अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् ने किया विद्वद् अलंकरण समारोह
वाराणसी। अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् के विद्वद् अलंकरण समारोह का शुभारम्भ दिवा 2 बजे से चारों वेदों के मंगलाचरण से हुआ। मंचस्थ अतिथियों के द्वारा सरस्वती पूजन एवं दीपप्रज्ज्वलन किया गया। विद्वद् अलंकरण समारोह में स्वागत भाषण तथा विषय प्रतिपादन डॉ. कामेश्वर उपाध्याय ने किया। मंचस्थ सम्मानितजनों का पुष्पमाला से सम्मान संस्था के उपाध्यक्ष द्वय प्रो. टी. पी. चतुर्वेदी एवं प्रो. कैलाश नाथ तिवारी के द्वारा किया गया। परिषद् के युवा प्रभारी आचार्य धवल उपाध्याय ने विद्वत् परिषद् की ओर से समागत विद्वानों को स्फटिक एवं रुद्राक्ष की माला से सम्मानित किया। सभा का संचालन अपराजिता ने किया तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. जयशंकर लाल त्रिपाठी ने की।
सम्मान समारोह के आरम्भ में पूज्य स्वामी आनन्द स्वरुप महाराज जी, अध्यक्ष, शंकराचार्य परिषद् को धर्मधुरन्धर उपाधि से विभूषित किया गया। माननीय श्री सुव्रत पाठक, सांसद, कन्नौज को राजनयमार्तण्ड तथा माननीय श्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’, आयुष मंत्री, उत्तर प्रदेश को राजनीतिविशारद उपाधि से विभूषित किया गया। आप सभी को शॉल, स्फटिक एवं रूद्राक्ष की माला तथा रजत पदक से सम्मानित किया गया।
सन् 2022 में देश के तीन राज्यों से तीन विशिष्ट विभूतियों को महामहोपाध्याय की उपाधि प्रदान की गयी। ये विद्वान् हैं- 1. प्रो. नागेन्द्र पाण्डेय (उत्तर प्रदेश), 2. प्रो. वसन्त कुमार मनु भाई भट्ट (गुजरात) तथा 3. प्रो. गोविन्द दत्तात्रय गन्धे (मध्यप्रदेश)।
देश की पाँच विभूतियों को अतिविशिष्ट सम्मान प्रो. हृदय रञ्जन शर्मा को वैदिकशिरोमणि, प्रो. जानकी प्रसाद द्विवेदी को वैयाकरणकेसरी, पद्मभूषण देवी प्रसाद द्विवेदी को भाषामार्तण्ड, प्रो. चमन लाल रैना को दर्शनवाचस्पति तथा प्रो. देवव्रत चौबे को दर्शनकेसरी से सम्मानित किया गया।
विद्वत् परिषद् की सर्वाधिक चर्चित उपाधि विद्वद्भूषण देश के 13 विभूतियों को समर्पित की गयी। सम्मानित होने वाले विद्वान् डॉ. नीतीश चन्द्र शर्मा (असम), डॉ. निशिपद देव चौधुरी (गोवाहाटी), पं. आदित्य मोहन शर्मा (जयपुर), डॉ. कृष्ण चन्द्र शास्त्री (हरियाणा), पं. अशोक झा (वाराणसी), प्रो. ओम प्रकाश सिंह (वाराणसी), प्रो. देवेश कुमार मिश्र (दिल्ली), डॉ. योगेश दुबे (मुम्बई), डॉ. देवेश कुमार (वाराणसी), पं. अजीत मिश्र (वाराणसी), प्रो. हरि प्रसाद अधिकारी (वाराणसी), प्रो. विमलेन्द्र कुमार (वाराणसी) तथा डॉ. शिव पूजन सिंह (वाराणसी) हैं। आचार्या अन्नपूर्णा देवी (उड़ीसा) को साहित्यसरस्वती तथा जय लक्ष्मी कौल को (वाराणसी) को ऐतिह्यसरस्वती से सम्मानित किया गया।
इस वर्ष ग्रन्थ आधारित पुरस्कार डॉ. वेद प्रकाश उपाध्याय, चण्डीगढ़ को ‘याज्ञवल्क्यपुरस्कार’ उनके ग्रन्थ आधुनिक हिन्दु विधि पर तथा डॉ. जीत राम भट्ट, दिल्ली को ‘महाकविकालिदासपुरस्कार’ उनके ग्रन्थ नवरसरुचिरा पर प्रदान किया गया। आप दोनों को शॉल, स्फटिक एवं रूद्राक्ष की माला, पञ्चसहस्र मुद्रा तथा रजत पदक से सम्मानित किया गया। इस वर्ष युवप्रतिभा सम्मान डॉ. देवर्षि दीक्षित (ई.एन.टी. विशेषज्ञ), वाराणसी, डॉ. आनन्द प्रताप सिंह (एनेस्थिसिया विशेषज्ञ) गोरखपुर, डॉ. दीपक सिंह (दन्तचिकित्सक) दिल्ली, श्री सुनील कुमार मिश्र (अधिवक्ता, उच्च न्यायालय) प्रयागराज तथा अपराजिता उपाध्याय (बैंकिंग सेवा), वाराणसी को प्रदान किया गया।
इस अवसर पर अखिल भारतीय विद्वत् परिषद् की ओर से प्रकाशित श्रीसप्तशती पूजाविधानम् तथा देवलस्मृति पुस्तकद्वय का विमोचन किया गया। मुख्य अतिथि सुव्रत पाठक ने कहा कि- भारत बदल रहा है काशी बदल रहा है यह बदलाव दैवीय शक्ति से हो रहा है। जिसका नेतृत्व मोदी जी और योगी जी कर रहे हैं। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के जमीन को बचाया जाएगा। जिसको लेकर हम योगी जी और मोदी जी से भी बात करेंगे तथा संसद में भी समय मिला तो हम यह आवाज उठाएंगे। प्रो. टी. पी. चतुर्वेदी ने कार्यक्रम में आये हुए सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। यह समस्त जानकारी मीडिया प्रभारी राजा रघु मिश्र ने दिया।
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