान : ऐसा मंदिर जहाँ चूहा करते हैं भक्तों की मनोकामना पूरी

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देव स्थान : ऐसा मंदिर जहाँ चूहा करते हैं भक्तों की मनोकामना पूरी

एक प्रसिद्ध हिन्दू मन्दिर है जो राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है।यह बीकानेर से 30 किलोमीटर दक्षिण दिशा में देशनोक में स्थित है। यह मंदिर अन्य प्राचीन मंदिरों से अलग है |यहां पर आए श्रद्धालुओं को एक अलग और अद्भुत नजारा देखने को मिलता है |

क्या है इस मंदिर की खासियत

इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि मंदिर परिसर में इधर उधर दौड़ते हजारो चूहे जिनकी देख रेख मे कोई कमी नहीं छोड़ी जाती है |

चूहे पूरे मंदिर प्रांगण में मौजूद रहते हैं। वे श्रद्धालुओं के शरीर पर कूद-फांद करते हैं, लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। श्रद्धालु इन चूहों के लिए लड्डू और दूध प्रसाद मे लेकर आते हैं |मंदिर परिसर में चूहों के लिए बड़ी चांदी की परात भी रखी गयी है |चील, गिद्ध और दूसरे जानवरों से इन चूहों की रक्षा के लिए मंदिर में खुले स्थानों पर बारीक जाली लगी हुई है। इन चूहों की उपस्थिति की वजह से ही यह मंदिर चूहों वाले मंदिर के नाम से भी विख्यात है। ऐसी मान्यता है कि किसी श्रद्धालु को यदि यहां सफेद चूहे के दर्शन होते हैं, तो इसे बहुत शुभ माना जाता है।
सुबह पांच बजे मंगला आरती और सायं सात बजे आरती के समय चूहों का जुलूस तो देखने लायक होता है|
मन्दिर में सफेद काबा (चूहा) का दर्शन मंगलकारी माना जाता है। इस पवित्र मन्दिर में लगभग 25000 चूहे रहते हैं।

मंदिर का स्वरूप

मंदिर के मुख्य द्वार पर संगमरमर पर नक्काशी को भी विशेष रूप से देखने के लिए लोग यहां आते हैं।
इस मन्दिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने राजपूत शैली में लगभग 15-20वीं सदी में करवाया था। मन्दिर के सामने महाराजा गंगा सिंह ने चांदी के दरवाजे भी बनाए थे। देवी की छवि अंदरूनी गर्भगृह में निहित है। मन्दिर में 1999 में हैदराबाद के कुंदन लाल वर्मा ने भी कुछ मन्दिर का विस्तार किया था।

माता के मंदिर का इतिहास

श्रद्धालुओं का मत है कि करणी देवी साक्षात मां हिंगलाज माता की अवतार थीं। इसमें देवी “करणी माता” की मूर्ति स्थापित है। अब से लगभग साढ़े छह सौ वर्ष पूर्व जिस स्थान पर यह भव्य मंदिर है, वहां एक गुफा में रहकर मां अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना किया करती थीं। यह गुफा आज भी मंदिर परिसर में स्थित है। मां के ज्योर्तिलीन होने पर उनकी इच्छानुसार उनकी मूर्ति की इस गुफा में स्थापना की गई। माता के निज मंदिर में लगी मूर्ति अंधे भक्त बने खाती द्वारा बनाई गई । बताते हैं कि मां करणी के आशीर्वाद से ही बीकानेर और जोधपुर राज्य की स्थापना हुई थी।

संगमरमर से बने मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। मुख्य दरवाजा पार कर मंदिर के अंदर पहुंचते ही चूहों की धमाचौकड़ी देख मन दंग रह जाता है। चूहों की बहुतायत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पैदल चलने के लिए अपना अगला कदम उठाकर नहीं, बल्कि जमीन पर घसीटते हुए आगे रखना होता है। लोग इसी तरह कदमों को घसीटते हुए करणी मां की मूर्ति के सामने पहुंचते हैं।

– जया पाण्डेय


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Author: Admin Editor MBC

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