जानिए रामायण काल की 5 महिलाओं के बारे में, जिनके इर्दगिर्द घूमती है कथा
हिंदू पौराणिक कथाओं और धर्म शास्त्रों में कुछ ऐसे चरित्रों का वर्णन है जिनकी खूबियां आज भी लोगों को आकर्षित करती हैं। ऐसे ही पौराणिक कथाओं और ग्रंथों में महिलाओं की खूबसूरती को लेकर भी कई बातें बताई गई हैं।
महाभारत और रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों में कुछ ऐसी महिलाओं के बारे में बताया गया है जिनकी खूबसूरती आज भी दुनिया के लिए मिसाल मानी जाती है। दरअसल उस काल की ये खूबसूरत महिलाएं इन पौराणिक ग्रंथों की मुख्य पात्र के रूप में भी सामने आती हैं।
अहिल्या
रामायण ग्रन्थ के अनुसार अहिल्या सबसे खूबसूरत महिलाओं में से एक थीं और स्वयं ब्रह्मा जी उन्हें शुद्ध रचनात्मक ऊर्जा को ढालकर बनाया था। पौराणिक कथाओं की मानें तो ब्रह्मा जी ने उर्वशी के अभिमान और अहंकार को तोड़ने के लिए उसे पानी से सबसे सुंदर महिला के रूप में बनाया।
उनकी सुंदरता ऐसी थी कि देवराज इंद्र उनकी खूबसूरती पर मोहित हो गए और उन्होंने अहिल्या के पति ऋषि गौतम का रूप धारण करके छल से उसे हासिल करना चाहा। लेकिन जब इंद्र की सच्चाई सामने आई तब ऋषि के श्राप से इंद्र को कुरूप बना दिया गया और अहिल्या को एक पाषाण शिला में बदल दिया गया। बाद में प्रभु श्री राम ने उनका रूप वापस लाने में मदद की।
सीता
माता सीता की छवि से भला कौन अंजान है। रामायण काल में सीता माता को सबसे खूबसूरत स्त्रियों में से माना जाता है। माता सीता लक्ष्मी जी का अवतार थीं और प्रभु श्री राम की पत्नी थीं, जिन्हें विष्णु जी का अवतार माना जाता है।
माता सीता (माता सीता के जन्म की कहानी) की खूबसूरती इतनी ज्यादा थी कि रावण ने उन्हें छल से अपहरण करके लंका में कैद कर लिए। माता सीता की खूबसूरती इतनी ज्यादा थी कि आज भी उनकी खूबसूरती की बातें होती हैं।
मंदोदरी
रामायण में वर्णित सीता माता के मनमोहक सौंदर्य की तुलना में अगर कोई महिला थी तो वह सभी राक्षसों के स्वामी रावण की पत्नी थी। उसकी सुंदरता दानव जाति की किसी भी अन्य महिला से तो बेजोड़ थी ही और उस काल की भी सबसे खूबसूरत महिलाओं में से थी। दरअसल यही एक वजह थी कि रावण ने उन्हें अपनी पटरानी बनाया था क्योंकि वो सबसे खूबसूरत महिला थीं।
कैकई
कैकई को भी रामायण काल की सबसे खूबसूरत महिलाओं में से एक की उपाधि मिली थी। वो राजा दशरथ की तीन पत्नियों में से सबसे छोटी थीं। उनकी खूबसूरती और हुनर को देखकर अयोध्या के महाराजा और प्रभु श्री राम के पिता दशरथ ने उन्हें अपनी रानी बनाया था।
देवासुर संग्राम में केकई ने दशरथ की राक्षसों से रक्षा की और तब महाराजा ने उन्हें 3 वचन मांगने को कहा। आगे चलकर केकई ने श्री राम के वनवास के रूप में उनमें से एक वचन मांगा और उसी वचन को पूरा करने राम को वनवास जाना पड़ा।
तारा
हिंदू महाकाव्य रामायण में तारा किष्किंधा की रानी और वानर राज बाली की पत्नी के रूप में प्रसिद्ध थीं। तारा को रामायण में एक अप्सरा के रूप में वर्णित किया गया है, जो दूध सागर के मंथन से निकली थीं।
ऐसा माना जाता है कि तारा असल में बाली के भाई सुग्रीव की पत्नी थीं और बाली ने छल से उसे अपनी पत्नी बना लिए था। लेकिन जब प्रभु श्री राम के साथ बाली का युद्ध हुआ और उसकी मृत्यु हो गई तब सुग्रीव ने पुनः अपनी पत्नी बना लिया।
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