आखिर क्यों बच्चों पर नहीं पड़ती शनि की काली छाया?
हिन्दू धर्म में शनि देव को कर्मफलदाता माना जाता है। शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि शनि देव न्याय करते समय कभी भी भेदभाव नहीं करते हैं। वह व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं।
वहीं, ऐसा भी उल्लेखित है कि शनि देव की दृष्टि का प्रभाव बच्चों पर नहीं पड़ता है। यानी कि शनि देव बच्चों पर कभी भी अपनी कुदृष्टि नहीं डालते हैं और न ही बच्चों को शनि साढ़े साती या ढैय्या जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। जानिए इसके पीछे का कारण।
पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि दधीचि ने देवताओं के हित के लिए अपने प्राण त्याग दिए थे और उन्हीं की हड्डियों से देवराज इंद्र को वज्रास्त प्राप्त हुआ था। उन्हीं महर्षि दधीचि के पुत्र थे ऋषि पिप्लाद।
ऋषि पिप्लाद का जन्म पीपल के पेड़ के नीचे हुआ था और उनका संपूर्ण जीवन पीपल के पेड़ के नीचे भगवान शिव की कठोर तपस्या में ही बीता। भगवान शिव की कृपा से कठोर तप कर उन्होंने ब्रह्म दंड प्राप्त किया था।
कथा के अनुसार, ऋषि पिप्लाद के मन में हमेशा से ही यह प्रश्न था कि आखिर किन कर्मों के कारण उन्हें अनाथ का जीवन जीना पड़ा। इसी प्रश्न के उत्तर की इच्छा लिए एक दिन ऋषि पिप्लाद देव सभा में पहुंचे।
पिप्लाद मुनि ने सभी से यह प्रश्न किया और उत्तर मिला कि शनिदेव के कारण उन्हें ऐसा जीवन जीने के लिए बाधित होना पड़ा। यह जान पिप्लाद मुनि ने शनि देव से युद्ध का मन बना लिया और उन्हें सजा देने उनके भवन पहुंच गए।
जब पिप्लाद मुनि शनि देव के सामने पहुंचे तब उन्होंने क्रोध में आकर शनि देव पर ब्रह्म दंड से प्रहार कर दिया और उन्हें बच्चों के प्रति क्रूर होने की बात कहकर अपनी पीड़ा व्यक्त की।
पिप्लाद मुनि का क्रोध देख सभी देवता उन्हें शांत कराने के लिए शनि देव के भवन पहुंचे और उन्हें समझाने का प्रयास करने लगे। जब ऋषि शांत हुए तो उन्हें इस बात का आभास हुआ कि शनि देव तो मात्र कर्मों का फल देते हैं।
इसके बाद पिप्लाद मुनि ने शनि देव के समक्ष यह घोषित किया कि शनि देव 12 साल तक के बच्चों पर अपना साया नहीं डालेंगे। 12 वर्ष तक कि आयु अबोध अवस्था जिसमें बच्चे को सही गलत की समझ नहीं होती।
ऐसे में शनि देव 12 साल तक के बच्चों पर न तो अपनी दृष्टि डालेंगे न ही उन्हें परेशान करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने वरदान दिया कि जो भी व्यक्ति पीपल के पेड़ को जल अर्पित करेगा उसे भी शनि दृष्टि से मुक्ति मिल जाएगी।
इन्हें भी पढ़िए..
शनिदेव की चाल क्यों है टेढ़ी? किसने दिया था लंगड़े होने का श्राप
आखिर क्यों बच्चों पर नहीं पड़ती शनि की काली छाया?
लोबान के धुएं से अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं शनि देव, जानें कारण और उपाय
शनि देव की पूजा करते वक्त रखें इन बातों का ध्यान
पति से रहती है अनबन तो जरूर आजमाएं शनि के ये उपाय
जानें क्यों इन राशियों को नहीं सताते शनि देव
क्या घर में रखी भगवान की मूर्ति का अचानक से टूटना हो सकता है अशुभ, जानें क्या कहता है शास्त्र ?
भगवान विष्णु, राम और कृष्ण की तरह क्यों नहीं लगता महादेव के आगे ‘श्री’
शुक्रवार विशेष : इन छ उपाय से करें लक्ष्मी जी को प्रसन्न मिलेगा वैभव और श्री
महाशिवरात्रि पर इन राशियों को मिलेगा शिव जी का महा आर्शीवाद
दैनिक पंचांग / राशिफल
आज के पंचांग 11 फरवरी 2023 शनिवार
11 फरवरी, जिनका आज जन्मदिन है..
जिनका आज जन्मदिन है 10 फरवरी, जानिए अपना स्वभाव, वर्षफल और शुभ तिथियां
आज का पंचांग, 10 फरवरी 2023, शुक्रवार
आज का राशिफल 10 फरवरी 2023 शुक्रवार
अवश्य पढ़िए..
जानें शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या है अंतर
इस साल 7 या 8 मार्च, किस दिन खेली जाएगी होली? जानें होलिका दहन का सही मुहूर्त
जानिए क्या है फाल्गुन मास का धार्मिक महत्व, किनका करें पूजा…
ये हैं आज से शुरू हुए हिंदी कैलेंडर के अंतिम मास फागुन की ख़ास बातें
आज से शुरू हो रहा है फाल्गुन माह, जानें महत्त्व, नियम और पूजा विधि
यदि हैं आज कोर्ट कचहरी के चक्कर से परेशान, राहत के लिए आजमाये ये उपाय
छिड़कें दो चुटकी नमक, मिलेगा जोरदार तरक्की आपको अपने करियर में
शनि देव को शांत करने के पाँच प्रयोग, पढ़िए ब्रह्म पुराण’ में क्या कहते है शनिदेव
कुछ ऐसा रहेगा आपका फरवरी में ग्रह चाल , जानिए अपने राशि का हाल
ये है फरवरी माह के व्रत, त्योहार और छुट्टी की लिस्ट, जानिए कब है महाशिवरात्रि ?
पौराणिक कथाएं
आखिर क्यों अपने ही बेटे के हाथों मारे गए थे अर्जुन
पत्थर रूप में ही क्यों शिंगणापुर में प्रकट हुए शनि पढ़िए पुरी कहानी
उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। अन्य लेख पढ़ने के लिए साथ ही अपनी सुझाव संग पसंद – नापसंद जरूर बताएं। साथ ही जुड़ें रहें हमारी वेबसाइट ” मोक्ष भूमि – काशी “ के साथ। हमारी टीम को आपके प्रतिक्रिया का इन्तजार है। 9889881111
डिसक्लेमर
इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता को जाँच लें । सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/ प्रवचनों /धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। जानकारी पूरी सावधानी से दी जाती हैं फिर भी आप पुरोहित से स्पस्ट कर लें।
Leave a Reply