सोम प्रदोष व्रत : सोम प्रदोष व्रत और कथा सुनने से दूर होंगे शारीरिक कष्ट
वैशाख मास के कृष्ण पक्ष में सोमप्रदोष व्रत 17 अप्रैल 2023 को किया जाएगा। इस दिन परम पुण्यदायी ब्रह्म योग भी है। इस दिन प्रदोष व्रत रखकर शिवजी का पूजन, अभिषेक करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होगी। जन्मकुंडली में यदि चंद्र खराब है और अशुभ प्रभाव दे रहा है तो सोमप्रदोष के दिन चंद्र की शांति के उपाय भी किए जा सकते हैं। ब्रह्म योग सूर्योदय से रात्रि 9 बजकर 4 मिनट तक रहेगा।
सोमप्रदोष व्रत के लाभ
सोमप्रदोष के दिन प्रात: स्नानादि से निवृत होकर प्रदोष व्रत का संकल्प लेकर शिवजी का पूजन संपन्न करें। पंचामृत से अभिषेक करें। एकादशी की तरह इस व्रत में भी निराहार रहा जाता है। क्षमता न हो तो फलाहार ग्रहण किया जा सकता है।
सोमप्रदोष व्रत मुख्यत: पारिवारिक जीवन की समस्याओं से मुक्ति के लिए किया जाता है। इस व्रत के प्रभाव से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। घर-परिवार में सुख-शांति, उत्तम संतान प्राप्ति और धन लाभ होता है। संकटों का नाश सोमप्रदोष व्रत से होता है।
क्यों जरूरी है सोमप्रदोष का व्रत रखना?
सोमप्रदोष का दिन चंद्र की शांति का प्रमुख दिन होता है। जन्मकुंडली में चंद्र कमजोर हो, अशुभ ग्रहों से प्रभावित हो, जिनका जन्म कृष्ण पक्ष में हुआ हो, चंद्र अष्टम या द्वादश हो उन लोगों को चंद्र को मजबूत करने के उपाय करने चाहिए। चंद्र कमजोर हो तो जातक मानसिक रूप से हमेशा विचलित रहता है। वह अक्सर गलत निर्णय ले लेता है।
उसे जल और पेट से संबंधित रोग हमेशा परेशान करते हैं। सर्दी-जुकाम, श्वास और फेफड़ों के रोग बार-बार होते रहते हैं। मातृपक्ष का स्वास्थ्य भी कमजोर होता है। ऐसे जातकों को चंद्र को मजबूत करने के लिए सोमप्रदोष का व्रत रखना चाहिए। इस दिन शिवजी का अभिषेक दूध से करें।
शिवजी को सफेद आंकड़े के पुष्प अर्पित करें। शिव मंदिर में सवा किलो चावल, सफेद चंदन, सफेद वस्त्र दान करें। सोम प्रदोष की रात्रि में गरीबों को दूध पिलाने से चंद्र से जुड़े दोष दूर होते हैं। इस दिन चांदी का छल्ला अपनी कनिष्ठिका अंगुली में धारण करें, सफेद चंदन की माला गले में पहनें।
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