Home 2022 जानिए, शास्त्रों के अनुसार मुत्यु से पूर्व के 25 ऐसे लक्षण जो करता मौत का अहसास

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जानिए, शास्त्रों के अनुसार मुत्यु से पूर्व के 25 ऐसे लक्षण जो करता मौत का अहसास

हिन्दू दर्शन के अनुसार जन्म और मृत्यु बस एक समय है। जबकि जीवन इसके पहले, बीच में और बाद में भी निरंतर जाती है। हिन्दू धर्म के अनुसार मृत्यु कैसी भी हो काल या अकाल, उसकी प्रक्रिया छह माह पूर्व ही शुरू हो जाती है। छह माह पहले ही मृत्यु को टाला जा सकता है, अंतिम तीन दिन पूर्व, सिर्फ देवता या मनुष्य के पुण्य ही मृत्यु को टाल सकते हैं। यह याद रखना चाहिए कि मौत का अहसास व्यक्ति को छह माह पूर्व ही हो जाता है। विकसित होने में 9 माह, लेकिन मिटने में 6 माह या 3 माह ।

इस अंक में जानिए मौत के 25 लक्षण में 12 लक्षण, शेष अगले अंक में

पहला संकेत :

मनुष्य शरीर के सात चक्र बताए गए हैं। पुराणों में वर्णित है कि मृत्यु की आहट सबसे पहले मस्तिष्क में नहीं बल्कि नाभि में होती है। यानी पहली आहट नाभि चक्र पर महसूस की जा सकती है। मृत्यु आने के सबसे पहले पता नाभि चक्र से जाना जा सकता है। यह नाभि चक्र दिन में नहीं टूटता है, इसके टूटने की क्रिया लंबे समय तक जारी रहती है और जैसे-जैसे चक्र टूटता जाता है मृत्यु के करीब आने के दूसरे कई लक्षण महसूस होने लगते हैं। नाभि से ही जन्मा व्यक्ति नाभि से ही मर जाता है।

दूसरा संकेत:

समुद्रशास्त्र में उल्लेखित है कि जब मृत्यु आती है, तो हथेली में मौजूद रेखाएं अस्पष्ट और इतनी हल्की दिखाई देने लगती हैं, कि उसे देख पाना मुश्किल होता है।

तीसरा संकेत :

जिस व्यक्ति की मृत्यु हो रही है उसको अपने आस-पास कुछ सायों के मौजूद होने का अहसास होता रहता है। ऐसे व्यक्तियों को अपने पूर्वज और मृत व्यक्ति नजर आते रहते हैं। स्वप्नशास्त्र वर्णित है कि रूप ने कई बार भविष्य में होने वाली घटनाओं का संकेत देते हैं जैसे कि उसे अशुभ स्वप्न आने लगते हैं।

चौथा संकेत :

गरूड़ पुराण उल्लेखित है कि जब बिल्कुल मौत करीब आती है तो व्यक्ति को अपने करीब बैठा इंसान भी नजर नहीं आता है। ऐसे समय में व्यक्ति के यम के दूत नजर आने लगते हैं और व्यक्ति उन्हें देखकर डरता है। इसीलिए जब तक जीवन चक्र चलता रहता है तब तक सांसें सीधी चलती है। लेकिन जब किसी व्यक्ति की मृत्यु करीब आ जाती है तो उसकी सांसें उल्टी चलने लगती है।

पांचवां संकेत :

जब किसी नशा, रोग, अत्यधिक चिंता,अत्यधिक कार्य से भीतर के सभी वायु, नाड़ियां आदि कमजोर हो जाते हैं। यह उसी तरह है कि हम किसी इमारत के सबसे नीचे की मंजिल को खोद दें। ऐसे व्यक्ति की आंखों के सामने बार-बार अंधेरा छा जाता है। उठते समय, बैठते समय या सफर करते समय अचानक आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। यदि यह लक्षण दो-तीन सप्ताह तक बना रहे तो तुरंत ही योग, आयुर्वेद और ध्यान की शरण में जाना चाहिए या किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लें।माना यह भी जाता है कि इस अंधेरा छा जाने वाले रोग के कारण उस चांद में भी दरार जैसा नजर आता है। उसे लगता है कि चांद दो टुकड़ों में है, जबकि ऐसा कुछ नहीं होता।

छठा संकेत :

जिन लोगों की मृत्यु एक माह शेष रहती है वे अपनी छाया को भी स्वयं से अलग देखने लगते हैं। कुछ लोगों को तो अपनी छाया का सिर भी दिखाई नहीं देता है।

सातवां संकेत :

आयुर्वेदानुसार मृत्यु से पहले मानव शरीर से अजीब-सी गंध आने लगती है। इसे मृत्यु गंध कहा जाता है। यह किसी रोगादि, हृदयाघात, मस्तिष्काघात आदि के कारण उत्पन्न होती है। यह गंध किसी मुर्दे की गंध की तरह ही होती है। बहुत समय तक किसी अंदरुनी रोग को टालते रहने का परिणाम यह होता है कि भीतर से शरीर लगभग मर चुका होता है।

आठवां संकेत :

आंखों की कमजोरी से संबंधित ही एक लक्षण यह भी है कि व्यक्ति को दर्पण में अपना चेहरा न दिखकर किसी और का चेहरा होने का भ्रम होने लगता है।


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नौवां संकेत:

जब कोई व्यक्ति चंद्र, सूर्य या आग से उत्पन्न होने वाली रोशनी को भी नहीं देख पाता है तो ऐसा इंसान भी कुछ माह और जीवित रहेगा, ऐसी संभावनाएं रहती हैं।

दसवां संकेत:

जब कोई व्यक्ति पानी में, तेल में, दर्पण में अपनी परछाई न देख पाए या परछाई विकृत दिखाई देने लगे तो ऐसा इंसान मात्र छह माह का जीव र जीता है।

ग्यारहवां संकेत :

जिस व्यक्ति का श्वास अत्यंत लघु चल रहा हो तथा उसे कैसे भी शांति न मिल रही हो तो उसका बचना मुश्किल है। नासिका के स्वर अव्यवस्थित हो जाने का लक्षण अमूमन मृत्यु के 2-3 दिनों पूर्व प्रकट होता है। कहते हैं कि व्यक्ति की सिर्फ दाहिनी नासिका से ही एक दिन और रात निरंतर श्वास ले रहा है (सर्दी-जुकाम को छोड़कर) तो यह किसी गंभीर रोग के घर करने की सूचना है। यदि इस पर वह च्यान नहीं देता है तो तीन वर्ष में उसकी मौत तय है।जिसकी दक्षिण श्वास लगातार दो-तीन दिन चलती रहे तो ऐसे व्यक्ति को संसार में एक वर्ष का मेहमान मानना चाहिए। यदि दोनों नासिका छिद्र 10 दिन तक निरंतर ऊर्ध्व श्वास के साथ चलते रहें तो मनुष्य तीन क ही जीवित रहता है। यदि श्वास वायु नासिका के दो छेदों को छोड़कर मुख से चलने लगे तो दो दिन के पहले ही उसकी मृत्यु जानना चाहिए।

बारहवां संकेत :

जिसके मल, मूत्र और वीर्य एवं छींक एकसाथ ही गिरते हैं उसकी आयु केवल एक वर्ष ही शेष है, ऐसा समझना चाहिए।


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