Shiv sadhana : 60 क्विंटल का ‘ॐ’, कहां होंगे इनका दर्शन, जानें आखिर क्या हैं इसका महत्व
शायद ही ऐसा कोई शिवभक्त होगा जो महादेव के दर्शन के लिए केदारनाथ की यात्रा पर न जाना चाहता हो। अब इन श्रद्धालुओं के लिए केदारनाथ की यात्रा और भी शानदार होने वाली है। केदारनाथ की भव्यता को और अधिक बढ़ाने के मकसद से 60 क्विंटल ॐ चिन्ह की स्थापना मंदिर परिसर के नजदीक की जा रही है। यह मंदिर के ठीक आगे बने चबूतरे, जो लगभग तीन सौ मीटर की दूरी पर है, पर स्थापित किया जाएगा। इस आकृति को लाइटों से सजाया जायेगा। जो दिन ढलने के बाद संगम घाट के नजदीक, बाबा के आंगन में बैठ कर ॐ की इस आकृति को जगमगाते हुए देखना रोमांचकारी और सुखद होगा।
ॐ की आकृति क्यों है खास
ॐ की इस आकृति का वजन पांच टन है और उसे कैसे से तैयार किया गया है। केदारनाथ में आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान करने के उद्देश्य से लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) गुप्तकाशी द्वारा इसकी स्थापना की जा रही है। इस आकृति को गुजरात के बड़ौदा में आर्टिस्टों ने तैयार किया है। यह ‘ॐ’ 4 मीटर लंबा और 3 मीटर चौड़ा है। इसके चारों तरफ तांबे से वेल्डिंग भी की जाएगी। बर्फबारी से सुरक्षा के लिए भी इंतजाम किये जाएंगे।
आपदा के बाद हो रहा है सौंदर्यीकरण
केदारनाथ में आपदा के बाद हुए नुकसान को धीरे धीरे ठीक किया जा रहा है। केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण और कई नव निर्माण प्रोजेक्ट के तहत ही यह कार्य किये जा रहे हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी केदारनाथ धाम दर्शन के लिए आ चुके हैं और इस इलाके के कायाकल्प का काम उनके ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है।
ॐ का क्या है महत्व
सनातन धर्म में ‘ॐ’ का ख़ास महत्व है। इसकी गणना प्रथम ध्वनि के रूप में की जाती है। यह केवल एक ध्वनि नहीं बल्कि अनंत शक्ति का प्रतीक है। ॐ में ही संपूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति समायी है। ऐसा भी माना जाता है कि ब्रहमांड में प्राकृतिक ध्वनि ‘ॐ’ ही गूंजती है। ‘ॐ’ में 3 वर्ण अक्षर हैं अ, उ और म। इन तीनों अक्षरों में सनातन धर्म के प्रमुख त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश वास करते हैं। इन तीनों देवों का आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे सरल माध्यम है कि आप रोजाना ॐ का उच्चारण करें।
‘ॐ’ का जाप करने से क्या फायदे होते हैं?
ये कहा जा सकता है कि इंसान की हर तरह की समस्या का निवारण ‘ॐ’ में छिपा है। इस ध्वनि से न सिर्फ मानसिक शांति मिलती है बल्कि शारीरिक परेशानियों का भी निवारण होता है। इसका साक्ष्य आपको शास्त्रों में भी मिल जाएगा। रोजाना ‘ॐ’ के उच्चारण मात्र से रोग दोष से छुटकारा मिलता है। इतना ही नहीं आपके आस पास का माहौल भी सकारात्मकता से भर जाता है। वह ऊर्जा आपको कई तरह से सुरक्षित रखने का काम करती है।
‘ॐ’ का जाप कब करना चाहिए?
‘ॐ’ के जाप से मनुष्य को लाभ ही मिलता है। इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है। मगर यह सलाह दी जाती है कि ॐ के उच्चारण का सबसे अधिक फायदा पाने के लिए आप इसका जाप सूर्योदय से पूर्व करें। शास्त्रों के मुताबिक,ॐ का उच्चारण या जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। ऐसा करने से उच्चतम लाभ की प्राप्ति होती है।
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