तीर्थायन की द्वितीय श्रृंखला : पुराणोक्त काशीस्थ तीर्थ यात्रा के क्रम में केदार खंड तक पहुंची धर्म यात्रा
– पाक्षिक पूर्व निर्धारित तिथियों पर अनवरत जारी रहेगी यह धार्मिक – सांस्कृतिक यात्रा
– शीघ्र जारी होगा तीर्थायन का वार्षिक कैलेंडर
भदैनी स्थित हयग्रीव केशव मंदिर से तीर्थायन क्रम की दूसरी यात्रा आज प्रातः 6.30 बजे शुरू हुई। आज की यात्रा के संरक्षक आई आई टी , बी एच यू के पूर्व निदेशक प्रो सिद्धनाथ उपाध्याय, एकेटीयू के पूर्व कुलपति प्रो प्रदीप कुमार मिश्र एवम प्रख्यात न्यूरोलॉजिस्ट डॉ विजय नाथ मिश्र थे।
यात्रा की शुरुआत में संरक्षकगण ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि –
“विश्व की प्राचीनतम, धर्म की नगरी काशी में पुराणोक्त लगभग 1100 से भी ज्यादा मंदिरों का उल्लेख है। काशी के अंतस में धर्म, दर्शन, संस्कृति और जनजीवन के अनूठे रहस्य छिपे हुए हैं। इन रहस्यों का उद्घाटन उनके नजदीक पहुंच कर ही किया जा सकता है। तीर्थ स्थलों , देव मंदिरों तथा सनातन संस्कृति की अप्रतिम धरोहरों को जानने – समझने के संकल्प को तीर्थायन नाम से एक अभियान के रूप में शुरू किया गया है। कहने को यह धार्मिक यात्रा का एक क्रम है , लेकिन इसके अंदर अपनी सांस्कृतिक समझ को विकसित करते हुए संरक्षण व संवर्धन के असीम आयाम छुपे हुए हैं।
काशीस्थ तीर्थों के दर्शनक्रम से शुरू यह अभियान दिन प्रति गहन संवेग के साथ आगे बढ़ रहा है। तीर्थायन को काशी के प्रबुद्ध सचेत समाज का जनसमर्थन तथा सक्रिय सहभाग मिलना अत्यन्त उत्साहजनक है। ”
काशीकथा और अंतर राष्ट्रीय काशी घाटवॉक विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में काशी के 1100 लगभग काशी खंडोक्त मंदिर और देव दर्शन का संकल्प है। रविवार को हुई इस द्वितीय यात्रा में मार्गदर्शन के रूप में समाज – जीवन के हर विधा यथा संगीत, अभियांत्रिकी, साहित्य, कला, राजनीति, समाज सेवा, पत्रकारिता, इतिहास, धर्म दर्शन आदि के मूर्धन्य विद्वान और काशी के लोग तीर्थायन में मौजूद रहे।
सुबह 6.30 बजे काशीकथा न्यास की शोध परिकल्पना के तहत काशी के तीर्थों की परिक्रमा के अभियान *तीर्थायन* के द्वितीय खंड की शुरुआत की गई। तीर्थायन में काशी के युवा से लेकर प्रबुद्ध लोग शामिल हुए। यात्रा भदैनी स्थित हयग्रीव केशव से शुरू होकर केदार घाट स्थित गौरी केदारेश्वर मंदिर पहुंच कर समाप्त हुई। इस क्रम में हयग्रीव केशव, अक्रूर जी द्वारा स्थापित अक्रूरेश्वर महादेव, नाविक समाज की कुलदेवी फूलमती देवी, दु:स्वप्नों के निवारणकर्ता स्वपनेशवर महादेव एवम स्वप्नेश्वरी देवी, घृष्णेश्वर महादेव, नरसिंहेश्वर, रामेश्वर , भरतेश्वर ,शत्रुघ्नेश्वर, लक्ष्मणेश्वर, हनुमदीश्वर महादेव, विकट नरसिंह, हरिहरेश्वर महादेव, निलकंठेश्वर महादेव तथा गौरीकेदारेश्वर महादेव का दर्शन – पूजन किया गया।
यात्रा के तहत आने वाले 21 मंदिरों में भजन-कीर्तन के साथ लोगों ने विधिवत दर्शन-पूजन किया। साथ ही सभी मंदिरों की मान्यता और इतिहास को भी जाना। सुबह से ही काशी के उक्त क्षेत्र की गलियां भक्ति संगीत से गुंजयमान हो उठीं।
अंत में घाट वॉक के संस्थापक डॉ विजय नाथ मिश्र तथा काशी कथा के संयोजक सामाजिक कार्यकर्ता डॉ अवधेश दीक्षित ने आये हुए सभी अतिथियों के प्रति आभार जताया और कहा कि यह यात्रा अब हर दूसरे रविवार को ( पाक्षिक ) सम्पन्न होगी। शीघ्र ही सभी सक्रिय साथी एक बैठक करके वार्षिक कैलेंडर जारी करेंगे; जिससे वर्ष भर की यात्रा को ध्यान में रखकर देश के दूसरे हिस्से के लोग भी काशीस्थ तीर्थों का दर्शन कर सकेंगे।
तीर्थायन में प्रमुख रूप से प्रो. सिद्धनाथ उपाध्याय,प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र, प्रो. विजयनाथ मिश्र, शैलेश कुमार तिवारी, डॉ. अवधेश दीक्षित, रामानंद तिवारी, शैलेश तिवारी, उमाशंकर गुप्ता, विमल कुमार सिंह, शैलेंद्र किशोर पांडेय मधुकर, प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल, नारायण द्रविड़, अजय शर्मा, मनीष खत्री, पी के झा, अमरेंद्र पांडेय, जगन्नाथ ओझा, ऋषि झींगरण, बलराम यादव, रजनीकांत त्रिपाठी, अरविंद मिश्र, अनुराग यादव अभिषेक यादव, संजय शुक्ल अनुज चतुर्वेदी, महेश उपाध्याय, चक्रपाणि ओझा, कपिंद्र तिवारी, चंद्रशेखर मिश्रा, अनूप पांडेय, राधाकृष्ण गणेशन, डॉ. नीरज पांडेय, अंकित त्रिपाठी सहित 150 से अधिक लोग शामिल रहे।
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