तीर्थायन की तीसरी श्रृंखला : प्राचीन देव स्थलों की परिक्रमा कर भक्तों ने जाना उनके धर्म, दर्शन और संस्कृति की महत्ता
– पुराणोक्त लगभग 1100 काशीस्थ तीर्थ स्थलों के दर्शन – संकल्प के क्रम में चौसट्टी घाट तक पहुंची यात्रा
– तीर्थायन का वार्षिक कैलेंडर बनकर तैयार
केदार घाट स्थित गौरी केदारेश्वर मंदिर से तीर्थायन क्रम की तीसरी यात्रा आज प्रातः 6.30 बजे शुरू हुई। आज की यात्रा के संरक्षक आई आई टी , बी एच यू के पूर्व निदेशक प्रो सिद्धनाथ उपाध्याय,लेखक- विचारक रामाशीष एवम प्रख्यात न्यूरोलॉजिस्ट डॉ विजय नाथ मिश्र थे।
यात्रा की शुरुआत में संरक्षकगण ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि –
“विश्व की प्राचीनतम, धर्म की नगरी काशी में पुराणोक्त लगभग 1100 से भी ज्यादा मंदिरों का उल्लेख है। काशी के अंतस में धर्म, दर्शन, संस्कृति और जनजीवन के अनूठे रहस्य छिपे हुए हैं। इन रहस्यों का उद्घाटन उनके नजदीक पहुंच कर ही किया जा सकता है। तीर्थ स्थलों , देव मंदिरों तथा सनातन संस्कृति की अप्रतिम धरोहरों को जानने – समझने के संकल्प को *तीर्थायन* नाम से एक अभियान के रूप में शुरू किया गया है। कहने को यह धार्मिक यात्रा का एक क्रम है , लेकिन इसके अंदर अपनी सांस्कृतिक समझ को विकसित करते हुए संरक्षण व संवर्धन के असीम आयाम छुपे हुए हैं।
काशीस्थ तीर्थों के दर्शनक्रम से शुरू यह अभियान दिन प्रति गहन संवेग के साथ आगे बढ़ रहा है। तीर्थायन को काशी के प्रबुद्ध सचेत समाज का जनसमर्थन तथा सक्रिय सहभाग मिलना अत्यन्त उत्साहजनक है। ”
काशीकथा और अंतर राष्ट्रीय काशी घाटवॉक विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में काशी के 1100 लगभग काशी खंडोक्त मंदिर और देव दर्शन का संकल्प है। रविवार को हुई इस द्वितीय यात्रा में मार्गदर्शन के रूप में समाज – जीवन के हर विधा यथा संगीत, अभियांत्रिकी, साहित्य, कला, राजनीति, समाज सेवा, पत्रकारिता, इतिहास, धर्म दर्शन आदि के मूर्धन्य विद्वान और काशी के लोग तीर्थायन में मौजूद रहे।
यात्रा के तहत आने वाले 21 मंदिरों में भजन-कीर्तन के साथ लोगों ने विधिवत दर्शन-पूजन किया। साथ ही सभी मंदिरों की मान्यता और इतिहास को भी जाना। सुबह से ही काशी के उक्त क्षेत्र की गलियां भक्ति संगीत से गुंजयमान हो उठीं।
आज की यात्रा में जिन 21 पुराणोक्त तीर्थों का दर्शन किया गया उनमें प्रमुख रूप से – गौरी केदारेश्वर , रूक्मांगदेवेश्वर महादेव, चित्रांग देवेश्वर महादेव, चित्रांग देवेश्वरी देवी, क्षेमेश्वर महादेव ,मानसरोवर तीर्थ रघुनाथेश्वर महादेव, कैलाशेश्वर, नारादेश्वर , अत्रीश्वर, अनुसूयेश्वर, अनुसूया देवी, दत्तात्रेय, सोमेश्वर महादेव , सर्वेश्वर महादेव , चौसट्टी देवी, भद्रकाली देवी , चतु: षष्टेश्वर महादेव, वक्रतुंड विनायक श्री दीवानेश्वर महादेव और रामेश्वर महादेव का दर्शन पूजन हुआ।
तीर्थायन में प्रमुख रूप से प्रो. सिद्धनाथ उपाध्याय, प्रो. विजयनाथ मिश्र, उमाशंकर गुप्ता, डॉ अवधेश दीक्षित, शैलेश तिवारी, अजय कृष्ण चतुर्वेदी, विमल कुमार सिंह, रामाशीष जी, प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल, अजय शर्मा, मनीष खत्री, जगन्नाथ ओझा, ऋषि झींगरण,अमित राय, रोहित साहनी, विनय महादेव, डॉ सुमित सिंह,ऋतु, डॉ चंदन रथ, नेहा दुबे, आंनद राय, वाचस्पति उपाध्याय, सत्यम पांडेय बलराम यादव, अरविंद मिश्र, अनुराग यादव अभिषेक यादव, संजय शुक्ल अनुज चतुर्वेदी, डॉ अनिल गुप्ता, कपिंद्र तिवारी, चंद्रशेखर मिश्रा, अनूप पांडेय, राधाकृष्ण गणेशन, डॉ. नीरज पांडेय, सहित 150 से अधिक लोग शामिल रहे। कार्यक्रम के अंत में संरक्षक डॉ विजयनाथ मिश्र ने सभी आज की यात्रा में नवागंतुक सदस्यों का स्वागत व आभार ज्ञापित करते हुए , तीर्थायन की चतुर्थ सोपान – 21 मई को समयबद्ध उपस्थिति का निवेदन किया।
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