कब है विजया एकादशी ? 16 फरवरी या 17 फरवरी
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी का व्रत करने से समस्त कार्यो में विजय प्राप्त होती है। इस बार विजया एकादशी 16 और 17 फरवरी 2023 को पड़ रही है। स्मार्त लोग 16 फरवरी को करेंगे और वैष्णवजन 17 फरवरी को विजया एकादशी करेंगे।
दो दिन एकादशी क्यों
एकादशी व्रत को लेकर अक्सर मतभेद रहता है। दो-दो दिन आने से लोग भ्रम में रहते हैं किकिस दिन करें। 16 फरवरी को एकादशी व्रत स्मार्त और 17 फरवरी को एकादशी व्रत वैष्णव है। यदि दशमी तिथि का मान 56 घटी से अधिक हो तो वह अरुणोदय अर्थात सूर्योदय से 4 घटी पूर्व का वेध करती है, इस कारण वैष्णवजन एकादशी तिथि में व्रत न करते हुए द्वादशी तिथि में व्रत करते हैं। वैष्णवजन वे हैं जिन्होंने वैष्णव संप्रदाय के किसी गुरु से कंठी धारण करवाई है। अन्य सभी स्मार्त कहलाते हैं।
एकादशी समय
एकादशी प्रारंभ 16 फरवरी को प्रात: 5.32 बजे
एकादशी पूर्ण 17 फरवरी को रात्रि 2.49 बजे
स्मार्त एकादशी पारण 17 फरवरी को प्रात: 8.01 से 9.15
वैष्णव एकादशी पारण 18 फरवरी को प्रात: 6.57 से 9.14
विजया एकादशी का महत्व
कहा जाता है इस दिन भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे थे। समुद्र ने जब श्रीराम को मार्ग नहीं दिया तो उन्होंने ऋषियों से उपाय पूछा। ऋषियों ने बताया किप्रत्येक शुभ कार्य को शुरू करने से पहले व्रत आदि अनुष्ठान करते हैं। आप भी एकादशी का विधिपूर्वक व्रत कीजिए। मिट्टी के एक बर्तन को स्थापित कर उसके पास पीपल, आम, बरगद तथा गूलर के पत्ते रखो। एक बर्तन में जौ भरकर कलश पर स्थापित करो तथा विधिपूर्वक पूजन करो। रात्रि जागरण के बाद प्रात:काल जल सहित कलश को सागर के निमित्त अर्पित कर दो। इस व्रत के प्रभाव से समुद्र रास्ता भी देगा तथा रावण पर विजय भी प्राप्त होगी। व्रत के प्रभाव से श्रीराम को विजयश्री प्राप्त हुई।
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