कौन हैं अश्विन कुमार जिन्हें माना जाता है देवताओं का डॉक्टर
हिन्दू धर्म में 33 कोटि देवी-देवताओं का उल्लेख मिलता है जिनमें दो अश्विन कुमार भी शामिल हैं। कौन हैं अश्विन कुमार जो मनुष्य ही नहीं देवताओं को भी स्वास्थ्य प्रदान करते हैं और जिनकी कृपा से आयुर्वेद में हर एक रोग का इलाज संभव है।
कौन हैं अश्विन कुमार?
अश्विन कुमार भगवान सूर्य और माता संज्ञा के दो पुत्र हैं।
असल में इनका नाम नासत्य और दस्त्र है लेकिन अश्व यानी कि घोड़ी से उत्पत्ति होने के कारण इनका नाम अश्विन कुमार पड़ा।
हालांकि इन्हें अश्विनी कुमार के नाम से भी संबोधित किया जाता है। धर्म ग्रंथों में इन्हें देवताओं का चिकित्सक यानी कि डॉक्टर माना गया है।
सूर्य देव के दोनों पुत्रों अर्थात अश्वनी कुमार को वैदिक कालीन आयुर्वेद के प्रकांड विद्वान के रूप में जाना जाता है।
माना जाता है कि अश्विनी कुमारों के पास वो क्षमता है कि इनकी कृपा से भयंकर से भयंकर और लाइलाज रोग भी दूर हो जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, युद्ध में जब देवता असुरों के अस्त्रों से भयावह रूप से घायल होते थे तब अश्विनी कुमारों की औषधि ही एक मात्र इलाज मानी जाती थी जो देवताओं को पुनः स्वस्थ कर सके।
अश्विन कुमारों ने किससे प्राप्त की शिक्षा और विद्या?
पौराणिक कथा के अनुसार, अश्विन कुमारों ने आयुर्वेद की शिक्षा और समस्त ज्ञान दक्ष प्रजापति से अर्जित किया था।
माना जाता है कि चिकित्सा का सर्व प्रथम ज्ञान अश्विनी कुमारों को ही प्राप्त हुआ था।
बाद में चिकित्सा और आयुर्वेद से जुड़ी हर जानकारी अश्विन कुमारों द्वारा धनवंतरी भगवान याने कि कुबेर देव के पास पहुंचती थी।
यही नहीं, अश्विनी कुमारों ने महर्षि दधीचि से ब्रह्मविद्या का उपदेश भी प्राप्त किया था। जिसके बाद उन्होंने आयुर्वेद में मंत्रों को स्थान दिया।
इसी कारण से आज भी आयुर्वेद में मंत्रों द्वारा रोगों का इलाज संभव माना जाता है।
अश्विन कुमारों ने ही ‘अश्विनीकुमार संहिता’ का निर्माण किया था जिसे आयुर्वेद का आधार माना जाता है।
अश्विन कुमारों ने किया था देवताओं का इलाज
देवासुर संग्राम में जब देवताओं का हाल ऐसा हो गया कि उन्हें मृत्यु तक पहुंचाने का असुरों ने पूरा प्रबंध कर दिया था तब अश्विन कुमारों की चिकित्सा के कारण ही देवता अपना बल वापस पा सके थे और इस युद्ध में विजयी रहे थे।
जब एक बार ऋषि दधीचि का सिर कटकर अलग हो गया था तब अश्विन कुमारों ने अपने आयुर्वेदिक ज्ञान से उनका शीश उनके धड़ से दोबारा जोड़ दिय था।
अश्विन कुमारों को नेत्रदाता भी कहा गया है जिसका उदाहरण इस कथा से मिलता है कि राजा शर्याति की पुत्री सुकन्या के आवेदन पर अश्विन कुमारों ने महान ऋषि च्यवन के नेत्र ठीक कर दिए थे और अंधेपन से उन्हें आजाद कर दिया था।
जब एक युद्ध में इंद्र की भुजा कटकर अलग हो गयी थी तब भी अश्विन कुमारों ने अपने उपचार से वह भुजा पहले जैसे ही जोड़ दी थी।
ऐसी कई अनगिनत उपलब्धियां हैं जो अश्विन कुमारों ने की थीं। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति अश्विन कुमारों की पूजा करता है या उनका ध्यान करता है उसे किसी भी प्रकार के रोग से निजात मिल जाती है।
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