Home 2024 आखिर क्यों भोजन के समय बात करने की होती है मनाही? जानें क्या कहता है शास्त्र

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आखिर क्यों भोजन के समय बात करने की होती है मनाही? जानें क्या कहता है शास्त्र

हिंदू धर्म शास्त्रों में कई ऐसे नियमों का जिक्र किया गया है जिनका पालन जरूरी माना जाता है। ऐसे ही भोजन के भी कुछ विशेष नियम बताए गए हैं और उनका पालन करने से सुख समृद्धि बनी रहती है।

भोजन बनाने से लेकर उसे ग्रहण करने तक कई ऐसी बातें हैं जिनका पालन जरूरी माना जाता है और जिनसे आपके घर में खुशहाली का आगमन होता है। भोजन करने से पहले भोजन मंत्र का पाठ करना, भोजन दाहिने हाथ से करना, सही दिशा में बैठकर ही भोजन करना और सबसे अहम है भोजन करते समय बात-चीत न करना। शास्त्रों में ऐसी कई बातों का जिक्र है जिनका पालन हमारे लिए जरूरी होता है।

भोजन करते समय बात क्यों नहीं

हमारे धर्म शास्त्रों में भोजन करना एक गंभीर कार्य बताया गया है क्योंकि भोजन हमारे शरीर के लिए अनिवार्य है और इसे भगवान से जोड़ा जाता है। खाने से जुड़े कई नियम हैं। जैसे जूते पहनकर भोजन न करना, खड़े होकर या बिस्तर पर बैठकर भोजन न करना, खाने की प्लेट पैरों पर रखकर खाना नहीं खाना चाहिए, भोजन करते समय बात नहीं करनी चाहिए।

ऐसी मान्यता है कि यदि आप इन नियमों का पालन करते हुए भोजन करते हैं तो भोजन का पूर्ण पोषण मिलता है। दरअसल जब हम बिना बात किए हुए भोजन करते हैं तब इसे अच्छी तरह से चबाते हैं और शरीर को इसका पूरा लाभ मिलता है।

ज्योतिष की मानें तो नियमित रूप से ग्रहण किया जाने वाला भोजन प्रसाद के समान होता है और भोजन करने की प्रक्रिया पूजा की ही तरह मानी जाती है। इसके पूरे लाभ उठाने के लिए भोजन पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करना चाहिए, इसलिए जब भी आप भोजन करते हैं बात करने की मनाही होती है।

ऊर्जा भोजन को पचाने में

ऐसी मान्यता है कि जब भी आप भोजन करते हैं तब आपको इसे पचाने के लिए ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऐसे में यदि आप भोजन ग्रहण करते समय बात करने में अपनी ऊर्जा नष्ट करते हैं तो आपका भोजन ठीक से नहीं पचता है और इसके पूर्ण लाभ नहीं मिलते हैं। यही नहीं जल्दबाजी में बात करते हुए खाया गया भोजन आपकी सेहत को भी पूर्ण लाभ नहीं प्रदान करता है।

बात करने से मन बेचैन

ऐसा माना जाता है कि हम यदि भोजन करते समय बातें करते हैं तो कई बार कोई नकारात्मक बात भी सामने आ सकती है और इसकी वजह से आपका मन विचलित हो सकता है, जबकि यदि आप मौन रहकर भोजन करते हैं तो कोई नकारात्मक विचार सामने नहीं आता है और ऐसे भोजन का आपको पूर्ण लाभ मिल सकता है।

अधिकांश समय सांसारिक विषयों पर चर्चा होने से मन बेचैन रहता है और शरीर के चारों ओर कष्टकारी शक्ति और मायावी सुख का आवरण भी बन जाता है। अत: व्यक्ति को ईश्वर से सुरक्षा नहीं मिलती है। इसी वजह से भोजन करते समय मौन रहने की सलाह दी जाती है।

बात न करने के वैज्ञानिक कारण

यदि आप खाना खाते समय बात करते हैं तो आपका गला एक ही समय में दो काम करने की कोशिश करता है, खाना खाते समय भोजन को अंदर की ओर निगलना और बात करते समय हवा को विपरीत दिशा में बाहर भेजना।

चूंकि आप एक साथ दो चीजें करने की कोशिश करते हैं जिसके लिए गले को विपरीत दिशा में काम करने की आवश्यकता होती है। इसकी वजह से आप दम घुटने की संभावना बढ़ा लेते हैं जिससे मृत्यु का भय भी हो सकता है।

खाना श्वास नली में अटक सकता है

अक्सर हमें इस बात की सलाह दी जाती है कि खाना खाते समय बात न करें। दरअसल इसके ज्योतिष कारणों के साथ कई वैज्ञानिक कारण भी हैं। अगर हम विज्ञान की मानें तो खाना खाते समय बात करने से आप में भोजन का कोई अंश भोजन नली में जाने के बजाय सांस की नली में अटक सकता है।

ऐसा इसलिए क्योंकि जब हम बात करते हैं तो श्वास नली खुल जाती है और भोजन श्वास नली में प्रवेश कर सकता है। जिससे श्वास नली से भोजन सामग्री को बाहर निकालने के लिए तीव्र खांसी हो सकती है या दम घुटने से यह गंभीर हो सकता है और घातक हो सकता है। इसलिए खाना खाते समय बात करने की सलाह नहीं दी जाती है। इसके अलावा बात करने से आपकी जीभ दांतों के बीच में आ सकती है, जिससे कई तरह के नुकसान हो सकते हैं।


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Author: Admin Editor MBC

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