षटतिला एकादशी आज बुधवार को , जानिए पूजाविधि, महत्व, कथा संग मुहूर्त
यह एकादशी भगवान विष्णु को शीघ्र प्रसन्न करने वाली है। श्रीहरि के प्रसन्न होते ही मां लक्ष्मी की कृपा भी बरसने लगती है।
कथा-पूजा मुहूर्त
आज है माघ मास के कृष्ण पक्ष की ‘षटतिला एकादशी’, इस एकादशी में तिल का छह प्रकार का प्रयोग होने के कारण इसे षटतिला एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी का व्रत करने से जीवन में छह प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और मनुष्य मृत्यु पश्चात श्रीहरि के परम धाम को जाता है। इस एकादशी के दिन पंचामृत में तिल मिलाकर भगवान विष्णु को स्नान कराया जाता है। इस दिन व्रती तिल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। दिन में हरि कीर्तन कर रात्रि में भगवान भजन करते हुए श्रीहरि की मूर्ति के सम्मुख ही सोना चाहिए।
षटतिला एकादशी की कथा
प्राचीनकाल में वाराणसी में एक गरीब लकड़हारा रहता था। वह जंगल से लकड़ी काटकर बेचने का काम करता था। जिस दिन उसकी लकड़ी नहीं बिकती थी, उस दिन उसके परिवार को भूखा रहना पड़ता था। एक दिन वह साहूकार के घर लकड़ी बेचने गया। साहूकार के यहां उसने देखा किकिसी उत्सव की तैयारी चल रही है। लकड़हारे ने सेठजी से पूछा- सेठजी, किस उत्सव की तैयारी चल रही है। सेठजी ने बताया किषटतिला एकादशी व्रत की तैयारी चल रही है। इस व्रत के करने से गरीबी, रोग, पाप आदि से छुटकारा मिलता है तथा धन एवं उत्तमकोटि की संतान की प्राप्ति होती है। लकड़हारे ने सेठजी से व्रत की पूरी विधि पूछी और घर आकर अपनी पत्नी को बताया। लकड़ी बेचने से जो पैसे प्राप्त हुए थे उससे लकड़हारे ने पूजन की सामग्री खरीदी और पत्नी सहित विधिविधान से षटतिला एकादशी का व्रत किया। व्रत के फलस्वरूप लकड़हारा धनवान बना।
एकादशी समय
एकादशी प्रारंभ : 17 जनवरी सायं 6.05 बजे
एकादशी पूर्ण : 18 जनवरी सायं 4.03 बजे
व्रत का पारणा : 19 जनवरी प्रात: 7.09 से 9.20
षटतिला एकादशी व्रत का फल
यह एकादशी भगवान विष्णु को शीघ्र प्रसन्न करने वाली है। श्रीहरि के प्रसन्न होते ही मां लक्ष्मी की कृपा भी बरसने लगती है
मनुष्य के सारे आर्थिक अभाव दूर होते हैं और धन की अच्छी आवक होने लगती है।
संतान प्राप्ति में बाधा आ रही है तो यह एकादशी करने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है।
शीघ्र कर्ज मुक्ति होती है। कार्यो में उन्नति होने लगती है।
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