Surya Grahan : क्यों लगता है सूर्य ग्रहण, जानिए क्या है पौराणिक रहस्य ?
साल का पहला सूर्यग्रहण गुरुवार को लगने जा रहा है, हालांकि ये इंडिया में दिखाई नहीं पड़ेगा और ना ही सूतक मान्य होगा लेकिन फिर भी ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ग्रहण का असर राशियों पर होता है इसलिए सभी को ग्रहण के दौरान सावधानियों को बरतना जरूरी होता है। फिलहाल आपको ग्रहण को लेकर बहुत सारी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं जिनके बारे में हर किसी को जानना बहुत जरूरी है।
समुद्र मंथन से जुड़ी है कथा
सूर्य ग्रहण को लेकर सबसे लोकप्रिय कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है, दरअसल ऐसा माना जाता है कि मंथन के दौरान जब अमृत कलश निकला था तो उसे लेकर असुरों और देवताओं में होड़ मच गई तब विष्णु भगवान ने दैत्यों को अमृत पान से रोकने के लिए मोहिनी रूप धरा था।
असुर और देवताओं को अलग-अलग पंक्ति में बिठाया
उन्होंने एक चाल चली जिसमें असुर और देवताओं को अलग-अलग पंक्ति में बिठाया गया था और मोहिनी बने विष्णु ने ने बड़ी ही चालाकी से देवताओं को अमृत पिलााया था लेकिन उनकी इस चालाकी को राहु ने समझ लिया और इसलिए उसने भी देवता का रूप धारण कर लिया था लेकिन उसकी इस चालाकी को सूर्य और चंद्रमा ने पहचान लिया।
सूर्य और चंद्र का दुश्मन बना राहु
और उन्होंने ये बात विष्णु जी को बताई, जिस पर विष्णु जी क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी, राहु तो अमृत पी चुका था। लेकिन उस दिन से बाद से राहु सूर्य और चंद्र को अपना दुश्मन मानने लगा इसलिए अमावास की रात को वो इन्हें घेर लेता है, जिससे पूरे वातावरण में अंधेरा छा जाता है और वो स्थिति ग्रहण की कहलाती है। इसलिए ज्योतिष शास्त्र राहु के उग्र होने को अच्छा नहीं मानते हैं।
05 घंटे 24 मिनट का होगा ग्रहण
मालूम हो कि 20 अप्रैल को लगने वाला सूर्य ग्रहण सुबह 07:05 पर शुरू होगा और इसका समापन दोपहर 12:29 पर होगा। ग्रहण की अवधि 05 घंटे 24 मिनट की होगी और ये चीन, थाईलैंड, अमेरिका, मलेशिया, जापान,न्यूजीलैंड, हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के लोगों को ही नजर आएगा।
ये हाइब्रिड सूर्य ग्रहण है
आपको बता दें कि सूर्य ग्रहण का लाइव प्रसारण आप नासा के ट्विटर अकाउंट पर देख सकते हैं। ये हाइब्रिड सूर्य ग्रहण है और इसमें आपको सूर्य ग्रहण के तीनों प्रारूप दिखाई देंगे।
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