इसलिए जरुरी होता है नवरात्रि के दौरान हवन करना, ये है महत्व
हवन हमेशा से ही हिंदू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खासतौर पर नवरात्रि के दौरान हवन का अपना अलग ही महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि यदि आप नौ दिन तक उपवास करती हैं और माता के विभिन्न स्वरूपों का पूजन करती हैं तो अष्टमी या नवमी तिथि के दिन हवन अनिवार्य माना जाता है।
हवन शब्द का अर्थ
‘हवन’ शब्द ‘होम’ नामक संस्कृत शब्द से बना है, जिसका अर्थ है अग्नि में डालना, भेंट देना और बलिदान करना। हिंदू संस्कृति में हवन, जिसे ‘यज्ञ’ के रूप में भी जाना जाता है, इसे भगवान के प्रति समर्पण से जोड़ा जाता है। यह किसी विशेष अवसर पर किया जाने वाला एक अनुष्ठान है जो आमतौर पर आम की लकड़ियों, हवनसामाग्री, कपूर, घी और अन्य आवश्यक सामग्रियों के साथ किया जाता है। इसमें एक हवनकुंड में अग्नि प्रज्ज्वलित की जाती है और मन्त्रों का उच्चारण करते हुए उसमें हवन सामग्री डाली जाती है।
नवरात्रि के दौरान हवन क्यों जरूरी है
किसी भी नवरात्रि की सप्तमी, अष्टमी या नवमी तिथि की पूजा का बहुत महत्व है। इस दिन लोग पूरे विधि-विधान से पूजा करते हैं। आमतौर पर नवमी तिथि को हवन के साथ ही पूजा का समापन हो जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार चैत्र या शारदीय नवरात्रि में हवन करना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि हवन के बाद ही आपकी नवरात्रि की पूजा पूरी होती है और पूजा का संपूर्ण फल मिलता है। नवरात्रि में हवन करने से माता दुर्गा प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं। घर की सुख समृद्धि और किसी भी नकारात्मक शक्ति से बचने के लिए नवरात्रि में हवन करना जरूरी माना जाता है।
नवरात्रि में हवन का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि आप नवरात्रि के दौरान हवन करते हैं तो इससे घर की आर्थिक तंगी दूर रहती है। कई बार ऐसा होता है कि आपको मेहनत करके भी सफलता हासिल नहीं होती है।
ऐसे में यदि आप विधि-विधान के साथ हवन करेंगे तो आपको कई समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है और आर्थिक रूप से चली आ रही परेशानियां भी समाप्त होती हैं। इसके साथ ही हवन करने से घर की सुख शांति भी बनी रहती है और हवनके दौरान आम की लकड़ियों का इस्तेमाल करने से आस-पास का वातावरण भी शुद्ध रहता है।
यदि आपकी शादी में बाधाएं आ रही हैं तो नवरात्रि के दौरान नवमी तिथि के दिन हवन करना विशेष रूप से फलदायी होता है।
मंत्रों के जाप के साथ करें हवन
हवन कुछ विशेष मंत्रों का जाप करते हुए शुरू करने की सलाह दी जाती है। ज्योतिष में बताया जाता है कि हवन करते समय सबसे पहले अग्नि कुंड में “ॐ अग्नेय नमः स्वाहा का जाप करते हुए आहुति दें फिर ‘ओम गणेशाय नमः: स्वाहा’ और गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करते हुए हवन करें। इस प्रकार हवन सामग्री की आहुति देते हुए हवन किया जाता है।
नवरात्रि में किस दिन किया जाता है हवन
हवन के लिए नवरात्रि का आठवां दिनयानी महागौरी का दिन बेहद खास माना जाता है। इस दिन महागौरी के पूजन के साथ कन्या पूजन भी किया जाता है और यदि साथ में आप हवन करते हैं तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है। वहीं नवमी तिथि का हवन भी बेहद ख़ास माना जाता है और इस दिन से नवरात्रि का समापन होता है।
दरअसल हवन का संबंध कन्या पूजन से होता है। यदि आप अष्टमी तिथि के दिन हवन करते हैं तो आपको इसी दिन हवन करना चाहिए और कन्या पूजन नवमी तिथि के दिन करने वाले लोगों को नवमी में हवं करने की सलाह दी जाती है।
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