पवित्र तिथियों पऱ नदी स्नान करने पर धुल जाते हैं अगले-पिछले जन्म के पाप, जानें इसका महत्व
हिंदू धर्म में पौष का महीना बहुत ही महत्वपूर्ण है और इस मास में बहुत सारे तीज-त्यौहार आते हैं। इन तीज-त्यौहारों में से एक है पौष की अमावस्या, जिसका बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है।
इस वर्ष 23 दिसंबर को पौष की अमावस्या है और यह दोपहर 3 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी
धार्मिक शास्त्रों में अमावस्या को वैसे भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन दान-पुण्य करने की प्रथा है। ऐसा कहा जाता है कि अमावस्या के दिन अगर आप किस पवित्र नदी में स्नान करते हैं तो आपके सारे पाप धुल जाते हैं।
पवित्र तिथि पर नदी में स्नान करने के और भी महत्व शास्त्रों में बताए गए है। अमावस्या के दिन अगर आप किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं, तो आपकी आत्मा पवित्र हो जाती है और मन में आ रहे सारे बुरे विचार दूर हो जाते हैं।
अगर आपको कोई बीमारी है तो नदी में स्नान करने से आपके शरीर के रोग भी कम हो जाते हैं।
आपके अंदर धार्मिक विचार आते हैं और धर्म कांडों में आपका मन लगता है और बुरे कर्मों से आप दूर हो जाते हैं।
किसी के बारे में बुरा सोचना या करना भी आप पवित्र नदी में स्नान करने के बाद भूल जाते हैं और आपका मन दान-पुण्य के काम में लग जाता है।
अमावस्या के दिन अगर आप किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं तो आपको तीव्र बुद्धि और बल की प्राप्ति होती हैं और तेजस्वी हो जाते हैं।
यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह कमजोर है, तो नदी में स्नान करने के बाद वह प्रबल हो जाता है।
अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने के नियम
आपको ब्रह्म मुहूर्त में ही किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए और नदी के जल से ही उगते हुए सूर्य को अर्घ देना चाहिए।
स्नान के दौरान आप किस भी पवित्र मंत्र का जाप करते रहना चाहिए। अगर आपको कोई भी मंत्र नहीं आता है तो आपको ओम नमः: शिवाय का ही जाप करते रहना चाहिए।
स्नान करने से पूर्व आपको पहले ही सारी नित्य क्रियाएं कर लेनी चाहिए और नदी के जल को किसी भी प्रकार से दूषित नहीं करना चाहिए।
नदी में स्नान के समय डुबकी लगाने का भी विशेष महत्व है और इसलिए आपको कम से कम 3, 5 या 7 बार नदी में डुबकी जरूर लगानी चाहिए।
कब न करें नदी में स्नान
– महिलाओं को माहवारी के दौरान नदी में स्नान नहीं करना चाहिए।
– अगर आप गर्भवती हैं तो भी आपको नदी में स्नान नहीं करना चाहिए।
– सहवास के बाद भी नदी में स्नान नहीं करना चाहिए।
– जिस दिन आपके घर में किसी की मृत्यु हुई है, उस दिन दाह – संस्कार के बाद ही आप नदी में स्नान कर सकते हैं।
– अगर आपने कोई गलत कार्य किया है और आप इस मन स्थिति के साथ नदी में स्नान कर रहे हैं कि आपके पाप धुल जाएंगे तो यह भी गलत है।
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