जानिए कब पड़ेगी सूर्य ग्रहण की छाया, पितृदोष संग बुरी शक्ति से बचाव के लिए करें जरूर करें ये प्रयास
हिन्दू धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा का बहुत महत्व होता है। कई तरह के व्रत और त्योहार अमावस्या तिथि को ही पड़ते हैं। अमावस्या के दिन पितरों का दान और श्राद्ध करने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही इस दिन ख़ास तौर पर पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है।
इस वर्ष की वैशाख अमावस्या 20 अप्रैल को पड़ने वाली है। यह अमावस्या वैशाख माह के कृष्ण पक्ष के आखिरी दिन पड़ती है। इस वर्ष वैशाख अमावस्या और भी अधिक महत्वपूर्ण होगी क्योंकि इस दिन सूर्य ग्रहण भी लगने वाला है। जानते हैं वैशाख अमावस्या की तिथि, राहुकाल और ग्रहण के मुहूर्त, महत्व और खास उपाय:
वैशाख अमावस्या तिथि एवं मुहूर्त वैशाख अमावस्या वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पड़ती है। अमावस्या तिथि की शुरुआत 19 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 24 मिनट से होगी और समापन 20 अप्रैल को सुबह 09 बजकर 43 मिनट पर होगा। उदय तिथि को मानते हुए 20 अप्रैल को अमावस्या तिथि मानी जाएगी। इस दिन सुबह 04 बजकर 20 मिनट से 05 बजकर 07 मिनट तक स्नान का मुहूर्त रहेगा।
राहुकाल और सूर्य ग्रहण का मुहूर्त 20 अप्रैल को अमावस्या तिथि की समाप्ति के बाद दोपहर में 01 बजकर 58 मिनट से 03 बजकर 35 मिनट तक राहुकाल रहेगा। इस दिन श्राद्ध कर्म सुबह 10 बजकर 35 मिनट तक कर लें। इसके साथ ही 20 अप्रैल को सूर्य ग्रहण भी लगने वाला है। सुबह 07 बजकर 04 मिनट से दोपहर के 12 बजकर 29 मिनट तक ग्रहण रहेगा।
वैशाख अमावस्या का महत्व पितरों का दान और श्राद्ध पूजन पूर्वजों को मोक्ष प्राप्ति कराने के लिए ज़रूरी होता है। वैशाख अमावस्या का दिन पितरों के दान और श्राद्ध के लिए एक महत्वपूर्ण मौका है। इस दिन धर्म, कर्म, स्नान, दान और तर्पण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही कुंडली में चल रहे पितृ दोष के छुटकारे और संतान प्राप्ति के सुख को पाने के लिए इस दिन विशेष उपाय और पूजा की जाती है।
वैशाख अमावस्या के ख़ास उपाय आर्थिक रूप से आ रही समस्याओं से छुटकारे के लिए वैशाख अमावस्या के दिन सत्तू का दान करें। सत्तू के दान से अक्षय फल की प्राप्ति होती है जो अंततः आर्थिक समृद्धि प्राप्त कराता है। सुबह सुबह पवित्र स्नान के बाद अपने हाथ में कुश की पवित्री पहनें और हाथ में जल लेकर तर्पण दें। अपने पितरों को जल से तृप्त करें क्योंकि पितृ लोक में पानी की कमी होती है। जल से उनकी आत्माओं को तृप्त करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। स्नान के बाद पितृ स्त्रोत का पाठ करें। इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद भी देते हैं। पितरों को प्रसन्न करके इस दिन उनके पसंद का भोजन बनाकर जीवों को खिलाएं जैसे कुत्ता, गाय, पक्षी आदि। मान्यताओं के अनुसार इन जीवों के माध्यम से पितरों को भोजन प्राप्त होता है। बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जा से निजात पाने के लिए इस दिन महामृत्युंजय का जाप करें। इससे जीवन में सभी व्याप्त दुखों का निवारण होता है और बुरी शक्तियों का प्रभाव भी खत्म होता है। इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा करें और उनकी पूजा के पश्चात दान का पुण्य कर्म करें। विष्णु उपासना से भक्तों को अमोघ फल की प्राप्ति होती है।
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