राक्षसी होलिका, कैसे बनी एक पूजनीय देवी, जानें रोचक पौराणिक कथा
होली से पहले होलिका दहन करने की परंपरा है। होलिका दहन की कथा तो सब जानते हैं लेकिन इस कथा में छिपी देवी की महिमा के बारे में आज हम आपको बताएंगे।
होली का त्यौहार बस आने को ही है। भारत में होली के दिन मात्र रंगों से खेला नहीं जाता है बल्कि उससे एक दिन पहले होलिका दहन के रूप में होली पूजी भी जाती है।
होलिका दहन से जुड़ी एक कथा काफी प्रचलित है जिसके अनुसार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने भाई के साथ मिलकर प्रहलाद को मारने की कोशिश की थी लेकिन प्रहलाद के बदले होलिका का ही दहन हो गया।
इस कथा से भरता का बच्चा-बच्चा वाकिफ है लेकिन आज हम आपको इस कथा से थोड़ा आगे ले जाते हुए ये बताएंगे कि आखिर कैसे होलिका जो एक राक्षसी थी उसे देवी की उपाधि मिली और उन्हें पूजा जाने लगा।
हिरण्यकश्यप बना भगवान
हिरण्यकश्यप नाम का राक्षस भगवान विष्णु से घृणा करता था क्योंकि श्री हरि विष्णु के वाराह अवतार द्वारा उसके भाई का वध हुआ था। इसी कारण उसने तपस्या कर ब्रह्म देव से दिव्य वरदान मांगा और अपने राज्य में विष्णु पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया।
वह खुद को भगवान मानने लगा था। विष्णु पूजन करने वाले लोगों पर उसका अत्याचार बढ़ने लगा था। वहीं। खुद हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। यह बात जब दुराचारी को पता चली तो उसने प्रहलाद को मारने के कई प्रयास किये।
बहन के साथ रचा षड्यंत्र
हर प्रयास में विफल होने के बाद जब हिरन्यकश्यप थक हार गया तब उसने अपनी बहन होलिका का सहारा लिया और प्रहलाद को मारने की योजना बनाई। होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी और इसी के बल पर वह प्रहलाद को चिता पर लेकर बैठ गई।
विष्णु भक्त की भक्ति रंग लाइ और प्रहलाद अग्नि में से सुरक्षित बाहर आ गए पर हिरण्यकश्यप की बहन होलिका अग्नि में जलकर ख़ाक हो गई। इसके बाद से ही होलिका दहन मनाने की परंपरा शुरू हुई। अब सवाल ये उठता है कि आखिर होलिका को देवी क्यों माना जाता है।
इस तरह बनी होलिका देवी
जबकि होलिका एक राक्षसी थी और उसने अपने ही भतीजे का अहित करने की कोशिश की थी। तो इसका उत्तर यह है कि होलिका एक देवी थी जो ऋषि द्वारा दिए गए श्राप को भुगत रही थी। मृत्यु के कारण उस जन्म का उसका श्राप पूर्ण हो गया और अग्नि में जलने के कारण वह शुद्ध हो गई।
इसी कारण से होलिका को राक्षसी होने के बाद भी होलिका दहन वाले दिन देवी रूप में पूजा जाता है। माना जाता है कि होलिका दहन वाले दिन अग्नि में एक मुट्ठी चावल डालने से होलिका देवी की कृपा बनी रहती है और कोई भी आपका अहित नहीं कर पाता है। अग्नि के चक्कर लगाने से कष्ट मिट जाते हैं।
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