गणेश जी ने चंद्रमा को दिया था श्राप, जिससे चंद्र देव ने खो दी अपनी चांदनी
एक बार गणेश जी मूषक पर बैठकर कहीं से आ रहे थे, उन्हें देखकर चन्द्रमा ने उनका उपहास बनाया, जिससे गणेश जी को क्रोध आ गया, उन्होंने चन्द्रमा को श्राप दे दिया…
जब आया गणेश जी को चन्द्रमा पर क्रोध
प्रथम पूज्य श्री गणेश जी महाराज का रूप सबसे अलग होने के वाबजूद भी सबको भाता है, गज का मुख, छोटा कद, मोटा पेट और उसपर चुहे की सवारी. विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता कहे जाने वाले गणेश जी हमेशा अपने भक्तों का हित ही करते हैं. क्या आपको पता है कि इतने सीधे-सरल दिखने वाले गणेश जी का क्रोध अपने पिता की ही भांति अत्यंत तीव्र है? अगर नहीं तो आइए आज हम बताते है आपको वो कथा, जब चन्द्रमा हो गए थे गणेश जी के क्रोध का शिकार।
गणेश जी और चंद्रमा की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, बात उस समय की है, जब श्री गणेश कुबेर का अभिमान नष्ट कर उसके घर से कैलाश की ओर लौट रहे थे. रात्रि हो चुकी थी और चन्द्रमा की रोशनी से कैलाश चमक रहा था, तभी मूषक के सामने से एक सर्प गुजरा, जिसके भय से मूषक उछला और उस पर विराजमान गणेश जी अपना संतुलन खो बैठे और गिर गए।
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चंद्रमा ने उड़ाया मज़ाक
वे उठकर खड़े हुए और इधर-उधर देखने लगे कि कहीं किसी ने उन्हें गिरते हुए देखा तो नहीं है ना! यह देख वह संतुष्ट हो गये कि किसी ने उन्हें गिरते नहीं देखा. तभी उन्हें किसी व्यक्ति की ज़ोर-ज़ोर से हंसने की आवाज़ सुनाई दी परंतु इधर-उधर तो दूर दूर तक कोई नहीं था. तभी उन्होंने ऊपर की तरफ देखा तो आसमान में चन्द्रमा को उनके ऊपर हंसता हुआ पाया, यह देख गणेश जी को शर्म आई।
गणेश जी महाराज को आया क्रोध
तभी उन्हें याद आया कि चन्द्रमा उनकी सहायता करने की बजाय उनका उपहास कर रहा है तो वे अत्यंत क्रोधित हो उठे और बोले, “अभिमानी चन्द्रमा! तुम मेरी लाचारी पर हंस रहे हो, यह तुम्हें कदापि शोभा नहीं देता, किसी की परेशानी का उपहास करना देवताओं नहीं अपितु दैत्यों का कार्य है, मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम्हें जिस चांदनी का गुरुर है, आज के बाद तुम उसे खो दोगे।”
चंद्रमा ने खो दी अपनी चांदनी
गणेश जी के मुख से श्राप निकलते ही वह हकीकत में बदल गया और सम्पूर्ण आकाश में अंधकार छा गया, यह देख चन्द्रमा गणेश जी के शरणागत होकर बोला, “हे दुःखहर्ता! मुझे बहुत बड़ी भूल हो गई, जो मैंने अभिमानवश आपका परिहास किया, अगर मेरी चांदनी ही चली जाएगी तो मेरा वजूद ही ख़त्म हो जाएगा. मुझे अपने किए का एहसास है, कृपा कर मुझे माफ़ करें भगवन और अपना श्राप वापस लें.”
चंद्रमा को दिया वरदान
चंद्रमा की क्षमा-याचना सुनकर और उसे शरणागत होते देख गणेश जी महाराज का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने कहा, “अपना श्राप तो वापस नहीं ले सकता परंतु तुम्हें एक वरदान भी देता हूं, यह तो होगा कि तुम अपनी रोशनी खो दोगे परंतु केवल माह में एक दिन के लिए, उसके अलावा तुम्हारा तेज कम-ज़्यादा होता रहेगा. इसके अलावा कुछ खास त्योहारों पर तुम्हारी पूजा भी की जाएगी।”
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