शनिदेव की चाल क्यों है टेढ़ी? किसने दिया था लंगड़े होने का श्राप
हिन्दू धर्म में शनि देव को कर्मफल दाता माना जाता है। ग्रंथों और शास्त्रों में उनके जन्म से लेकर कर्मफलदाता बनने तक की कथा वर्णित है। इसी कथा में उनके टेढ़ी चाल चलने के पीछे का रहस्य भी छिपा हुआ है।
शनि देव की टेढ़ी चाल चलने के पीछे का कारण बताने जा रहे हैं। शनि देव के धीरे या टेढ़े चलने के पीछे का कारण एक श्राप से जुड़ा हुआ है जिसके बारे में जानना बेहद रोचक साबित होगा।
पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव की दो पत्नियां थीं। माता संज्ञा और माता छाया। शनिदेव माता छाया के पुत्र और यम एवं यमुना माता संज्ञा की संतान। शनि माता छाया के लिए सभी संतानें बराबर थीं लेकिन माता संज्ञा शनि देव को अधिक पसंद नहीं करती थीं।
एक दिन शनि देव ने माता संज्ञा से भोजन मांगा। माता संज्ञा ने शनिदेव को भोजन के लिए प्रतीक्षा करने को कहा जबकि अपनी संतानों को उन्होंने भरपेट खाना खिलाया। यह देख शनि देव दुखी हुई और पुनः माता संज्ञा से भोजन मांगा।
जिस पर माता संज्ञा ने शनि देव की माता छाया के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया। अपनी माता का अपमान वह सह न सके और उन्होंने पैर से माता संज्ञा के गर्भ पर वार कर दिया। गर्भ पर वार माता संज्ञा सह न सकीं और उन्होंने शनि देव को श्राप दे दिया।
श्राप यह था कि जिस पैर से शनि देव ने उनके गर्भ पर वार किया है व पैर उनका टूट जाए। हुआ भी ऐसा ही और शनि देव की दर्द भरी चीख से पूरा ब्रह्मांड हिल गया। त्रिदेव भी वहां प्रकट हुए। शनि देव ने पिता सूर्य को पुकारा और न्याय करने के लिए निवेदन किया।
सूर्य देव ने शनिदेव का पैर तो जोड़ दिया लेकिन शनिदेव की चाल में फर्क आ गया था। इसका कारण यह था कि माता संज्ञा गलत अवश्य थीं पर वह माता के स्थान पर थीं ऐसे में मां के गर्भ पर वार करना उचित न था। बस तभी से शनिद एव की चाल धीरे या टेढ़ी हो गई।
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