पढ़िए, माघ मास में स्नान से मोक्ष का क्या है कनेक्शन , जानिए क्यों है ये मास ख़ास
धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से शास्त्रों में माघ स्नान की बड़ी महत्ता बताई गई है। इस मास को मोक्ष प्रदाता कहा गया है।
पौष पूर्णिमा से माघ पूर्णिमा तक एक मास माघ स्नान किया जाता है। इस बार माघ स्नान 6 जनवरी से 5 फरवरी तक किया जाएगा। इस पूरे मास अपने समीपस्थ पुण्य सलिलाओं, सरोवरों, तीर्थ क्षेत्र आदि में अथवा घर पर ही शुद्धतापूर्वक विधिपूर्वक स्नान करने की बड़ी महत्ता बताई गई है। माघ मास में अनेक तीर्थ नगरियों में नदियों के तटों पर मेलों का आयोजन होता है।
धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से शास्त्रों में माघ स्नान की बड़ी महत्ता बताई गई है। इस मास को मोक्ष प्रदाता कहा गया है। मान्यता है किमाघ मास में प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर स्नान करने से दस हजार अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। माघ मास में ब्रह्म मुहूर्त में जागकर गंगा, नर्मदा, यमुना, क्षिप्रा आदि पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का क्षय होता है। इस मास में दान-पुण्य, रोगियों, निशक्तों की सेवा करने से पुण्य कर्म उदय होते हैं। ग्रहजनित पीड़ा भी माघ स्नान से दूर होती है। इस मास में भगवत भक्ति करने से मोक्ष का द्वार खुलता है।
माघ में आती है गुप्त नवरात्रि
माघ मास में परम सिद्धिदायक गुप्त नवरात्रि भी आती है। इस बार गुप्त नवरात्रि 22 जनवरी से 30 जनवरी तक रहेगी। इस गुप्त नवरात्रि में माघ स्नान का महत्व और भी बढ़ जाता है। अनेक सिद्ध संत इन दिनों नदियों के तट पर कल्पवास कर अनेक सिद्धियां प्राप्त करते हैं। इस दौरान संयम, धैर्य और मौन रहते हुए सात्विक जीवन जीना चाहिए। इसी मास में मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होते हैं और मलमास समाप्त होता है।
घर में ही शुद्धतापूर्वक करें स्नान
सभी मनुष्यों के लिए पवित्र नदियों के तट पर जाकर स्नान करना संभव नहीं है, इसलिए अपने घर में ही पवित्र नदियों के स्नान का पुण्य प्राप्त किया जा सकता है। आप ब्रह्म मुहूर्त में जागकर पवित्र नदियों का जल (गंगाजल लगभग सभी घरों में होता है) डालकर उससे स्नान करें। शुद्ध वस्त्र धारण करके घर के देवी-देवताओं की पूजा करें और यथाशक्ति गरीबों को भोजन करवाएं या दान दें। गायों को हरा चारा खिलाएं। पक्षियों को दाना डालें। इससे आपको पुण्य फलों की प्राप्ति होगी।
दान का बड़ा महत्व
माघ मास में पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व तो है ही दान का भी बड़ा महत्व बताया गया है। इस माह में गरीबों, निशक्तों, अनाथों, दिव्यांगों, दृष्टिहीनों को आवश्यकता की वस्तुएं भेंट करना चाहिए। अनाज, फल, कपड़े, जूते-चप्पल, गर्म कपड़े, कंबल, भोजन, दवाइयों आदि का दान करना कुंडली के बुरे ग्रहों के फल को निष्फल करता है।
शिव-विष्णु दोनों की पूजा
माघ मास में भगवान शिव और श्रीहरि दोनों की पूजा विशेष फलदायी होती है। दोनों में आप जिन्हें भी पूजन करना चाहें उन्हें पूजें। यदि शिव की आराधना कर रहे हैं तो नित्य प्रतिदिन शिवजी का जलाभिषेक करें। शिवार्चन करें। महिम्नस्तोत्र का पाठ करें।
यदि विष्णु का पूजन कर रहे हैं तो नित्य प्रतिदिन भगवान का पूजन केसर-चंदन से कर विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें। इस मास में भगवान श्रीकृष्ण का पूजन भी विशेष फलदायी होता है।
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